Tuesday, January 10, 2012

हद-ए-गुजर !

12 comments:

  1. वाह वाह गोदियाल जी !
    बहुत बढ़िया शे'र कहा है ।

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  2. गज़ब के शे'र ……………सभी एक से बढकर एक्

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  3. खुदी को कर बुलंद इतना.......:)

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  4. Vaah .. Juda sa andaaz hai ....
    Par lajawab hai ..

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  5. आह से वाह तक की सैर कराती प्रस्तुति....
    शानदार....!
    राम राम जी,
    कुँवर जी,

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  6. बहुत बढ़िया प्रस्तुति| धन्यवाद|

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  7. ला ... ज ... वा .... ब ...

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मौन-सून!

ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई,  गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...