कितनी अजीब सी बात है कि एक तरफ जो इंसान भगवान् के अस्तित्व को सिरे से नकारता है, और उसकी शरण स्वीकार नहीं करता, दूसरी तरफ अमूमन वही इंसान अपने स्वार्थ के लिए दूसरे इंसान की गुलामी करने से जरा भी परहेज नहीं करता !
-पी.सी. गोदियाल
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
-
स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
-
अगस्त २००८ के आस-पास मैंने ब्लॉग-जगत में कदम रखा था! तबसे ब्लोगर मित्रों और सम्माननीय पाठकों की प्रेरणा पाकर मैंने एक लघु उपन्यास, ४१ कहानिय...
-
पिछले कुछ दिनों से ब्लॉग जगत पर एक ख़ास बात के ऊपर नजर गडाए था ! देखना चाहता था कि अक्सर किसी एक ख़ास मुद्दे पर एक साथ लेखों की बाढ़ निकाल द...
सचमुच यह सोचने का विषय है....
ReplyDeleteभगवान की शरण में भी तो स्वार्थवश जाता है.
ReplyDeleteअस्ति मे भी है और नास्ति मे भी है
ReplyDeleteसिर्फ़ समझ समझ का फ़ेर है,
बसंत पर्व की शुभकामनाएं
अस्ति मे भी है और नास्ति मे भी है
ReplyDeleteसिर्फ़ समझ समझ का फ़ेर है,
बसंत पर्व की शुभकामनाएं
स्वार्थ मनु्ष्य की बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है।
ReplyDeleteसोचनीय पहलू है यह भी ।
ReplyDeleteसटीक !!
ReplyDeleteये दस्तूर है दुनिया का ........... इंसान की फ़ितरत .......
ReplyDeleteअजीब तो है
ReplyDeleteसही कहा आपने. सोचने पर मज़बूर करता है.
ReplyDeleteइसलिये कि वह इंसान मे भगवान को नही देखता
ReplyDelete