Wednesday, January 20, 2010

एक ख्याल ;

कितनी अजीब सी बात है कि एक तरफ जो इंसान भगवान् के अस्तित्व को सिरे से नकारता है, और उसकी शरण स्वीकार नहीं करता, दूसरी तरफ अमूमन वही इंसान अपने स्वार्थ के लिए दूसरे इंसान की गुलामी करने से जरा भी परहेज नहीं करता !
-पी.सी. गोदियाल

11 comments:

  1. सचमुच यह सोचने का विषय है....

    ReplyDelete
  2. भगवान की शरण में भी तो स्वार्थवश जाता है.

    ReplyDelete
  3. अस्ति मे भी है और नास्ति मे भी है
    सिर्फ़ समझ समझ का फ़ेर है,

    बसंत पर्व की शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  4. अस्ति मे भी है और नास्ति मे भी है
    सिर्फ़ समझ समझ का फ़ेर है,

    बसंत पर्व की शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  5. स्वार्थ मनु्ष्य की बुद्धि को भ्रष्ट कर देता है।

    ReplyDelete
  6. सोचनीय पहलू है यह भी ।

    ReplyDelete
  7. ये दस्तूर है दुनिया का ........... इंसान की फ़ितरत .......

    ReplyDelete
  8. सही कहा आपने. सोचने पर मज़बूर करता है.

    ReplyDelete
  9. इसलिये कि वह इंसान मे भगवान को नही देखता

    ReplyDelete

इतना क्यों भला????

बडी शिद्दत से उछाला था हमने  दिल अपना उनके घर की तरफ, लगा,जाहिर कर देंगे वो अपनी मर्जी, तड़पकर उछले हुए दिल पर हमारे। रात भर ताकते रहे यही स...