Monday, February 19, 2024

ठिठुरन

 


1 comment:

  1. एक उम्र है जो पूरी होने को है.
    भावपूर्ण.

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मौन-सून!

ये सच है, तुम्हारी बेरुखी हमको, मानों कुछ यूं इस कदर भा गई, सावन-भादों, ज्यूं बरसात आई,  गरजी, बरसी और बदली छा गई। मैं तो कर रहा था कबसे तुम...