...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...

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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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कल मेरे ब्लॉग पर एक टिप्पणीकार ने निम्नलिखित टिपण्णी दी , तो सोचा क्यों न उनकी ख्वाइश के मुताविक आज मैं भी एक अच्छी पोस्ट लिख डालूँ ; Kumar ...
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पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
नज़र आता है ... पर इतना शोर मचा देते हैं दूसरों का ही की अपनी बात छुप जातई है ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
और फिर कुत्ता कुत्ते को कुत्ता तो नहीं बोलता
ReplyDeleteदूसरो पर छीटाकशी से फुर्सत कहा की अपने भी अन्दर झांक सके ...
ReplyDeleteये अदा पसंद आई. सुन्दर ! आभार !!
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