चौक-चौराहों पे लटका के तेरा बुत,
बनाते उसे अपने तिजारत की ढाल !
आके तो देख साबरमती के संत,
तेरे ये भक्त, क्या-क्या कर रहे कमाल !!
पब्लिक को सरे-आम मूर्ख बनाते,
थोक ,फुटकर दोनों ही में कमाते ,
बदन पर अपने ओढ़कर खादी,
इन्होने देश की तिजोरी खा दी ,
अपने लिए क्या-क्या नहीं जोड़ा,
मवेशियों का चारा भी नहीं छोडा,
खेल, टूजी ,कोलगेट सब छा गए ,
तोपे, शहीदों के कफ़न भी खा गए,
रोडपति से चलकर करोड़पति की चाल !
गए कई क्वात्रोक्की होकर माला-माल,
आके तो देख साबरमती के संत,
तेरे ये भक्त, क्या-क्या कर रहे कमाल !!
कुछ इस तरह भी ;
लूट खा गए देश तिजोरी,
मिलकर राजा रंक दे नाल,
मिलकर राजा रंक दे नाल,
साबरमती के संत देख,
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
मंदी में भी खूब लहराया,
२जी,सीडब्ल्यूजी मायाजाल,
२जी,सीडब्ल्यूजी मायाजाल,
साबरमती के संत देख,
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
लोकतंत्र की आड़ में,
राजनीति इन्होने अजब चलाई,
प्रजा को दे दी दरिद्रता,
और खुद खा रहे है रस-मलाई !
और खुद खा रहे है रस-मलाई !
लुच्चे-लफंगे, चोर-उचक्के,
हो गए हैं सबके सब मालामाल,
हो गए हैं सबके सब मालामाल,
साबरमती के संत देख,
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
शतरंज बिछाकर बैठा है ,
वर्षों से इक बाहुबली घराना,
वर्षों से इक बाहुबली घराना,
मुश्किल सा लगता है,
उस कुटिल फिरंगी को हराना !
उस कुटिल फिरंगी को हराना !
सोची-समझी होती है,
उसके चमचों की हर चाल,
उसके चमचों की हर चाल,
साबरमती के संत देख,
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !
मन शठता से भरा है,
तन पर पहने रहते है खादी,
तन पर पहने रहते है खादी,
निहित स्वार्थ पूर्ति हेतु।
लिख रहे हैं ये देश बर्बादी !
लिख रहे हैं ये देश बर्बादी !
कुत्सित कृत्य देखकर इनके,
मुंह फेरे इनसे महाकाल,
साबरमती के संत देख,
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !!
तेरे पूतों ने क्या किया कमाल !!
भक्त यहाँ गजब का कमाल कर रहे है , धोती को फाड़कर रुमाल कर रहे है
ReplyDeleteदो अक्टूबर के दिन शास्त्री जी की भी जयंती होती है,कितने जानते है ??
ReplyDeleteभारत माता के सच्चे 'लाल', लाल बहादुर शास्त्री जी को मेरा शत शत नमन !
मिश्रा जी एकदम सही कहा आपने, हम लोग उन्हें इसलिए भूल जाते है कि बेचारे एक सरीफ इन्सान थे और आजके युग में सरीफो को कौन पूछता है !, खैर मेरी भी उनको शर्धाजली !
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब रचना। शानदार व सशक्त लेखन। बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता, कमाल कर दिया आप ने.धन्यवाद
ReplyDeleteबिलेटेड पर धमाके दार कविता बापू को समर्पित..
ReplyDeleteबहुत सुंदर धन्यवाद!!!
सादगी के नाम पर पिछले साठ-बासठ सालो में,
ReplyDeleteइन्होने यहाँ अपने लिए क्या-क्या नहीं है जोड़ा !
तोपे हजम कर ली, शहीदों के कफ़न खा गए,
और तो और पशुओ का चारा भी नहीं छोडा !!
वाह...!
क्या खुलकर लपेटा है।
गजब का कमाल है।
बिलेटेड हैप्पी बर्थडे बापू !
ReplyDelete"मिड डे मील ....... पढ़ाई-लिखाई सब साढ़े बाइस !!"
godiyaal ji
ReplyDeletenamaskaar ;
aapki is kavita ke baare me main kya kahun .. aaj ki vyavastha ki khoob khilli udhayi hai ..
ise kahin print me dijiyenga ..
meri badhai sweekar kare..
dhanywad
vijay
www.poemofvijay.blogspot.com
तोपे हजम कर ली, शहीदों के कफ़न खा गए,
ReplyDeleteऔर तो और पशुओ का चारा भी नहीं छोडा ....
sahi kaha .. baapoo ke naam par ... abhi kya kya hona baaki hai ... sach likha hai