...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
-
हाथ जोड़कर पहले कहे देता हूँ, ज्यादा नहीं लिखूंगा, क्योंकि इन जड़-बुद्धि स्वदेशियों की समझ में ख़ास कुछ नहीं घुसने वाला ! मगर क्या करू कहना, ...
बिजली खाने के लिए, है स्वतंत्र रोबोट |
ReplyDeleteपन बिजली में आजकल, उत्तरांचल की चोट |
उत्तरांचल की चोट, ताप बिजलीघर आये |
है रो बो में खोट, नहीं कोयला चबाये |
दस जनपथ पर टहल, टहल करता है घर के |
बिजली रूपी कोल, तानता है भर भर के ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
:):) बहुत बढ़िया
ReplyDeleteकार्टून बोलता है. वास्तव में आपके कार्टून सामयिक, गहरी व मार्मिक बात कहते हैं. आभार !
ReplyDeleteसटीक व्यंग मारा है ... निशाने पे ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
इस शोध के लिये एक नया विभाग खुले।
ReplyDelete