Tuesday, October 13, 2009

चोरो के पैसो पर ऐश करता एक देश !

ऐसा अनुमान है कि १९४७ में आजादी के तुंरत बाद से अब तक हम भारतीय, जिनमे हमारे नेता, अफसर और कुछ व्यावसायिक घराने शामिल है, अपने देश का धन चुराकर तकरीबन बारह खरब रूपये अकेले सिर्फ स्विस बैंक के खातो में जमा कर चुके है ! यूँ तो समय-समय पर इस देश में यह मांग उठती रही है कि विदेशी बैंको में पडा इस देश का काला धन वापस देश में लाया जाए और इस देश के विकास कार्यो में लगे, मगर यह बात भी किसी से छुपी नहीं कि हम लोग और हमारी सरकारे इस दिशा में कितनी ईमानदारी से पहल करने की कोशिश करते है ! अभी हाल के चुनावों से पहले भी यह मुद्दा खूब उछला लेकिन उसके बाद क्या हुआ ? वही ढाक के तीन पात ! सबके पास रटा-रटाया एक ही एक्सक्यूज होता है कि स्विस राष्ट्रीय बैंक अपनी गुप्त नीति के तहत इन खातो के आंकडे मुहैया नहीं करा सकती ! दुनिया भर में लोगो के बढ़ते विरोध के बाद स्विस बैंकर एसोशियेसन ने एक नया सगूफा छोड़ दिया है ! अब वे कहते है कि इस बर्ष दिसम्बर माह से वे खातेदार का अता-पता बताये बगैर जिन देशो के साथ उनकी दोहरी कर संधि है उन देशो के खाता धारियों की आय पर वे टैक्स लगाकर उस पैसे को उस देश को दे देंगे जिसके ये खाते है ! अकेले अमेरिका के खाताधारियों के ही स्विस बैंक में ४४५० खाते इस वक्त है !

कितनी हास्यास्पद बात है कि हम लोग अपने देश से धन चोरी करके ले जाकर एक विदेशी देश के हवाले कर देते है और वह मजे में बैठकर हमारे उस चोरी के माल से अर्जित कमाई से ही मोटा सेठ हुए जा रहा है और ऐश कर रहा है ! आइये एक नजर कुछ उन आंकडो पर डाले !
२००६ में प्रकाशित कुछ आंकडो के हिसाब से स्विस बैंक में शीर्ष पांच चोरो में से भारत के चोर सबसे ऊपर थे :

स्विट्जरलैंड में जमा शीर्ष पांच देशो के खाताधारियों का धन :

India-------$1456 billion (यानी करीब सात खरब तीस अरब रूपये)
Russia------$ 470 billion
UK----------$ 390 billion
Ukraine-----$ 100 billion
China-------$ 96 billion


यानी भारत से ही करीब सात खरब तीस अरब रूपये खातेदारों द्बारा स्विस खाते में जमा थे, और ८ % साधारण ब्याज की दर से भी स्वीटजरलैंड साल के ५६ अरब रूपये सिर्फ हमारे चोरो द्बारा जमा किये गए काले धन में से ही कमा लेता है ! तो अब आप ही बतावो कि जब बैठे -बिठाये उनकी इतनी कमाई हो जाती है तो उन्हें और कुछ करने की जरुरत क्या है ? हम दुनिया में तरह-तरह के अपराधो की बात करते है और उन देशो पर पश्चिमी राष्ट्र कारवाही करने की कोशिशे भी करते रहते है जो इन अपराधो को बढावा देते है ! मगर जो एक देश खुले आम आर्थिक अपराधो को इस तरह बढावा दे रहा है, उसके खिलाप कार्यवाही की कोई बात नहीं करता !

17 comments:

  1. आर्थिक अपराधियो के मकडजाल से देश कराह रहा है.
    चिंता जायज है

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  2. अब जब सारे देशों के बड़े चोरों को उस देश ने सहूलियत दे रखी है तो कोई कार्यवाही कैसे होगी.....कहते हैं न चोर चोर मौसेरे भाई.....

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  3. ये दुनिया दोहरे माप्दाह्दों पर टिकी हुयी है ......... पर ऐसे देशों पर तो कार्यवाही होनी ही चाहिए ....... पर अपने देश में बी कुछ न कुछ तो होना चाहिए ...........

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  4. अपने देश में भी इस तरह का एक बैंक होना चाहिये जिससे चोरों को पैसा जमा करने बाहर ना जाना पडे देश का पैसा देश में ही रहे और देश के विकास में काम आये ।

    सबसे पहले स्विस बैक का सारा पैसा लाकर अपने देश में वैसा ही गोपनीय नीति वाला बैंक बनाकर उसमें जमा करवा देना चाहिये ।
    इससे दूसरे देशों के चोरों का धन भी इधर के बैंक मे आने लगेगा ।

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  5. u have raised big, vital issue.Black Laxmi, black Diwali

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  6. गोदियाल साहब नमस्कार,
    क्या करेगे जनता तो पढ रही है लेकिन ओ तो नही पढ रहे है जिन्के लिये लिखा गया है

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  7. वही तो पैसा तो है हमारा ही अब चाहे वह चोरी का हो। लेकिन चोरो को ये कौन समझायें

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  8. पी.सी. गोदियाल, अगर भारत सरकार चाहे तो एक दिन मै पता चल सकता है स्विस वालो ने तो खुद कहा है कि ले जाओ पेसा... लेकिन कोन सी सरकार इस बिल को पास करेगी सभि के खाते यहां है.सभी चोर है...कोन मारेगा अपने पांव पर कुलहाडी

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  9. चिन्ता करने कि सिवाए कुछ नहीं हो सकता.

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  10. सब जानते हैं, चिन्तित है पर कर कुछ नहीं पा रहे हैं.

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  11. न चोर चोर मौसेरे भाई.....hai.nice

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  12. आपकी रिपोर्ट अच्छी है किन्तु जिस सरकार ने ये धन पिछले ५० सालों में कमाया और कमाने दिया वो आखिर क्यों चाहेगी कि ये आज खुले ?

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  13. "हम भारतीय, जिनमे हमारे नेता, अफसर और कुछ व्यावसायिक घराने शामिल है, अपने देश का धन चुराकर तकरीबन बारह खरब रूपये अकेले सिर्फ स्विस बैंक के खातो में जमा कर चुके है!"

    चौंसठ कलाओं में एक "चौर्य कला" भी है जिसमें आज भी हमारे लोग निपुण हैं!

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  14. कबिरा इस संसार में भांति भांति के लोग---
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  15. सही बात है चिन्ता के इलावा हम क्या कर सकते हैं चोरों के खाते हैं और चोर ही ला सकते हैं मगर वो ाइसा क्यों करेंगे। बहुत अच्छा आलेख है शुभकामनायें

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  16. Bhaarat Sarkaar ko apni vishvasniyataa banaa kar gopniya taur pe ye paise laane ka vikalp saral lagtaa hai,
    aur kyaa ho saktaa hai?

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।