Thursday, October 18, 2012

छिटपुट !

छल-फ़रेबी से 
बुन के रखते है वो 
हर याद अपनी,
मगर जब जिक्र करो 
तो कहते है,ये बे-बुनी-याद है ! 











जब कभी मौक़ा मिलेगा,
वो तुझे चूसकर फेंक देगा,
इसलिए ऐ आम, 
आदमी की इस कदर  दुहाई न दे !



10 comments:

  1. Very soon the time will show them, their real place. Let them live in their pseudo paradise.

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  2. Great Nice one



    http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post_17.html

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  3. This comment has been removed by a blog administrator.

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  4. ये लो , हमने भी यही कहा आम नहीं , ख़ास !होना है

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  5. @प्रेम-सरोवर जी ,
    आपसे इस बात के लिए माफी चाहूँगा कि मैं जब स्पैम में पड़े कुछ कॉमेंट उठा रहा था तो गलती से आपका कोमेंट मुझसे डिलीट हो गया !

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  6. बेबुनियाद की भी कभी-न-कभी बुनियाद अवश्य पड़ी होगी......बेहतर कटाक्ष....

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  7. आम आदमी ऐसे ही चूसा जायेगा.

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।