...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Tuesday, May 26, 2020
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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अगस्त २००८ के आस-पास मैंने ब्लॉग-जगत में कदम रखा था! तबसे ब्लोगर मित्रों और सम्माननीय पाठकों की प्रेरणा पाकर मैंने एक लघु उपन्यास, ४१ कहानिय...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
लॉजिक है आपकी बात में।
ReplyDeleteसुप्रभात, सर जी।
ReplyDeleteसत्य कथन,इन्सान ने अन्य जीवों पर और सारी प्रकृति पर जो अत्याचार किये है उसी का खामियाज़ा भुगत रहा है आज.
ReplyDeleteआभार, प्रतिभा जी।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.5.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3715 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
वाह! लाजवाब आदरणीय सर.
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब।
ReplyDeleteकरम गति टारे नाहि करें।
आप सबका, शुक्रिया।
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