Sunday, January 29, 2012

संकल्प !



 




भ्रष्टाचार के इस कानन में,
आग लगाना चाहता हूँ,
देश-प्रेम की नई वतन में,
अलख जगाना चाहता हूँ।

अशक्तजन का और न  होवे 
प्राबल्य सद्सद्विवेक नाश,
मन में बैठे उसके भय को,
दूर भगाना चाहता हूँ॥


परिवार एवं बंशवाद का,
हम पर कोई राज न हो,
देश तमाम में जनमानस,
रोटी को मोहताज न हो।

प्रतिरूप प्रजा का हो जिसमे ,
राज वो पाना चाहता हूँ,
देश-प्रेम की नई वतन में,
अलख जगाना चाहता हूँ॥


महाभारत के  इस कौशल में ,
हो उपोद्घात न  छक्कों का,
जन्नत और न बनने  पाये
यह लुच्चे, चोर-उचक्कों का।

अस्मिता का मातृभूमि की,
गीत मैं गाना चाहता हूँ,
देश-प्रेम की नई वतन में,
अलख जगाना चाहता हूँ॥

क्षुद्र सियासी लाभ के खातिर,
इंतियाज न कोई संचित हो,
सम-सुयोग मिले सबको,
हक़ से न कोई वंचित हो।

ऊँच-नीच, धर्म-जाति का,
हर भेद मिटाना चाहता हूँ,
देश-प्रेम की नई वतन में,
अलख जगाना चाहता हूँ॥


हर दिन हर घर में यहां   
क्रिसमस, ईद ,दीवाली हो,
देश के कोने-कोने में,
समृद्धि और खुशहाली हो।

शहीदों के सपनों का सच्चा,
स्वराज मैं पाना चाहता हूँ,
देश-प्रेम की नई वतन में,
अलख जगाना चाहता हूँ॥


छवि गूगल से साभार !




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12 comments:

  1. उसमें क्या बात है सर... हम कल फिर इस सुंदर कविता को फिर पढ़ लेंगे :)

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  2. हर संवेदनशील मन में यही कामना जागती है ,आपके स्वरों ने बहुत कुशलता से व्यक्त कर दिया है .लेकिन बाधा कहाँ आ जाती है कि हर बार वही लोग अपनी चाल खेलने में सफल हो जाते हैं .

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  3. आप के देश-प्रेम के ज़ज्बे को सलाम !
    शुभकामनाएँ!

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  4. हर भारतवासी के मन में ऐसा संकल्प हो ... बहुत सुन्दर रचना ..

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  5. यह पुकार सबके मन में संचारित हो..देश जगे..

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  6. यह कामना हम सब के मन में जाग्रत हो ..

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  7. हर घर में यहाँ रोज क्रिसमस, ईद और दीवाली हो,
    देश के कोने-कोने में,सुख-समृद्धि व खुशहाली हो।
    शहीदों के सपनों का सच्चा,स्वराज मैं लाना चाहता हूँ,
    देश-प्रेम की नई वतन में, अलख जगाना चाहता हूँ॥

    बहुत सुन्दर ख्यालात हैं .
    बढ़िया रचना के लिए बधाई स्वीकारें .

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  8. सुन्दर प्रस्तुति..
    kalamdaan.blogspot.com

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  9. बहुत ही शानदार...जानदार...
    उर्जा संचारित करने वाली कविता..... जय हो.. आपका और हम सबका सपना साकार हो....

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  10. Prernatmak evam ati ojasvi kavita hai. aapka alakh jagana avashya hi phalibhut hogi.

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  11. गुजराती हु और हिंदी में ब्लॉग लेखन शुरू किया है...
    आपको आमंत्रित करता हूँ.

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  12. आपके मित्रो को भी आमंत्रित करे

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।