Wednesday, October 7, 2009

करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये !

सभी जीजावो-बहनों, भाइयो और भाभियों को मेरी तरफ से करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये, इन दो पंक्तियों के साथ :

ऐ चाँद तू भी क्या  सितम  ढाता है !
बचपन में मामा,
और जवानी में सनम नजर आता है !!



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ऐ मुए चाँद ,
तेरी वजह से बचपन में 
मैंने भी खूब डांट खाई है,
करवाचौथ के दिन तुझे निहारते हुए 
मम्मी से पूछ बैठा था 

कि क्या ये मामू आपका भाई है।     

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11 comments:

  1. चांद !
    तू मेल का भी सनम है
    फ़ीमेल का भी सनम है
    तू कितने रूपों में भरमाता है
    भूखे को रोटी नजन आता है

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  2. ऐ चाँद तू भी क्या सित्तम ढाता है !
    बचपन में मामा,
    और जवानी में सनम नजर आता है !!

    hahahahahahahaha.............
    sahi kah rahe hain.........
    yeh chaand bhi na......... waqt ke saath khud ko bhi badal leta hai........

    waise.......... aapke is lekh ke thru ...... main bhi........ sabhi jeejaon, bahnon aur bhabhion ko karwa chauth ki shubhkaamnaayen deta hoon.........

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  3. आपको भी करवाचौथ और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
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    बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?

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  4. .हा हा हा हा मस्त लगी आपकी ये शायरी , आपको भी शुभकामनाये

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  5. सिर्फ इतना ही नहीं और भी बहुत कुछ नज़र आता है
    भूखे को रोटी, तनहा को दोस्त, ज्यादा जानकारी के लिए गुलज़ार के पास जाइये...

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  6. इस तरह चान्द हमको मामा बनाता है । आपने करवा चौथ का उपवास रखा या नही ?

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  7. बहुत धांसू शायरी लिखी है आपने। कमेंट में भी जो थोड़े बहुत शायर हृदय थे, अपना जौहर दिखाने से नहीं चूके।

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  8. kyaa baat hai

    ऐ चाँद तू भी क्या सित्तम ढाता है !
    बचपन में मामा,
    और जवानी में सनम नजर आता है

    bahoot hi khoobsoorat sher hai ...

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  9. बहुत बढ़िया शेर गढ़ा है जी।
    तारीफ के लिए शब्द ही नही हैं।

    करवाचौथ की आपको बहुत-बहुत बधाई!

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  10. चांद पे पानी है या नहीं ये बहस जारी है पर पत्नियां उसके इंतजार में प्यासी रहती हैं.

    ये चांद भी अजब है.

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।