आप में से बहुत से लोग इस बारे में पहले से ही जानते होंगे, मगर जो इस बारे में सचमुच में नहीं जानते, उनसे मेरा आग्रह है कि यह करके देखिये आपको पता चल जाएगा ;
अभी आप टेबल के समीप कुर्सी पर बैठ अपने कंप्यूटर पर चटर-पटर कर रहे हैं न ? अब ज़रा अपनी कुर्सी को बैठे-बैठे टेबल से थोड़ा दूर खिसकाइए ! कुर्सी अथवा स्टूल पर बैठे-बैठे अपने दाहिने पैर को थोड़ा ऊपर हवा में उठाइये, अब उसे घड़ी की दिशा में गोल-गोल घुमाइए (CLOCKWISE CIRCLES) ! ऐसा करते रहिये और साथ ही दाहिने हाथ की उंगली से हवा में बार बार सिक्स(6) बनाइये ! अब देखिये कि आपका दिमाग आपके घड़ी की दिशा में गोल-गोल घूमते पैर के निर्देशों को सही तरीके से FOLLOW कर रहा है अथवा नहीं !
आप ज़रा यह करके तो देखिये, पता चल जाएगा...............हैं न प्रोग्राम्मिंग में गड़बड़ी ? :) )
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
अभी ट्राई कर के देखता हूँ....
ReplyDeleteहा हा हा सही बात है । धन्यवादभी उठना पडेगा गडबडी को सही करने।
ReplyDeleteअरे! यह क्या????? सच में प्रोग्रामिंग में गड़बड़ी है.....
ReplyDelete:)
:)
:)
:)
हा हा हा तीनो मे से दो ही चीज घुमती है,
ReplyDeleteलेकिन दिमाग जरुर घुमता है साथ मे कुर्सी भी। सब दो घंटे बाद सब स्थिर हो जाएगा।:) आभार
उफ्फ्फ्फ़ ....यहाँ तो दिमाग ही गोल गोल घूमने लगा है ....चक्कर है भाई घनचक्कर
ReplyDeleteहा हा हा ...
hahahaha..........sahi ja rahe hain aur sabko nacha bhi rahe hain...waah.
ReplyDeleteबच्चा गोदियाल, कल्याण हो ! बच्चा, आज हमारे मठ में क्यों नहीं आये? आज बाबा को ही चेले के पास आना पड़ा, बच्चा, जो कुछ तुम करने को कह रहे हो, वह सब हो नहीं पा रहा है, यहाँ हिमालय पर हमारी कुल्फी जम रही है, कैसे हिलाऊं डुलाऊं? गर्माहट लाने की कोई व्यवस्था कराओ बच्चा !
ReplyDeleteरुकिए लंगोट बाबा, ज़रा चिमटा चूल्हे में रखता हूँ आपको गरम करने के लिए ! :)
ReplyDeleteगोदियाल जी, सायकल का एक छर्रा अपने बायें (उलटे) हाथ की हथेली पर रखें। दाहिने (सीधे) हाथ की मध्यमा (बीच वाली) उँगली को तर्जनी (अँगूठे के पास वाली) उँगली के ऊपर रख कर अँगूठे की तरफ ले जाइये और दोनों उँगलियों द्वारा इस प्रकार से बने क्रॉस से छर्रे को छू कर देखिये और बताइये कि कितने छर्रे हैं।
ReplyDeleteजरा कर के देखिये!
लगे हाथ ये भी बता देते कि दिमाग की इस गडबडी को ठीक कहाँ से कराया जाए :)
ReplyDeleteहा हा हा ! गोदियाल जी , गड़बड़ ही गड़बड़ है।
ReplyDeletevery nice writing
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