Wednesday, September 16, 2009

AUSTERITY (तपस्या): इन्हें कब से त्याग, तप की जरुरत महसूस होने लगी?

कल पाकिस्तान के एक प्रमुख दैनिक डॉन की वेब साईट पर उसके नई दिल्ली स्थित रिपोर्टर श्री जावेद नकवी का लेख पढ़ रहा था "Is India really a big nation, which behaves small? " यूँ तो आदतन पाकिस्तानी लेखको की न सिर्फ जुबान अपितु कलम भी पूर्वाग्रह में डूबी रहती है, मगर कुछ बाते जरूर उन्होंने काफी सटीक ढंग से लिखी है, और जो कुछ क्षण को सोचने पर मजबूर करती है! और जैसा कि हमारे मीडिया की जिम्मेदाराना (गैर शब्द नहीं लिखूंगा) हरकतों पर हर कोई उंगली उठाता है, तो उन्होंने भी उठाई है, और जमकर उठाई है!

एक बात और जो सोचने पर मजबूर करती है, वह यह है कि जबसे इंडियन एक्सप्रेस ने सत्ता में बैठे इन नेताओं के पांच सितारा होटल-प्रेम का भंडा-फोड़ किया, तब से अपराधी का आपराधिक मन नए फंडे अपनाकर, अपनी छवि सुधारने और क्षति नियंत्रण में लगा है! और इसमें इनकी भरपूर मदद कर रहा है,, हमारा वह तथाकथित सेकुलर और चापलूस मीडिया! अभी ऐसे ही एक मीडिया की एक हेड लाइन पढ़ रहा था,, लिखा था (अग्रेजी हेडिंग थी उसे हिन्दी में अनुवाद कर लिख रहा हूँ) "ट्रेन पर हुए पथराव ने राहुल के सुरक्षा प्रबंधों की पोल खोली" ! अब इन्हें कौन पूछे कि भाई, क्या चाहते थे आप कि लुधियाना से दिल्ली तक पूरी रेलवे लाइन के दोनों तरफ पुलिस फोर्स लगा देते, राहुल भैया के लिए? क्या पता नौटंकी में उस्ताद इन्ही के किसी रंग कर्मी की यह करतूत रही हो, ताकि इनके युवराज को सुरक्षा कारणों की दुहाई देकर आगे से और ट्रेन से सफ़र ना करना पड़े ! कितनी अजीब बात है कि आगे-पीछे की बोगियों पर पत्थर लगते है और उस बोगी पर एक भी पत्थर नहीं लगता, जिसमे भैया बैठे थे !!

अंत में मैं एक बात और कहना चाहता हूँ कि कितने शर्म की बात है कि आजादी के ६२ सालो के बाद भी हमारे नेताओं को उनके आँका AUSTERITY(तपस्या, त्याग ) के उपदेश दे रहे है, और शर्मिन्दा होने के वजाए, ये नेता इस बात पर उन आकाँवो का महिमा मंडन करने पर तुले है! मैं पूछता हूँ कि दुनिया के तथाकथित सबसे बड़े लोकतंत्र के सवा सौ करोड़ की आवादी के इस देश के सांसद को क्या आज भी यह बताने की जरुरत है कि वह कौन से होटल में कितने रूपये प्रतिदिन के किराये पर रहे और कौन सी क्लास में यात्रा करे ?
इसतरह दूसरो को मुफ्त वाशिंग पाउडर बांटने से पहले,
तनिक अपना मैला गिरेवाँ भी टटोल लिया होता यारो !!
मेरा भारत महान !

12 comments:

  1. भैया ऐसा है कि हाथी के यह दाँत दिखाने के ही हैं । अब इतनी राजनीति तो हम समझते हैं ।

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  2. हमें तो भाई राजनीति से कभी लगाव नहीं रहा इसलिए राजनीति तो नहीं समझते पर शरद जी की बात जरूर समझ रहे हैं।

    और गोदियाल जी, नाराज मत होइये हम आपकी भी बात समझ रहे हैं भाई। :)

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  3. बहुत खुब लिखा आप ने, पहले वोट लेने के लिये तसला भी उठाया इस अनचाहे दुलारे ने, फ़िर भारत की खोज करी, झोपडी मै सोया, वोट मिल गई तो कोन सा भारत, कोन सी खोज, लेकिन कोई इन से पुछे तो सही भाई अब गरीब का दर्द कहा गया, ओर अब यह रेल ड्रामा.... अजी यह जनता है सब जानती है, ओर जिस दिन यह जनता जागी उस दिन इन का कोई ड्रामा नजर नही आयेगा,
    ओर जब आम आदमी इन्हे जुत्ते मारेगा तो इन्हे अपनी नानी याद आयेगी... ओर वो दिन दुर नही, क्योकि भुखी जनता कब तक भुखे पेट सोयेगी, जब मरना ही है तो इन कुत्तो को मार कर ही मरो

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  4. YE CONGRESS KA DRAMA HAI ...... KISI ADE MUDDE SE JANTA KO BHATKAANE KA ...... SHAYAD GUJRAAT KI HAAR KO DISCUSS NAHI KARNA CHAHTE HONGE ISLIYE AUSTERITY KA MUDDA UCHAAL DIYA .....

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  5. सर्वप्रथम, आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ, और सरद जी से एक बात कहूंगा कि शरद जी यह सही है कि आज की शिक्षित पीढी इन नेतावो के सारे दाव पेंचो से अवगत है, मगर जैसा कि भाटिया साहब ने कहा, हम लोग जब तक आवाज नहीं उठाएंगे ये लोग यूँ ही हमें मूर्ख बनाते रहेंगे ! इसलिए जरुरत है उसके खिलाप आवाज बुलंद करने की !
    अभी -अभी की ब्रेकिंग न्यूज़ देखिये:

    NEW DELHI: The Congress on Wednesday said minister of state for external affairs Shashi Tharoor's remarks that he would travel in "cattle class out
    of solidarity with all our holy cows" were not acceptable and the party high command may also decide if any disciplinary action is to be taken against him.

    wHAT A GREAT REMARKS, I LIKE THIS YA'R !!! HA-HA-HA-HA-HA
    इसको कहते है, अपने ही खोदे गड्डे में खुद गिरना !!

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  6. Waise bhi main angrezi main kahoonga ki......"PAKISTAN IS THE FOETUS OF VIRGIN MOTHER"...... inka poorvaagraah hona laazimi hai..... wahan to log BHARAT ke khilaaf bol kar hi saata mein hain..... aur bhartita media ke baare mein kya kaha jaaye...... doordarshan ko agar chhod diya jaaye........ to saare channels aise lagte hain..... ki pandora ke box se khabren nikaal rahen hain.... jab aise khabren yeh log nikaalenge....... to pakistan jaise log to kuch bhi ungli utha denge........

    ab indian express agar apvaad hai to kya kahen? sab aise nahin hain..... aapke articles meri knowledge aur chintan manthan ki shakti ko energy dete hain.....

    bahut bahut dhnaywaad...

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  7. मुफ्त वाशिंग पाउडर बांटने से पहले, तनिक अपना मैला गिरेवाँ भी टटोल लिया होता यारो !!
    मेरा भारत महान !

    नौ सौ चूहे खाय बिलरिया हज़ को चली।

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  8. किसी चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज़ बता रही थी ,सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी का इकोनोमी क्लास में सफ़र उनके वी.आइ.पी खर्चे से कम नहीं रहा ...फिर ऐसा नाटक करने की क्या आवश्यकता है ..हम तो नतमस्तक है उनके रणनीतिकारों और मार्गदर्शकों के आगे ...बेहतर नब्ज पकड़ते हैं भारतीय जनता को बहलाने को ..!!

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  9. hamare paas option hi nahi hai. Vote kisi ek ko dena hai aur sabhi badmash hai. kahan jayege chakrabyuh se nikal kar.

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  10. जब तक जनता में बेदारी नहीं आती, जब तक जातिवाद की गंदी राजनीति चलती रहेगी, जब तक अच्छे सुशिक्षित लोग राजनीतिक मेहत्तर का काम करने गांधीजी के आदर्श को अंजाम नहीं देंगे,तब तक स्थिति सुधरनेवाली नहीं है॥

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  11. अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
    मैनें अपने सभी ब्लागों जैसे ‘मेरी ग़ज़ल’,‘मेरे गीत’ और ‘रोमांटिक रचनाएं’ को एक ही ब्लाग "मेरी ग़ज़लें,मेरे गीत/प्रसन्नवदन चतुर्वेदी"में पिरो दिया है।
    आप का स्वागत है...

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  12. ये सब ड्रामेबाजी है,जिसे कि अब जनता बखूबी समझने भी लगी है......यहाँ लुधियाना में तो ये हाल था कि सारा रेलवे स्टेशन पूरी तरह से सील...किसी को भी स्टेशन के अन्दर दाखिल होने की इजाजत नहीं....सैंकडों की संख्या में चप्पे चप्पे पर पुलिस/कमांडो/जीआरपी वगैरह.......फिर भी ये लोग ये दावा कर रहे हैं कि खर्चों में कटौती के लिए हवाई यात्रा की बजाय रेलयात्रा की जा रही है.. कमाल है!!

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।