Saturday, October 27, 2012

दांव !

गुफ्तगू 
दरमियाँ  उनके 
कुछ यूं ,ऐसे हुई , 
लाठी 
जब मेरी थी 
तो भैंस तेरी कैसे हुई ?

14 comments:

  1. देखिये ये अलख कहाँ तक पहुँचती है...

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  2. हाँ ये सच है कि अलख तो जल गई है पर देखो कब तक ? मेरे ख्याल सेसबका साथ होना जरुरी होगा |
    लेख और रचना दोनों सुन्दर |

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  3. आपकी इस बात से सहमत हूँ कि कम से कम भ्रष्टचार के खिलाफ अलख तो जगा है... अन्ना, बाबा रामदेव और अरविन्द केजरीवाल में खुद चाहे कोई कमी हो या ना हो.... लेकिन इनकी मेहनत से आज भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगो में भावना ने उबाल लिया है... अगर सही मार्गदर्शन मिले तो यह मील का पत्थर साबित हो सकता है...

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  4. भ्रष्‍टाचार को नि‍यति‍ मान बैठे आम आदमी को लगा तो सही कि‍ नही, प्रति‍कार तो उसे स्‍वयं ही करना होगा

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  5. सुन्दर सामयिक प्रस्तुति!
    ईद-उल-जुहा के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  6. मगर जनता बहुत जल्द फिर सो जाती है... उम्मीद है की एस बार जनता हमेशा के लिए जागेगी। लयबद्ध पंक्तियों से आपने अच्छा कटाक्ष किया है। सुंदर प्रस्तुति।

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  8. .
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    आज देश देख रहा है कि किस तरह सत्ता के इन दलालों ने किस-किस खजाने पर अपना ' हाथ' साफ़ किया, कहाँ-कहाँ इन्होने भ्रष्टाचार के कीचड में अपने सुख-वैभव के 'कमल' खिलाये। भ्रष्टाचार में लिप्त रहकर भी ये राज-नेता बने बैठे है तो किसकी हिम्मत कि कोई उन्हें हाथ लगायें ? आखिर पकडने वाले के हाथ भी तो काले ही है।

    कृत्य काले सब आड़ में धवल देह-भेष की,
    हाथ साफ़ कर रहे है शठ, तिजोरी पे देश की,
    चौतरफा फैला रहे ये भ्रष्ट,अपना माया-जाल,
    मौसेरे सब भाईयों ने, मिल-बाँट खाया माल !


    पर क्या करेंगे सर जी, यह मलाई पर हाथ साफ करने वाले व सपने दिखा अपने-अपने सुख वैभव के कमल खिलाने वालों के अतिरिक्त कोई विकल्प है क्या देश में ?... जो भी विकल्प बनने की संभावना रखता भी है उनसे भी कोई उम्मीद बेमानी है सर जी, मोटी मलाई की आस में होंठों पर जीभ फेरते दिखते हैं वे मुझे तो...
    यह सभी हम सब के बीच से ही तो निकले हैं और हमीं ने इनको ताज पहनाया है... सर जी, ईमानदारी से बहुत कम ही करोड़ों कमा सकते हैं हमारे जैसे गरीब देश में, ३२ रूपल्ली रोजाना से कम रोजाना पे गुजारा करने वालों की ४५% आबादी वाले देश में संसद/विधान सभायें करोड़पतियों से अटी पड़ी हैं... अप्रत्यक्ष रूप से यह यह भी बताता है कि ईमानदारी का अब कोई मोल नहीं रहा पब्लिक में... हम सब चोर हैं सर जी, और हमें अपने जैसे ही सब मिलेंगे, नेता, प्रशासक, पुलिस, पत्रकार-मीडिया, समाजसेवी, योगी, आंदोलनकारी, जज व जनरल भी... हमें हर कोई वैसा ही मिलेगा जैसा हम डिजर्व करते हैं... यह सब झेलना ही होगा हमें, एक चोर समाज की यह नियति है... :(



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  9. आज अचानक एक अच्छी विचार श्रृंखला से रूबरू हुए | धन्यवाद और नमस्ते | लय प्रलय सृष्टि का नियम है यह हम जानते है और इसलिये अवश्य यह देखना है अब यह क्रम का अल्पविराम यद्यपि पूर्णविराम कहाँ तक और कब आता है | वैसे ऊपर किसी मित्रने सही कहा जनता को जागते ही रहना है | जागते रहो!

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  10. उजागर कर देश की राजनीति का ये हाल,
    वाकई कर दिया आपने अद्भुत एक कमाल,
    हर देश-भक्त की जुबां से, निकले यही दुआ,
    अमर रहे अन्ना और अरविन्द केजरीवाल !

    कृत्य काले सब आड़ में धवल देह-भेष की,
    हाथ साफ़ कर रहे है शठ, तिजोरी पे देश की,
    चौतरफा फैला रहे ये भ्रष्ट,अपना माया-जाल,
    मौसेरे सब भाईयों ने, मिल-बाँट खाया माल !

    खौप खाने लगा है तुमसे सत्ता का हर दलाल,
    शुक्रिया आपका,सुखी रहो,जियो हजारों साल !
    देश-भक्तों की जुबां से बस निकले यही दुआ,
    अमर रहे अन्ना और अरविन्द केजरीवाल !!
    Posted by पी.सी.गोदियाल "परचेत" at Saturday, October 27, 2012

    बहुत सटीक खुलासा आज के भारत का- .जय अन्ना जय केजरीवाल ,जलती रहे ,तेरे हौसलों की मशाल .चिठ्ठाकार साधना वैद जी के शब्दों में

    अन्ना "गांधी "हो गए ,"भगत सिंह " अरविन्द ,

    बिगुल बज उठा क्रान्ति का ,जागेगा अब हिन्द .

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  11. सच छन छन कर सामने आ रहा है।

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  12. बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति!
    आभार!!

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।