देर से ही सही, मगर सभी ब्लोगर मित्रो को विजय दशमी और दशहरा की हार्दिक शुभकामनाये ! तीन-चार रोज के लिए अपने बचपन के दोस्त शुकून और शान्ति को ढूँढने उनकी तलाश में सड़क मार्ग से एक लम्बे और थकाऊ सफ़र पर निकल गया था ! खैर, जैसा कि मुझे पहले से अंदेशा था, दोनों नहीं मिले ! बस, इस सफ़र में कोई मिला भी तो बदइन्तजामी के उबड़-खाबड़ रास्ते और उनपर उडती व्यवस्था की धज्जियों की धूल ! और हद तो तब हो गई, जब राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे एक कसबे के इकठ्ठा लोग बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल करने सड़क पर यातायात अवरुद्ध कर बैठ गए ! तकरीबन सवा घंटे के बाद जब रावण जी जलाये गए, तभी जाकर धीरे-धीरे यातायात खुल सका ! मंजिल पर जल्दी पहुँचने की फिराक में जब कुछ कार चालको ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस के एक सिपाही के आदर्श वचन भी सुनने को मिले ! वे कार चालको से कह रहे थे कि दीखने में तो आप लोग पढ़े लिखे ड्राइवर लगते है और ...... ! "
मैं उमस भरी गर्मी में सीट पर बैठा-बैठा बस अपनी ही दुनिया में गुम था ! कभी पागलो की तरह यह सोच कर हस देता कि बड़ी अजीब है आज की दुनिया ! वैसे तो अमूमन भगवान् राम के पात्र बने व्यक्ति ही रावण पर अग्नि वाण छोड़कर उसे जलाते है, लेकिन तब एक हास्यास्पद स्थिति आ खड़ी होती है जब कहीं कहीं पर आज का रावण खुद तीर छोड़कर अपने ही पुतले को आग के हवाले करने पहुँच जाता है ! कभी उस बहुत पुराने चुटकुले को याद करने की कोशिश करता जिसमे एक नास्तिक किस्म का अंग्रेज होता था और जो कहता था कि भगवान्-खुदा कुछ नहीं होता, सब बकवास है ! लेकिन एक बार वह भारत भ्रमण पर आया, खूब घूमा और लौटते में जब एक पत्रकार ने उनसे इस भ्रमण पर उनकी प्रतिक्रिया चाही तो वे बोले, कि मैंने अपनी राय बदल दी है, मैं मानता हूँ कि भगवान् है, वरना यह देश कैसे चल रहा होता ?
खैर, मैं बात से भटक गया, मैंने आज यह बताने के लिए कलम पकडी थी कि वैसे तो आप लोग सभी गोगल सर्च के बारे में भली भांति जानते है और उस बारे में कुछ बताना अतिशयोक्ति होगी ! लेकिन मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूँ कि जब कभी आपके पास फुरसत ही फुरसत हो, और लिखने के लिए कुछ ना सूझ रहा हो तो गोगल सर्च पर अपना निक नेम ( जिस नाम से आप अपने ब्लॉग पर लिखते है) को डालकर सर्च करे ! आप पावोगे कि आपकी सालो पुरानी सारी यादे ताजा हो गई, आपने क्या लिखा था, किसको क्या टिपण्णी दी थी.... इत्यादि-इत्यादि सब मिल जाएगा एक ही जगह, और यकीन मानिए उसे कभी-कभार पढने से भी बड़ा शकुन मिलता है !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
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आपको भी दशहरा की हार्दिक बधाई.. और हाँ बड़ी अच्छी बात कही आपने कभी कभी अपने अतीत की बातें और उनसे जुड़ी घटनाओं को सोचने पर दिल को बहुत शुकून पहुँचता है..
ReplyDeleteवो अग्रेज सच बोल गया,आप को ओर आप के परिवार को दशहरा की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteअपना पुतला जलाने वाले रावणो की कितनी याद करें लेकिन एक सर्च अपने दिमाग मे भी है गोदियाल जी जहाँ हम कई कई चीज़ें डालते रहते है ..कविता की कोई पंक्ति, कोई खुशबू, कोई स्वर , कोई फुसफुसाहट , कोई चीख ,रूदन की कोई आवाज़ कोई कहकहा .. कितनी दूर तक ले जाता है यह सब ।
ReplyDeleteगोदियाल साहब,
ReplyDeleteआपको भी दशहरे की हार्दिक शुभकामनायें।
सुझाव बहुत ही अच्छा लगा किसी दिन फुरसत में यह कोशिश करूंगा कि गूगल सर्च पर अपने को खोजा जाये।
सही कहा है कि हम ईश्वर भूमि के रहवासी हैं जभी तो हमारे यहाँ कदम रखते ही अंग्रेज भी मान बैठे की ईश्वर है और उन्हें हमारे देश में महसूस किया जा सकता है।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
आपने मेरे परिचय को पढ़ा और सराहा, धन्यवाद!!!
जब कभी आपके पास फुरसत ही फुरसत हो, और लिखने के लिए कुछ ना सूझ रहा हो तो गोगल सर्च पर अपना निक नेम ( जिस नाम से आप अपने ब्लॉग पर लिखते है) को डालकर सर्च करे ! आप पावोगे कि आपकी सालो पुरानी सारी यादे ताजा हो गई, आपने क्या लिखा था, किसको क्या टिपण्णी दी थी.... इत्यादि-इत्यादि सब मिल जाएगा एक ही जगह, और यकीन मानिए उसे कभी-कभार पढने से भी बड़ा शकुन मिलता है !
ReplyDeleteदिल के बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है।
टाइम-पास का गुर बताने के लिए आभार!
बस इस सफ़र में कोई मिला भी तो बदइन्तजामी के उबड़ -खाबड़ रस्ते और उन पर उड़ती व्यवस्था की धज्जियों की धुल.
ReplyDeleteपर भाई गूगल सर्च पर मिली व्यवस्था ही व्यवस्था...........
भाई यही तो अंतर है कंप्यूटर की कार्यविधि में और इंसानी कार्यविधि में.............
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
गोदियाल साहब,
ReplyDeleteआपको भी दशहरे की हार्दिक शुभकामनायें।
आप पावोगे कि आपकी सालो पुरानी सारी यादे ताजा हो गई, आपने क्या लिखा था, किसको क्या टिपण्णी दी थी.... इत्यादि-इत्यादि सब मिल जाएगा एक ही जगह, और यकीन मानिए उसे कभी-कभार पढने से भी बड़ा शकुन मिलता है !
ReplyDeleteAaadarniya Godiyal sahab......
bilkul sahi kaha aapne......... abhi maine try kiya hai..... aap ke kahne pe......
aapko dussehere ki haardik shubhkaamnayen.....
आपके कहे अनुसार मैं कभी कभी सर्च किया करती हूं .. बहुत ऐसे लिंक्स भी हमें मिल जाते हैं .. जिसपर अबतक हमलोगों का ध्यान नहीं गया था !!
ReplyDeleteaadrniya Godiyal sahab.........
ReplyDeletemaine ek kavita likhi hai......
तो क्यूँ ना माँगूं आसमाँ यहाँ??
dekhiyega...
बहुत बढ़िया और बिल्कुल सही लिखा है आपने! दशहरे की हार्दिक शुभकामनायें!
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