...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Tuesday, May 26, 2020
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सहज-अनुभूति!
निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना, कि...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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आज तडके, दूर गगन में, एक अरसे के बाद, फुरसत से, सूरज अपनी महबूबा, चाँद से मिला, और कुछ पलों तक दोनों एक दूसरे को निहारते रहे, जी...
लॉजिक है आपकी बात में।
ReplyDeleteसुप्रभात, सर जी।
ReplyDeleteसत्य कथन,इन्सान ने अन्य जीवों पर और सारी प्रकृति पर जो अत्याचार किये है उसी का खामियाज़ा भुगत रहा है आज.
ReplyDeleteआभार, प्रतिभा जी।
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28.5.2020 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3715 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
वाह! लाजवाब आदरणीय सर.
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब।
ReplyDeleteकरम गति टारे नाहि करें।
आप सबका, शुक्रिया।
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