Saturday, January 23, 2010

बुर्के में ही रहना है तो बेहतर है वोट मत दो - सुप्रीम कोर्ट

आइये, आज हम सब मिलकर अपने सर्वोच्च न्यायालय की इस बात के लिए जम कर तारीफ़ करे कि उन्होंने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया ! और आगे संकल्प ले कि इन पाषाण युगीन मानसिकता के लोगो को इसी तरह के सबक सिखा कर देश की मुख्य धारा में लाने के प्रयत्न करेंगे ! इन्हें जिस देश में ये रहते है, उस देश के कायदे कानूनों को मानना और उनका अनुसरण करना होगा ! कितनी हास्यास्पद बात है कि एक तरफ तो ये पाषाण युगीन मानसिकता के लोग अपने को गरीब, महंगाई का मारा हुआ, बहुसंख्यको द्वारा दबाया हुआ, कुचला हुआ और न जाने क्या क्या बताता है, और दूसरी तरफ इस तरह के कानूनी दावपेंच और देश के संविधान का मखौल उड़ाने के लिए इसके पास भरपूर पैसा और वक्त है! इस देश को अगर एकजुट रखना है तो फ्रांस की तर्ज पर कुछ ठोस कदम उठाने की आज सख्त जरुरत है ! आइये देखे कि क्या था यह विवाद और क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ;

सुप्रीम कोर्ट ने कड़े तैवर अपनाते हुए कहा है कि जो मुस्लिम महिलाएँ मतदाता पहचान पत्र के लिए फोटो नही खिंचवाना चाहती या फिर बुर्के में फोटो खिंचवाना चाहती है वह बेहतर है कि वोट ही ना दे!

तमिलनाडु के याचिकाकर्ता एम आजम खान ने अपील की थी कि मुस्लिम महिलाओं के द्वारा मतदाता पहचान पत्र के लिए फोटो खिंचवाने के लिए बुर्का हटाना उचित नहीं है. आजम खान का कहना है कि चुनाव अधिकारियों और पोलिंग एजेंट द्वारा महिलाओं की तस्वीर देखना ठीक नही है!

याचिकाकर्ता एम आजम खान के वकील ने दलील दी कि कुरान में महिलाओं को पर्दे में रहना बताया गया है !

लेकिन यह दलील मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा को रास नहीं आई ! उन्होने कहा कि "यदि आपकी धार्मिक भावनाएं इतनी मजबूत हैं और आप महिलाओं को जनता के सामने नहीं लाना चाहते हो तो उन्हें वोट भी मत डालने दो."सर्वोच्च न्यायालय ने उल्टे सवाल पूछा कि यदि कभी इन महिलाओं को चुनाव लड़ना पड़ा तब क्या करेंगी? तब तो इनके पोस्टर शहर भर में लगेंगे !

29 comments:

  1. सुप्रीम कोर्ट का यह सही और सराहनीय निर्णय है!

    ReplyDelete
  2. ese kre niyam or sakhti hi inhe bhart me jeena sikha sakte hai jankari ke liye abhar

    ReplyDelete
  3. राष्ट्र से ऊपर धर्म नहीं हो सकता.... कोर्ट का फैसला एकदम सही है.... राष्ट्रधर्म ही सर्वोपरि है.....

    ReplyDelete
  4. बहुत ही अच्‍छा निर्णय, प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

    ReplyDelete
  5. बहुत सही किया ऐसे निर्णय सुनाकर वहाँ की न्यायालय ने, । आपका आभार

    ReplyDelete
  6. रुख से नकाब का हटना बहुत जरूरी है!

    ReplyDelete
  7. महफूज़ भाई की बात से पूर्णतय सहमत।

    ReplyDelete
  8. जहाँ तक मुझे ज्ञात है इस्लाम ने पर्दा को कभी अनिवार्य नहीं कहा, मगर धार्मिक कट्टरता यहाँ भी हावी है, धर्म को पारिभाषित करने वालों की कमी कहीं नहीं है सबकी अपनी अपनी परिभाषा है और लोग सरलता से विश्वास करते भी हैं !
    केवल शिक्षा ही हमें इस दलदल से निकाल सकती है ! सुनहरे भविष्य के लिए शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  9. बहुत सराहनीय निर्णय, जितनी तारीफ़ की जाये कम होगी.

    रामराम.

    ReplyDelete
  10. ऐसे एक निर्णय पर क्या खुश होना जबकि ऐसे सैकड़ों निर्णयों की जरूरत है।

    ReplyDelete
  11. Islam Darm kabhi dakiyanusi baaton par ade rahne ko nahi kahta.
    Mai aapke madhyam se un muslim bahno
    se ek question puchhna chahta hun ki
    bank account bhi burkhe me khiche photo se khul jaayega kaya?

    Mujhe lagta hay parda buraion se bachne ka ek madhayam matr hay na ki
    rasht ke suraksha se kilwad karne ka ek bahan.

    kort ka faisla bilkul sahi hay.

    ReplyDelete
  12. भाषा में वो जादू है, जो मुंह मीठा भी कराये और कडुआ भी!!
    है न!! मित्रों!!
    विषय को आपने बजा उठाया , लेकिन उसके साथ व्यवहार करने में हुई चुक आपको-हमें किसी न किसी कठघरे में अवश्य खड़ा कर देती है!!

    अपने मिशन में लगे रहें, इश्वर आपको अपने ध्येय में सफलता दे.अब ये सफलता सार्थक भी होगी तनिक संदेह है!!

    वैसे जानकारी बता ता चलूँ!! इस्लाम परदे का हिमायती अवश्य है लेकिन चेहरा ढंकने से मना करता है.और बुर्का भी क़ुरआनी-निर्देश नहीं है!
    हाँ पर्दा है, और उसकी परिभाषा है.कभी फुर्सत मिले तो मेरे ब्लॉग की पोस्ट अनपढ़ क्यों हैं मुस्लिम महिलायें देख लीजिए

    ReplyDelete
  13. एक तरफ महिलाएँ देश की कमान संभाल रही है एक तरफ इन्हे बुर्क़े में छिपाया जा रहा है...सुप्रीम कोर्ट का सराहनीय निर्णय

    ReplyDelete
  14. अब क्या कहे देश के नेता ही निकम्मे हो तो... बाकी हम भी महफ़ुज अली जी से सहमत है

    ReplyDelete
  15. जी दकियानूसी के विरुद्ध ऐसे ही फैसलों से फिजा बदलेगी !

    ReplyDelete
  16. आपके अनुरोध पर चलो खुश हो लेते हैं। सेकुलर भट्टी में जल रहे इस देश में बीच-बीच में ऐसे पानी के छींटे पड़ जाते हैं कभीकभार… :)

    ReplyDelete
  17. ऐतिहासिक निर्णय .......... स्वागत है ऐसे निर्णयों का .........

    ReplyDelete
  18. निर्णय से अवगत कराया बहुत बहुत धन्यबाद

    ReplyDelete
  19. Muslim ko phayda (benefits) chahiye. Phayda hogo to kya parda aur kya beparda. kuchh log hi hai jo islam ki aad lekar women ko gulam ki tarah rakha hai.

    ReplyDelete
  20. बिलकुल सही निर्नय राष्ट्र सर्वोपरि है आभार्

    ReplyDelete
  21. गोदियाल साहब
    उच्चतम न्यायालय ने सही ही कहा है........उस पर आपका इतना अच्छा लेख ....जुगलबंदी अच्छी है!

    ReplyDelete
  22. सराहनीय निर्णय

    ReplyDelete
  23. दो टिप्पणियां देख लीजिये, महफूज जी की और शहरोज जी की. यही दुआ करिये कि महफूज जी जैसे लोग फले-फूलें. इस्लाम का असल रूप सामने आ जायेगा और इसमें लगा कट्टरता का घुन दूर हो जायेगा.

    ReplyDelete
  24. बहुत सही कदम । कुरान वोट डालने को मना नही करता ?

    ReplyDelete
  25. Excellent.
    Please visit & join:
    http://groups.google.com/group/AHWAN1

    ReplyDelete
  26. बहुत ही अच्‍छा निर्णय, प्रस्‍तुति के लिये आभार
    इस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं

    ReplyDelete

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।