नोबेल शान्ति पुरुष्कार २००९ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा को देने की घोषणा की खबर जनमानस के लिए यदि आश्चर्यजनक नहीं थी, तो सहज पचने योग्य भी नहीं थी ! एक वक्त था ,जब इस पुरुष्कार की सही मायने में एक अलग प्रतिष्ठा थी ! इंसान जिसे पाने के लिए अपने हुनर को तन-मन से अपने उद्देश्य में झोंक देता था, मगर कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच इसे बामुश्किल ही प्राप्त कर पाता था! हो सकता है कि बराक हुसैन ओबामा आगे चलकर अंतर्राष्ट्रीय शान्ति के एक प्रमुख दूत उभर कर आये, लेकिन यह बात गले नहीं उतरती कि महज अपने ९ महीने के शासन काल में उन्होंने ऐसा क्या कर दिखाया है, जो इस पुरुष्कार की चयन समिति द्बारा उन्हें इस योग्य समझ लिया गया ? अगर अमेरिकी डेमोक्रेतिवे पार्टी उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनाती तो २ साल पहले तक उन्हें जानता कौन था ? सवाल यह नहीं है कि उन्हें यह पुरुष्कार क्यों मिला, सवाल यह है कि क्या इस इतनी बड़ी दुनिया में उनके अलावा एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो अन्तराष्ट्रीय शान्ति का दूत कहलाने के काबिल हो ? अगर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कुछ आक्रामक नीतिया अपने शासन काल में नहीं अपनाई होती तो बराक ओबामा को किस आधार पर ये शान्ति दूत कहते ?
समय के साथ-साथ जिस तरह इस प्रतिष्ठित पुरुष्कार की चयन समिति के लोगो द्वारा संकीर्ण मानसिकता के चलते इसकी अहमियत का ह्रास किया गया है वह निंदनीय है ! जरुरत है आज रेवड़ियों की तरह इसके वितरण पर रोक लगाने की , ताकि यह अपनी साख जन मानस के बीच बचाए रख सके !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
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आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं
ReplyDeleteमेरी शुभकामनाएं.
sanjay
बहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
लालू या माया वती मर गये थे, इन्हे दे देते ओर यह बताते कि अपनी गरीबी केसे मिटा कर जनता के खुन पसीने की कमाई को केसे बर्बाद किया जाता है... सभी तरफ़ चोर बेठे है
ReplyDeleteगोदियाल साहब सही कहा है आपने किस बात पर ये पुरस्कार दे दिए ? हां एक बात है इन्होने ओसामा के लिए किसी देश पर बम नहीं बरसाया :)
ReplyDelete९ महीने नहीं ........ इस पुरूस्कार का निर्णय उनके राष्ट्रपति बन्ने के २ महीने के अन्दर हो गया था ......... ये एक घिनोना मज़ाक है ...........
ReplyDeleteअमेरिका के प्रेजिडेंट बराक ओबामा को शान्ति के लिए नोबल पुरस्कार।
ReplyDeleteहा, हा, हा, हा, हा, हा,हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा, हा,
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कमाल है! हर जगह हमारी जैसी ही है सरकार।
आप सही कहते हैं !
ReplyDelete१००% सहमत
ReplyDeleteये तो अपने इधर वालों को भी फ़ेल कर दिये !
सोचने वाली बात ही है ऐसा क्या कर दिए ओबामा जी जो उन्हे इतने कम समय में ऐसी बड़ी उपलब्धि मिल गई..
ReplyDeleteरेवडि़यां तो होती ही
ReplyDeleteअंधों के द्वारा बांटे जाने के लिए हैं
उन्हें भी नहीं बांटा जाएगा
तो
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनन को दे
मुहावरा कैसे सार्थक हो पाएगा।
puraskar dene wali sanstha bhi upkrit hone ke liye puraskrit karti hai
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा आपने अँधा बाँटे सीरनी मुड मुड अपनों मे ये पंजाबी कहावत सही बैठती है और भाटिया जी की टिप्पणी भी बिलकुल सही है आभार्
ReplyDeleteइससे तो नोबल पुरस्कार की प्रतिष्ठा भी सन्देह के दायरे में आ गई।
ReplyDeleteबहुत बधाई हो जी।
ReplyDeleteब्लॉगिंग में तो दो ही लोग इसके हकदार है।
नोबेल शान्ति पुरुष्कार २००९ अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा को .....???
ReplyDeleteसही कहा आपने ......."समय के साथ-साथ जिस तरह इस प्रतिष्ठित पुरुष्कार की चयन समिति के लोगो द्वारा संकीर्ण मानसिकता के चलते इसकी अहमियत का ह्रास किया गया है वह निंदनीय है ! जरुरत है आज रेवड़ियों की तरह इसके वितरण पर रोक लगाने की , ताकि यह अपनी साख जन मानस के बीच बचाए रख सके ! "