Saturday, October 20, 2012

काश, हम कुछ सीख इस बबलू से ही ले पाते !



पैसों के लिए अपनी माँ-बहिनों और देश का सौदा करने वालों ! काश कि तुम लोग कुछ सीख, भरतपुर, राजस्थान  के इस  रिक्शा चालक, बबलू से ही ले पाते !

पेट के खातिर अपनी छाती पर कपडे से अपनी एक माह की नवजात बच्ची को बांधे यह शख्स चिलचिलाती धूप में अपने रिक्शे से सवारियों को ढोता  भरतपुर की गलियों में दिख जाएगा, जाकर देख आओ, गद्दारों ! दरिद्रता  और ठीक से देखभाल न हो पाने की वजह से एक माह पहले इसकी पत्नी का प्रसव के तुरंत बाद देहावसान  हो गया था ! इस नवजात बच्ची  का अब पिता के अलावा इस दुनिया में और कोई रिश्तेदार भी नहीं है ! अगर बबलू चाहता तो अपनी असमर्थता का रोना रोकर इस बच्ची का सौदा भी कर सकता था, क्योंकि खरीदने वाले धन्ना-सेठों की भी कोई कमी नहीं है इस देश में ! लेकिन नहीं,  उसने तुम्हारी तरह अपना जमीर नहीं बेचा, अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हुआ,  हरामखोरों !  इतना ही नहीं, उसका  यह भी सपना है कि जब उसकी बेटी बड़ी होगी तो वह उसे खूब पढ़ायेगा, लिखायेगा भी ! 

कुछ तो शर्म करो भ्रष्टों !  

खबर एंडीटीवी के सौजन्य से साभार !   

कोई सहृदय अगर मदद के इच्छुक हों  तो  कृपया इस लिंक पर जाएँ ; 
जरूरी नहीं कि आपने एक बड़ी रकम ही भेजनी है, अगर आपके पास ओन  लाइन बैंक ट्रांसफर की सुविधा है तो आप अपनी सुविधानुसार 51/- ,101/- ,151/-, 201/-, 251/-, 501/- का सहयोग भी कर सकते है !  बबलू के लिए यह भी एक बड़ी रकम है !    

नोट : यह पोस्ट देश के भ्रष्ट-गद्दारों को समर्पित है !    

16 comments:

  1. बेटी को मुसीबत समझनेवाले साधन संपन्न हो कर भी हत्यारे बन जाते हैं -सबक लें ऐसे लोग !

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  2. बबलू की नेक-नियत की कामयाबी के लिए दिल से दुआएं ...
    आपका भी आभर ...इस नेक इंसान के दर्शन कराने के लिए !

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  3. राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम ।

    यहीं क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम ।

    कन्या भ्रूण तमाम, बिना माँ की ये बेटी ।

    ले लो कोई गोद, गोद पापा के लेटी ।

    ईश्वर कर कुछ रहम, मार्मिक बड़ा कथानक ।

    निभा रहा यह धरम, करो कुछ तुम भी रौनक ।।

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  4. ऐसे पिताओं को ही बेटियां मिलें जिहें उनकी कद्र तो है!

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  5. थेथर लोग शर्म बेचकर चलते हैं

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  6. यह तो वाकई में नमन करने योग्य है.

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  7. बबलू जैसे लोग पथप्रदर्शक बनें ...

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  8. किसी हद तक यह सही है की समाज के जिस वर्ग से बबलू ताल्लुक रखता है अक्सर उसी वर्ग से ऐसे आदर्शों की उत्पति होती है....अन्यथा चोंचले तो हर कोई कर लेता है.......टिपण्णी पूरी नहीं हुई है क्योंकि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी.........ईश्वर बबलू को इतनी शक्ति दे की वह इस नन्ही सी परी का पालन-पोषण कर सके.......परिस्थितियों का यदि आकलन किया जाय तो यही एक मात्र सपना बबलू भी संजोये होगा, क्योंकि ऐसी विषम परिस्थितियों में बबलू ( आम आदमी ) का सपना और हो भी क्या सकता .....?
    आभार उपरोक्त पोस्ट हेतु........

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  9. वाकई लोगों को बबलू से सीख लेनी चाहिए... बबलू को सलाम

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  10. http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_20.html

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  11. बबलू को ढेर सारी दुआएँ। इतनी सरकारी योजनाएँ हैं क्या बबलू जैसों के लिए एक भी नहीं होंगी! कुछ न कुछ तो होगा जिससे इसके भला हो।

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  12. बबलू के पुरुषार्थ को प्रणाम..

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  13. कल वो रिक्शे पे चढ़ा था गोद में बिटिया लिए ,

    मैं ने पूछा नाम तो बोला के माँ भी ,बाप हैं .


    कल नुमाइश में मिला वह चीथड़े पहने हुए ,

    मैं ने पूछा नाम तो बोला के हिन्दुस्तान है .

    खींचता रिक्शा वह लेकर गोद में संतान है ,

    यह हमारे वक्त की सबसे बड़ी पहचान है .


    ठोक पीट के ठीक करो रविकर भैया .हमारे पास कच्चा माल है आपके पास छैनी हथोड़ा है शब्द जाल है मीटर है ताल है .

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  14. इस रिक्शाचालक के जज्बे और पुत्री मोह को सलाम| सच में एक तमाचा है उस समाज के मुह पर जो बेटी को बोझ या पाप समझ कर गर्भ में ही मार देते हैं बहुत अच्छी पोस्ट

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  15. This comment has been removed by the author.

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।