...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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साम्यवादी कीड़ा !
लगे है दिल्ली दानव सी, उन्हें जन्नत लगे कराची है, तवायफ बनकर लेखनी जिनकी, भरे दरवारों में नाची है। हैं साहित्य मनीषी या फिर वो अपने हित के ...
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नोट: फिलहाल टिप्पणी सुविधा मौजूद है! मुझे किसी धर्म विशेष पर उंगली उठाने का शौक तो नहीं था, मगर क्या करे, इन्होने उकसा दिया और मजबूर कर द...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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हाथ जोड़कर पहले कहे देता हूँ, ज्यादा नहीं लिखूंगा, क्योंकि इन जड़-बुद्धि स्वदेशियों की समझ में ख़ास कुछ नहीं घुसने वाला ! मगर क्या करू कहना, ...
नज़र आता है ... पर इतना शोर मचा देते हैं दूसरों का ही की अपनी बात छुप जातई है ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
और फिर कुत्ता कुत्ते को कुत्ता तो नहीं बोलता
ReplyDeleteदूसरो पर छीटाकशी से फुर्सत कहा की अपने भी अन्दर झांक सके ...
ReplyDeleteये अदा पसंद आई. सुन्दर ! आभार !!
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