Thursday, September 23, 2010

शर्म के मायने !

भगवान् का शुक्रिया अदा कीजिये कि "कॉमन वेल्थ" के नाम पर आज सुबह से अभी तक भ्रष्टों द्वारा बिछाई गई देश के करदाता के खून पसीने की रकम का कोई हिस्सा सरसरी तौर पर टूटकर या ढहकर बेकार नहीं गया। वो कह रहे है कि गेम्स विलेज (खेल गाँव ) खिलाडियों के रहने लायक जगह नही है। सडकों पर इंद्रदेव के कोपभाजन की वजह से बड़े-बड़े गड्डे पड़े है।नाक के नीचे का एक नया बना फूटओवर ब्रिज टूट्कर गिर गया है। नेहरु स्टेडियम मे जहां आज से 09 दिन बाद खेलो का उद्धघाटन होना है, फाल्स सीलिंग गिर गई है। खिलाड़ियों के लिए बिछाये बिस्तरों पर कुत्ते आराम फरमा रहे है। सड़कों पर पिछले पांच सालों से खेलों के नाम पर किये जा रहे निर्माण की वजह से पहले से पके बैठे एक आम दिल्लीवासी का चलना दुभर हो गया है। सुरक्षा के नाम पर आतंकवादी खुले सांड की तरह घूम रहे है। विदेशी चैनल वाले विस्फोटक लेकर या यहाँ खरीदकर स्टिंग ओपरेशन कर रहे है और तब जाकर कोई एक-दो नहीं पूरे १० बैरिकेड खेलगांव के गेट के आसपास लगा दिए गए है। जिनपर सुबह से शाम तथा शाम से रातभर तक खड़े-खड़े पहरा दे रहे पुलिस वाले दिन भर बारिश में भीगकर बीमार पड़ रहे है, क्योंकि देश के कुल ७०००० करोड़ रूपये की ऐसी-तैसी करने वालों के पास अंत में इतने भी पैसे नहीं बचे कि इन सुरक्षाकर्मियों के लिए कोई बूथ वहाँ पर बना सके, ताकि बारिश और मच्छरों से वे अपना बचाव कर पायें।

खेलों के नाम पर देश की साख को वैसें तो बट्टा बहुत पहले ही लग चुका है, इस देश के करोडों करदाताओं के पैसे को पहले ही गटर मे डाल दिया गया है, लेकिन हमारे इसी समाज मे पनपित कुछ बेशर्म अभी भी यह मानने को कदापि तैयार नही कि यह देश के लिये एक शर्म की बात है। जबकि मेरा यह मानना है कि यदि कुछ बाते अगर इन्सान की औकात से बाहर की हो तो उस केस मे अपनी असमर्थता जता देना ही सबसे बेहतर बुद्धिमानी कही जाती है। मेजवान अगर समझदार हो तो वह मेहमान से यह कहने मे तनिक भी नही हिचकिचाता कि हे अतिथि ! मेरे कमजोर नेतृत्व की वजह से परिस्थियां ऐसी बन गई है कि आपका आवाभगत मैं पूरे सत्कार के साथ कर पाने मे असमर्थ हू, और मेरी कमियों की वजह से बहुत से जयचन्द इस देश मे पल-बढ गये है, जिनकी वजह से यह कुव्यवस्था फैली है, और जिनपर मेरा कोई नियन्त्रण नही।

कभी-कभार इंसान जब तक किसी अनुभव से खुद नहीं गुजरता उसे किसी बात का अहसास नहीं हो पाता, लेकिन जब उसे यह अहसास होता है बहुत देर हो चुकी होती है। मैं कल-परसों टूर पर था और वापसी में मेरे मोबाइल की बैटरी ख़त्म हो गई थी क्योंकि मैं अपने सैमसंग फोन का चार्जर ले जाना भूल गया था। अब तलाश शुरू हुई पब्लिक फोन की, आपको आश्चर्य होगा यह जानकार कि विश्व प्रतियोगिता की दावेदारी करने वाले इस देश के एयरपोर्ट पर एक भी पब्लिक फोन बूथ नहीं है, जहाँ से इन परिस्थितियों में कोई यात्री अपने ड्राइवर या फिर घरवालों से बात कर सके। और आजकल कोई दूसरा व्यक्ति भी किसी अनजाने व्यक्ति को इन परिस्थितियों में एक फोन करने के लिए अपना फोन नहीं देता ।

यह खबर आने पर कि अमेरिका का मुल्यांकन है कि भारत, अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी बड़ी शक्ति बन गया है, कुछ विभूतियों द्वारा इन तथाकथित कुछ बेशर्मों के साथ मिलकर जश्न मनाया जाता है। यूँ तो वह कौन सा नीच इन्सान होगा जो यह न चाहे कि उसके देश का नाम दुनियांभर मे ऊपर हो, दुनियां की गिनी-चुनी हस्तियों मे शुमार हो जाये उसके देश की हस्ती भी। लेकिन कडवी सच्चाइयों को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। अमेरिका की इस घोषणा को कि भारत दुनिया की तीसरी महाशक्ति बन गया है, हमें इन अमेरिकियों द्वारा हमारा उपहास उड़ाने जैसी बात के तौर पर लेना चाहिए। Where every section is taken care of, where every penny every action can be accounted for and justice dispensed as early as possible is called superpower.

कडवी सच्चाई यह है कि एक खास धर्म के प्रचारक अपनी कुटिल अपेक्षाओं के तहत एक सोची समझी रणनीति के जरिये वह सब हासिल करने मे जुटे है, जो वह आजादी के बाद पचास सालों मे नही कर पाए थे। कारण साफ़ है कि इस देश की सत्ता के वर्तमान समीकरण उनके अपने छिपे एजेंडे के लिए सबसे अनुकूल है और अब उन्हें इस बात का डर सताने लगा है कि कौमनवेल्थ का खेल बिगड़ने की वजह से कहीं उनकी अनुकूल सरकार को अगर जनता सत्ता से बाहर फेंक देती है तो इनका बना बनाया खेल बिगड जायेगा । इसलिये इस आशंका पर भी विचार किया जाना आवश्यक है कि पश्चिम की एक ताकतवर लौबी ने यहाँ के मतदातावों को फूक में चढ़ाकर काबू मे रखने का यह नया शिगूफा छोडा हो, ताकि इन्हे लगे कि देश मे सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है, और देश वास्तव मे प्रगति कर रहा है। जरा इस कौमन वेल्थ की थू-थू का समय और अमेरिका की इस घोषणा के समय पर गौर फरमाए! अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर यह आयोजन ठीक-ठाक निपट भी गया तो क्या हम उस अन्तराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को हासिल कर पायेंगे, जो हम भ्रष्ठाचार की घटनाओं और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के प्रचार/ दुष्प्रचार की वजह से गवां चुके ?

29 comments:

  1. देख तेरे इस देश की हालत क्या हो गई भगवान...

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  2. अजी कहाँ की शर्म्……………यहाँ तो पेट भर कर डकार भी नही लेते……………और आप देश की इज्जत की बात कर रहे हैं……………।देश जाये भाड मे बस अपनी जेब भरनी चाहिये……………सिर्फ़ यही आजे के नेतओं का फ़ंडा रह गया है………………साँप निकल जाने के बाद लकीर पीटने से कोई फ़ायदा नही……………………आम जनता ही सारी फ़िक्र करे कि कैसे देश की इज्जत बचे मगर आम जनता की खून पैसे की कमाई कैसे बरबाद की जा सकती है येजानकर भी कौन देशवासी चाहेगा कि ये खेल सफ़ल हों ?क्या सारा ठेका आम जनता ने ही ले रखा है?

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  3. भाई साहब एक पोजिटिव सोच के साथ सोचे .... अगर और देशो के खिलाडी नहीं आयेंगे तो सरे पदक हमारे ही हो जायेंगे ... रही देश की नक् काटने की बात तो वो तो हमेशा से राजनेताओ के द्वारा कटती आ रही है ... इस बार जरा अंतररास्ट्रीय खबर बन जाएगी .......

    इसे पढ़े, जरुर पसंद आएगा :-
    (क्या अब भी जिन्न - भुत प्रेतों में विश्वास करते है ?)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_23.html

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  4. किससे शर्म की अपेक्षा कर रहे हैं ..
    फुर्सत कहाँ है उन्हें अपनी झोलियाँ भरने से

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  5. लो कल्लो बात्! आप भी भला किनसे शर्म की उम्मीद पाले बैठे हैं...अजी बेशर्मी ही तो राजनीति का पहला पायदान है.....

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  6. मेरा मन करता है कि आग लगा दूं...

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  7. ऎसे कमीने नेता भगवान दुशमन देश को भी ना दे..... अब जनता को जागरुक होना चाहिये, दिल्ली वालो देख लो आप के लिये जो पुल बना वो केसा था, वेसे भगवान भी खुश नही इन हरामियो से तभी तो इन की पोल बार बार खुल रही है, ओर यह बेशर्म ही ही कर के अपनी बेशर्मी पर गर्ब कर रहे है.

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  8. वाह...!
    खरा-खरा बहुत कुछ कह दिया!

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  9. मेरे कमजोर नेतृत्व की वजह से परिस्थियां ऐसी बन गई है कि आपका आवाभगत मैं पूरे सत्कार के साथ कर पाने मे असमर्थ हू, और मेरी कमियों की वजह से बहुत से जयचन्द इस देश मे पल-बढ गये है, जिनकी वजह से यह कुव्यवस्था फैली है, और जिनपर मेरा कोई नियन्त्रण नही।

    अजी बेशर्मी ही तो राजनीति का पहला पायदान है....

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  10. गोदियाल जी.. एक बार यह रिपोर्ट भी देख लीजिए, सायद आपको अपने मन का बात देखाई दे जाए...आदत के बिपरीत अईसा बात यहाम लिखे हैं...
    .
    सी डब्ल्यू जी की सी आई डी जाँचः एक्स्क्लूसिव इस ब्लॉग पर

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  11. बेशर्म सत्ता क़े दलालों को शर्म कहा देश बिकाश कर रहा है इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन गरीब भूखे भी मर रहे है ,कामन वेल्थ गेम तो कंग्रेशियो को धन कमाने क़ा साधन हो गया है .बिपक्ष भी मुद्दा उठा नहीं रहा . बहुत अच्छा खरा -खरा.

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  12. यहाँ भी आये : http://kashmirandindia.blogspot.com/2010/09/blog-post_23.html
    आपकी चर्चा है यहाँ भी ......

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  13. गोदियाल साहब,
    इनकी चमड़ी बहुत मोटी है
    कोई असर नहीं होने वाला।
    ये देश को भी खा जाएं तो
    कम ही है,और खा भी रहे हैं।
    कामन वेल्थ के नाम पर
    जनता के पैसों पर डाका डाला रहा है।
    लेकिन शर्म नहीं आएगी इन्हे।
    ये तो तय है।

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  14. गोदियाल जी , कुछ तो काम हुआ है । कम से कम हमारे आस पास तो काया पलट हो गई । गेम्स विलेज भी सुन्दर बना है । लेकिन मिडिया का ढूंढ ढूंढ कर कमियां निकालना , एक शक पैदा करता है , उनके इंटेंशन के बारे में । आखिर यहाँ दूध का धुला कौन है ।

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  15. साठ साल की बेशर्मी से चमड़ी खूब मोटी हो गयी है...
    नया बनवाते तो उतना बचता नहीं जितना रिपेयर या जीर्णोद्धार में बचता है...

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  16. कॉमन वेल्थ गेम्स में तो भ्रष्टाचार का नाला बह रहा है। एक-एक कर कई देश के खिलाडिय़ों ने आने से ना-नुकुर करना शुरू कर दी है। अभी तो पिक्चर बाकी है और बहुत कुछ होना है.......

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  17. गोदियाल जी,
    कहाँ दीवारों में सर मार रहे हो, अमेरिका जो कहेगा वो बात मानी जायेगी या आप जो कह रहे हो वो मानी जायेगी?
    मौसम बढ़िया है, पैग शैग लगाओ और चिल्ल मारो आप भी।

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  18. डा० साहब एक बड़ी टिपण्णी लिखी थी इस गोगल ट्रांसलेट की भेंट चढ़ गई ! खैर , संक्षेप में , आपकी बात से सहमत नहीं, आपने सिर्फ अपने इर्दगिर्द देखा ! ७०००० करोड़ में यह जो कुछ बनने का दावा हो रहा है, क्या यही इस सरकार की श्रेष्ठता है ? आज ऐसी नौबत क्यों आई , इस पर कौन बिचार करेगा ? हां आजकल में अगर आपको फुरसत हो तो आनंदविहार से आधा किलोमीटर आगे गाजियाबाद की तरफ डाबर चौक तक जरूर जाइयेगा इन खेलों की हकीकत पता चल जायेगी !

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  19. देश की दशा क्या है यह कौन देखेगा ? एयरपोर्ट पर पब्लिक टेलीफोन बूथ तो एक छोटी सी बात है ( बहुत बड़ी भी है ) लेकिन कल अपने एक रिश्तेदार से बात हो रही थी इ दिल्ली से महज ३०० किलोमीटर की दूरी पर एक कप चाय सड़क किनारे ५० रूपये की बिक रही है क्योंकि ऋषीकेश बद्रीनाथ मार्ग ८ दिनों से अवरुद्ध हो जाने की वजह से आवाजाही ठप्प पडी है हजारों यात्री फंसे पड़े है ! १०० रूपये कीलो आलू-प्याज बिक रहा है जबकि वह मुख्य मार्ग सीमा सड़क संघठन के अधीन आता है ! ऐसी दशा किस बात का द्योतक है ? हर जगह चरमराया भरष्ट नेतृत्व !!

    ऊपर से स्टेट्स मैन की उपाधि से नवाज रहे है , एक मुद्रास्फीति तो इतने सालों से कंट्रोल कर नहीं पाए , काहे का स्टेट्स मैन ?

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  20. अभी आगे और क्या क्या गुल खिलेंगे ??

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  21. "MELBOURNE: India bribed 72 Commonwealth countries $100,000 each to get the hosting rights for the scandal-hit 19th edition of the Games which will start in Delhi from October 3-14, a media report claimed."


    HA-HA-HA-HA, OUR GOVERNMENT, BE IT NDA OR UPA, NOTHING BUT A BUNCH OF CROOKS !!!!!!1

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  22. जागरूकता पैदा करने वाला लेख ....हर ओर भ्रष्टाचार जड़ें जमा चुका है ..

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  23. बहुत सटीक और सार्थक बात कही आपने.

    रामराम.

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  24. जरा महफ़ूज अली के मन को आग लगाने से रोका जाये.:)

    रामराम.

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  25. बहुत ही सही एवं विचारणीय बात कही आपने ।

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  26. मैंने इस पोस्‍ट को बहुत पहले ही पढ लिया था और शायद टिप्‍पणी भी कर दी थी। लेकिन हो सकता है कि किसी दूसरी बात में उलझकर टिप्‍पणी रह गयी हो। अभी देखा तो टिप्‍पणी नहीं। चलिए अब कर देते हैं। इस देश को बेवकूफ बनाने के लिए ही तीसरी पोजीशन दी गयी है जैसे पूर्व में बाजार को खेंचने के लिए ऐश्‍वर्या और सुष्मिता सेन को बनाया था। हम तो अब जन गण मन अधिनायक जय हो ही गा रहे हैं। अब हमें समझ आ रहा है हमारा राष्‍ट्रगान। आज के लिए ही तो लिखा था कि हमारे अधिनायक वापस आएंगे और तब हम बताएंगे कि देखो हम आपके आज तक वफादार हैं।

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  27. शर्म के मायने ढूंढने कि बात करते हैं . एक बार ये खेल संपन्न हो जाने दीजिये देखना सुरेश कलमाड़ी को इतने शानदार खेलों का आयोजन करवाने के लिए पद्मश्री या पद्मविभूषण अवश्य ही मिलेगा.

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  28. ये खेल है कि
    कुछ और............

    जांचना पड़ेगा जी,,,,,,,,,,,,,

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सहज-अनुभूति!

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