आइये, आज हम सब मिलकर अपने सर्वोच्च न्यायालय की इस बात के लिए जम कर तारीफ़ करे कि उन्होंने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया ! और आगे संकल्प ले कि इन पाषाण युगीन मानसिकता के लोगो को इसी तरह के सबक सिखा कर देश की मुख्य धारा में लाने के प्रयत्न करेंगे ! इन्हें जिस देश में ये रहते है, उस देश के कायदे कानूनों को मानना और उनका अनुसरण करना होगा ! कितनी हास्यास्पद बात है कि एक तरफ तो ये पाषाण युगीन मानसिकता के लोग अपने को गरीब, महंगाई का मारा हुआ, बहुसंख्यको द्वारा दबाया हुआ, कुचला हुआ और न जाने क्या क्या बताता है, और दूसरी तरफ इस तरह के कानूनी दावपेंच और देश के संविधान का मखौल उड़ाने के लिए इसके पास भरपूर पैसा और वक्त है! इस देश को अगर एकजुट रखना है तो फ्रांस की तर्ज पर कुछ ठोस कदम उठाने की आज सख्त जरुरत है ! आइये देखे कि क्या था यह विवाद और क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने ;
सुप्रीम कोर्ट ने कड़े तैवर अपनाते हुए कहा है कि जो मुस्लिम महिलाएँ मतदाता पहचान पत्र के लिए फोटो नही खिंचवाना चाहती या फिर बुर्के में फोटो खिंचवाना चाहती है वह बेहतर है कि वोट ही ना दे!
तमिलनाडु के याचिकाकर्ता एम आजम खान ने अपील की थी कि मुस्लिम महिलाओं के द्वारा मतदाता पहचान पत्र के लिए फोटो खिंचवाने के लिए बुर्का हटाना उचित नहीं है. आजम खान का कहना है कि चुनाव अधिकारियों और पोलिंग एजेंट द्वारा महिलाओं की तस्वीर देखना ठीक नही है!
याचिकाकर्ता एम आजम खान के वकील ने दलील दी कि कुरान में महिलाओं को पर्दे में रहना बताया गया है !
लेकिन यह दलील मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा को रास नहीं आई ! उन्होने कहा कि "यदि आपकी धार्मिक भावनाएं इतनी मजबूत हैं और आप महिलाओं को जनता के सामने नहीं लाना चाहते हो तो उन्हें वोट भी मत डालने दो."सर्वोच्च न्यायालय ने उल्टे सवाल पूछा कि यदि कभी इन महिलाओं को चुनाव लड़ना पड़ा तब क्या करेंगी? तब तो इनके पोस्टर शहर भर में लगेंगे !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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सुप्रीम कोर्ट का यह सही और सराहनीय निर्णय है!
ReplyDeleteese kre niyam or sakhti hi inhe bhart me jeena sikha sakte hai jankari ke liye abhar
ReplyDeleteराष्ट्र से ऊपर धर्म नहीं हो सकता.... कोर्ट का फैसला एकदम सही है.... राष्ट्रधर्म ही सर्वोपरि है.....
ReplyDeleteमुबारक निर्णय है.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा निर्णय, प्रस्तुति के लिये आभार ।
ReplyDeleteबहुत सही किया ऐसे निर्णय सुनाकर वहाँ की न्यायालय ने, । आपका आभार
ReplyDeleteरुख से नकाब का हटना बहुत जरूरी है!
ReplyDeleteमहफूज़ भाई की बात से पूर्णतय सहमत।
ReplyDeleteरोचक!
ReplyDeleteजहाँ तक मुझे ज्ञात है इस्लाम ने पर्दा को कभी अनिवार्य नहीं कहा, मगर धार्मिक कट्टरता यहाँ भी हावी है, धर्म को पारिभाषित करने वालों की कमी कहीं नहीं है सबकी अपनी अपनी परिभाषा है और लोग सरलता से विश्वास करते भी हैं !
ReplyDeleteकेवल शिक्षा ही हमें इस दलदल से निकाल सकती है ! सुनहरे भविष्य के लिए शुभकामनायें !
बहुत सराहनीय निर्णय, जितनी तारीफ़ की जाये कम होगी.
ReplyDeleteरामराम.
जय हो।
ReplyDeleteऐसे एक निर्णय पर क्या खुश होना जबकि ऐसे सैकड़ों निर्णयों की जरूरत है।
ReplyDeleteIslam Darm kabhi dakiyanusi baaton par ade rahne ko nahi kahta.
ReplyDeleteMai aapke madhyam se un muslim bahno
se ek question puchhna chahta hun ki
bank account bhi burkhe me khiche photo se khul jaayega kaya?
Mujhe lagta hay parda buraion se bachne ka ek madhayam matr hay na ki
rasht ke suraksha se kilwad karne ka ek bahan.
kort ka faisla bilkul sahi hay.
भाषा में वो जादू है, जो मुंह मीठा भी कराये और कडुआ भी!!
ReplyDeleteहै न!! मित्रों!!
विषय को आपने बजा उठाया , लेकिन उसके साथ व्यवहार करने में हुई चुक आपको-हमें किसी न किसी कठघरे में अवश्य खड़ा कर देती है!!
अपने मिशन में लगे रहें, इश्वर आपको अपने ध्येय में सफलता दे.अब ये सफलता सार्थक भी होगी तनिक संदेह है!!
वैसे जानकारी बता ता चलूँ!! इस्लाम परदे का हिमायती अवश्य है लेकिन चेहरा ढंकने से मना करता है.और बुर्का भी क़ुरआनी-निर्देश नहीं है!
हाँ पर्दा है, और उसकी परिभाषा है.कभी फुर्सत मिले तो मेरे ब्लॉग की पोस्ट अनपढ़ क्यों हैं मुस्लिम महिलायें देख लीजिए
एक तरफ महिलाएँ देश की कमान संभाल रही है एक तरफ इन्हे बुर्क़े में छिपाया जा रहा है...सुप्रीम कोर्ट का सराहनीय निर्णय
ReplyDeleteअब क्या कहे देश के नेता ही निकम्मे हो तो... बाकी हम भी महफ़ुज अली जी से सहमत है
ReplyDeleteजी दकियानूसी के विरुद्ध ऐसे ही फैसलों से फिजा बदलेगी !
ReplyDeleteआपके अनुरोध पर चलो खुश हो लेते हैं। सेकुलर भट्टी में जल रहे इस देश में बीच-बीच में ऐसे पानी के छींटे पड़ जाते हैं कभीकभार… :)
ReplyDeleteऐतिहासिक निर्णय .......... स्वागत है ऐसे निर्णयों का .........
ReplyDeleteनिर्णय से अवगत कराया बहुत बहुत धन्यबाद
ReplyDeleteMuslim ko phayda (benefits) chahiye. Phayda hogo to kya parda aur kya beparda. kuchh log hi hai jo islam ki aad lekar women ko gulam ki tarah rakha hai.
ReplyDeleteबिलकुल सही निर्नय राष्ट्र सर्वोपरि है आभार्
ReplyDeleteगोदियाल साहब
ReplyDeleteउच्चतम न्यायालय ने सही ही कहा है........उस पर आपका इतना अच्छा लेख ....जुगलबंदी अच्छी है!
सराहनीय निर्णय
ReplyDeleteदो टिप्पणियां देख लीजिये, महफूज जी की और शहरोज जी की. यही दुआ करिये कि महफूज जी जैसे लोग फले-फूलें. इस्लाम का असल रूप सामने आ जायेगा और इसमें लगा कट्टरता का घुन दूर हो जायेगा.
ReplyDeleteबहुत सही कदम । कुरान वोट डालने को मना नही करता ?
ReplyDeleteExcellent.
ReplyDeletePlease visit & join:
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बहुत ही अच्छा निर्णय, प्रस्तुति के लिये आभार
ReplyDeleteइस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हमारा नव संवत्सर शुरू होता है इस नव संवत्सर पर आप सभी को हार्दिक शुभ कामनाएं