Saturday, October 31, 2009

अब चित्रकार द्बारा भयादोहन ( ब्लैक मेलिंग ) !

पता नहीं, इस देश में इन तथाकथित अल्पसंख्यको की भयादोहन की मानसिकता कब सुधरेगी ! पता चला है कि एक खबरिया टीवी चैनल को दिए अपने साक्षात्कार में, कानून से बचकर भागते हुए पिछले चार सालों से विदेश में रह रहे वरिष्ट चित्रकार ९४ वर्षीय श्री मकबूल फिदा हुसैन ने इस शर्त पर तत्काल देश लौटने की इच्छा जाहिर की है कि यदि सरकार उन्हें संरक्षण और सुरक्षा मुहैया कराये तो वो तुंरत ही स्वदेश आने को बेताव है, और आकर तुंरत चिदम्बरम साहब का आदाब भी करेंगे !

जहाँ तक कला की बात है, मैं चित्रकारी के विषय में बहुत ज्यादा ज्ञान तो नहीं रखता, मगर जितना कुछ रखता हूँ उसके आधार पर कह सकता हूँ कि निसंदेह हुसैन साहब एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार है, चाहे वो जिस आधार पर भी बने हो! चूँकि आज स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी की पुण्य तिथि है, इसलिए मुझे याद आ रहा है कि एक जमाना था, जब ये हुसैन साहब स्वर्गीय गांधी को खुश करने हेतु और खुद को प्रकाश में लाने हेतु उनकी भिन्न-भिन्न दुर्गा रूपी तस्वीरे बनाया करते थे, और जब थोडा सा प्रसिद्धि पा ली, तो इन्होने दुर्गा को किस रूप में पेंट किया, किसी को बताने की जरुरत मैं नहीं समझता! अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देकर अगर इस तरह दूसरे धर्मो की अवमानना की जाती है, उन्हें ठेस पहुंचाई जाती है, और साथ में यह भी कहते है कि लोगो को आधुनिक कला का ज्ञान नहीं है, इसलिए वे इन कलाकृतियों की महता नहीं समझ सकते, तो जनाव, आपके अपने धर्म में ही सुधार रूपी ऐसी कई कलाकृतियों की बहुत ज्यादा गुंजाइश है आप उस पर क्यों नहीं अपना हुनर दिखाते ? आपने एक पिक्चर भी बनाई थी, मुल्लाओ के ज़रा से विरोध के बाद उसे क्यों वापस ले लिया ? सीधा सा जबाब है कि जनाव दोगले है! ये जनाब जो आज वतन लौटने के लिए इतने बेताब है, इनसे पूछा जाए कि ये अगर इतने ही महान थे, और अपने वतन से प्यार करते थे, तो भागकर गए ही क्यों थे ?

खैर, इस बारे में तो पहले ही बहुत बहस हो चुकी, अत: मैं जो कहना चाहता था, वह यह कि ये जैसे भी हो, मगर अगर सरकार अपनी तुष्टीकरण निति के अन्दर इनकी मांगे मानती है, तो सार्वजनिक तौर पर उसका विरोध किया जाना चाहिए ! ये अपने वतन लौटे और कोई अपराध किया है तो यहाँ के कानूनों का सामना एक आम नागरिक की भांति करे, इनको स्पेशल दर्जा किस बात का ? जहां तक व्यक्तिगत सुरक्षा का सवाल है, इन्होने करोडो रूपये पेंटिंग बेच कर कमाए है, और इतनी हैसियत रखते है कि गार्डो की एक पूरी फौज अपने घर में रख सके, सरकार के खाते में सुरक्षा की जरुरत क्या है ?

11 comments:

  1. THERE IS NO BIGGER MANIPULATOR THAN HIM IN THE ART WORLD TODAY . A SECTION OF MEDIA CREATES SUCH CELEBRITIES AS M.F. ! DHIKKAR .

    ReplyDelete
  2. पूरी सम्भावना है कि उनकी शर्त मान ली जायेगी। हमारा देश सेक्युलर(?) जो है।

    ReplyDelete
  3. जय हो महाराज-गरियाए रहो-ई देश मा सबै जायज है,इ है सेकुलरिजम है

    ReplyDelete
  4. "...ये जैसे भी हो, मगर अगर सरकार अपनी तुष्टीकरण निति के अन्दर इनकी मांगे मानती है, तो सार्वजनिक तौर पर उसका विरोध किया जाना चाहिए ! ये अपने वतन लौटे और कोई अपराध किया है तो यहाँ के कानूनों का सामना एक आम नागरिक की भांति करे, इनको स्पेशल दर्जा किस बात का ? जहां तक व्यक्तिगत सुरक्षा का सवाल है, इन्होने करोडो रूपये पेंटिंग बेच कर कमाए है, और इतनी हैसियत रखते है कि गार्डो की एक पूरी फौज अपने घर में रख सके, सरकार के खाते में सुरक्षा की जरुरत क्या है?"

    गोदियाल जी!
    आपने चिड़िया की आँख पर सही निशाना लगाया है। 100 प्रतिशत सही बात कही है।

    ReplyDelete
  5. इन्होने करोडो रूपये पेंटिंग बेच कर कमाए है, और इतनी हैसियत रखते है कि गार्डो की एक पूरी फौज अपने घर में रख सके, सरकार के खाते में सुरक्षा की जरुरत क्या है?" बिलकुल सही, लेकिन हमारी दोगली सरकार को देश से ज्यादा, वोटो की चिंता है ओर हिन्दू जल्द ही यह सब भुल कर हर बार इस दोगली सरकार को ही वोट पर वोट देते है, ओर बदले मै मुंह पर थुं करवाते है... इस सुअर को देश मै लाना ओर सुरक्षा देना हिन्दूओ के मुंह पर थुं नही तो फ़िर ओर क्या है??
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  6. उन्हें पर्सनल गार्ड तो रखना ही पड़ेगा -सरकार किस किस जगह उनकी रक्षा करेगी -इस्लामी प्रतिक्रया में कुछ हिन्दुओं का भी जमीर अब जग चुका है !

    ReplyDelete
  7. Ismein koi shaque nahin ki inki shart (ichcha) maan li jayegi.... bhai...... painting banate ho to painting banao na.... doosre dharmon ki avmaanna kyu nkarte ho? aur yeh congress sarkaar..... isne shuru se aisa mahaul paida kiya hai ki .... ki kuch so called musalmaan aur secularists sar pe chad kar m**t rahe hain.....arey! kuch aachaar-vichaar bhhi apne andar dalne padte hain.... yeh ! maqbool jaise logon ke saath dikkat yahi hai ki inke maa-baap ne inhe sanskar nahin diye..... doosron ki izzat karna nahin sikhaya.........

    saari galti sanskaron ki hai.... ..ek baat aur kahun..... to mere research mein yahi nikla hai ki musalmaan ek anpadh kaum hai.... poori duniya mein.... jis din yeh padh likh gaye us din sudhar jayenge.... aur sattadhaari aur so called secularists yahi nahin chahte.....

    baat sahi hai ki .... bhaiya to bhaage hi kyun agar itna pyar karte they apne watan se to..... ? aur jab waapis aana hai to sarkaar ka moonh kyun taakna.... apne dum pe aao na..... inhe dar asal mein khud ki hi kaum se hai....

    ReplyDelete
  8. SACH LIKHA HAI AUR MEIN BHI MAANTA HUN KI KISI BHI KALA AUR KALAKAAR KO YE HAQ NAHI MILTA KI VO SAARVAJANIK TARIKE SE KISI KI BHI BHAAVNAAON KA APMAAN KARE ......
    VASE IS BAAT KI POORI UMMEED HAI KI SARKAAR UNKI BAAT MAANEGI ....

    ReplyDelete
  9. नये नये जमाने के रंग में रंगने के लिए जो कुछ करना पड़ता है वही सब किया उन्होने अब क्या कहे ये सब आदमी के सोच पर निर्भर करता है..देखते है सरकार क्या करती है उनके सुरक्षा के लिए..बढ़िया चर्चा..धन्यवाद!!

    ReplyDelete
  10. भई वो चाहते होंगे कि आखरी साँस यहीं लें ।

    ReplyDelete
  11. शरद कोकास said...
    भई वो चाहते होंगे कि आखरी साँस यहीं लें ।
    agar aa gaye to aakhiri saans to le hi lenge.. poori guaranntee hai!!!

    waise politics se door hi rahna chahte hain ham par kya karein.. itna to kah hi denge ki sickularism paal posh rahe hain ham.. inhein vote de dekar... galti hamari hai, aur sudharni bhi hamein hi hai...

    ReplyDelete

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।