अभी-अभी नेट पर एक खबर पढ़ रहा था;
Congress on Tharoor comment: Action at appropriate time
Reacting to the controversy over Shashi Tharoor’s comment on Twitter, Congress spokesperson on Friday said, “Action will be taken at an appropriate time.”
जाति तौर पर यह कौंग्रेस का अंदरूनी मामला है और वह इसे किस रूप में लेते है, उनका अपना अधिकार क्षेत्र है, अतः उस पर टीका-टिपण्णी करना मै उचित नहीं समझता! लेकिन लीक से हटकर कुछ बाते कहना चाहता हूँ ; मसलन कल परसों की ही तो बात है, जब कौंग्रेस ने जसवंत सिंह की किताब पर उन्हें बीजेपी द्बारा निष्काषित करने पर कहा था कि बीजेपी के अन्दर किसी नेता को अभिव्यक्ति की भी स्वतंत्रता नहीं है ! और जब खुद की बारी आई तो >>>>>>>>>> !
दूसरी बात यह कि जब यह खबर आई थी तो शायद मै सबसे पहला व्यक्ति रहा हूँगा जिसने कि चिट्ठा जगत पर यह टिपण्णी दी थी कि मैं शशि थरूर की बात का समर्थन करता हूँ! उसका कारण यह नहीं था कि उन्होंने इकोनोमी क्लास में सफ़र करने वालो को मवेशी कहा, बल्कि वह इसलिए कि उन्होंने एक हकीकत वयां की, बस उनका अंदाजे बया थोडा बड़े घराने के बिगडैल लड़के जैसा था ! आप लोग भी जब हवाई जहाज से "कैटल क्लास में" लम्बी यात्रा करते होंगे तो आपने नोट किया होगा कि सफ़र कितना कष्टदायक रहता है! दिल्ली से त्रिवेंद्रम के चार घंटे के सफ़र में ही इंसान कुकडू कू बोलने लगता है तो ज़रा सोचिये, जो इंसान दिल्ली से न्युयोर्क की सीधी फ्लाईट पकड़कर १७-१८ घंटे उस इकोनोमी क्लास की सीट में, जिसमे कि आप ठीक से पैर भी पूरे नहीं पसार पाते, उसकी १७-१८ घंटे में क्या हालत होती होगी? ऊपर से बीच में उठकर थोडा टायलेट की तरफ जाना चाहो तो तभी क्रू का अनाउंसमेंट कि मौसम खराब होने की वजह से विमान परेशानी महसूस कर रहा है अतः कृपया अपनी सीट पर बैठे रहिये और सीट बेल्ट बांधे रखे !
कहने का तात्पर्य मेरा यह है कि क्या कभी हमने इस ओर ध्यान देने की कोशिश की कि इकोनोमी क्लास में सफ़र करने वाला यात्री क्या दिक्कत महसूस कर रहा है ? क्या कभी हमने सोचा कि विमान में सीटे घटाकर, सीटो के मध्य इतनी जगह बना सके कि यात्री खुलकर बैठ सके? उन्होंने न सिर्फ इस बात को इस देश के लोगो के लिए ही उठाया है अपितु पूरी दुनिया के उन लोगो के लिए उठाया है जो इकोनोमी क्लास में सफ़र करते है ! और एक बात और कि तमाम राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय विमान कंपनियों को उनको कम से कम बिजनेस क्लास का एक टिकट फ्री देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने उनके विमान के बिजनेस क्लास की अहमियत सिर्फ एक ट्वीट से बढा दी है!
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
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गोदियाल जी बात तो आपने बिलकुल सही की है | कभी कभी तो लगता है की आखिर ये देश चल कैसे रहा है जबकि इसके खेवनहार ही निरर्थक बातो में समय नष्ट कर रहे है |थरूर जी के वक्तव्य पर उँगलियाँ उठी,पहले ये कांग्रेसी ही जसवंत जी की हंसी ठिठोली कर रहे थे किन्तु जब बात स्वयं पे आई तो बन गए भाजपाई|रही बात थरूर जी के वक्तव्य की तो बात पूर्णतया तो सही नहीं लगती किन्तु बात अवश्य है की उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं थी बस अकस्मात ही वो सत्यता थोड़े अलग ढंग से कह गये, जिसपे थोडी आँखे उठ गयी |
ReplyDeleteगोदियाल जी मैंने आपके पिछले लेख भी पढ़े , ज्वलंत मुद्दों पे आपके सटीक कटाक्षों ने मुझे भी लिखने के लिए प्रेरित किया है | वैसे मेरे आपके ब्लॉग तक पहुचने की घटना भी बड़ी रोचक है | आपके लेखों के लिए आपको बधाईयाँ और हाँ आपसे कुछ शब्दों की उम्मीद रखता हूँ जिनका मै अनुसरण कर सकूँ |
धन्यवाद!!
".......मसलन कल परसों की ही तो बात है, जब कौंग्रेस ने जसवंत सिंह की किताब पर उन्हें बीजेपी द्बारा निष्काषित करने पर कहा था कि बीजेपी के अन्दर किसी नेता को अभिव्यक्ति की भी स्वतंत्रता नहीं है ! और जब खुद की बारी आई तो >>>>>>>>>> !"
ReplyDeleteपी.सी.गोदियाल जी!
सारे राजनीतिक दलों का यही हाल है। जब अपने पर आती है तो हाथी अपने छिपे दाँतों का प्रयोग
करने लगता है।
बढ़िया लिखा है!
बधाई।
अरे नहीं जी, सीरियस काहे होते हो? वो तो मज़ाक था:)
ReplyDeleteबहुत सही व सटिक चित्रण किया है आपने इस रचना के द्वार। बहुत-बहुत बधाई........
ReplyDeleteसर्वप्रथम आप सभी लोगो का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा की आप लोगो ने मेरा लेख पढा ! एक जो शरारत कल लिखते वक्त मेरे दिमाग में थी, मगर अं वक्त पर लिखना भूल गया, यहाँ टिपण्णी में लिख रहा हूँ ! विमान जब उड़ने को होता है, और जब सारे मवेशी कैटल क्लास में बाँध दिए जाते है तो ग्वालिने (विमान परिचारिकाए) आकर कैसे घास- पानी की व्यवस्था करती है और जब किसी गाय या बछडे का गला सूख जाता है यतो कैसे वह सींग के ऊपर लगे बटन को दबा कर करता है माँ.......................................आ .......और ग्वालिन आकर पुचकारती है ......हा-हा-हा-हा-हा....कभी जब आप लोग यात्रा कर रहे हो तो गौर करना मेरी बात पर !
ReplyDeletejanab aap to kuchh bhi majak me likh jate hai. majak aisa ki dil ko ghayal kar de. Pahale charwaho ne gay charane se mana kiya tha. aab gwalino ki bari hai kahi ghas khilane se hi mana kar de. Bhai sab paise ka khel hai.........
ReplyDelete@gaurav_bhatt, aap apnaa blog check kare !
ReplyDelete@ sashidharji, bhaai-sahaab utsaah vardhan ke liye bahut-bahut dhanyvaad !