Tuesday, September 15, 2009

झलकियाँ:

बाघा बॉर्डर: कल सुरेश चिपलूनकर जी का एक लेख पढा कि किस तरह पाकिस्तानी मीडिया हमारी उन बहनों को जो देश सेवा का जज्बा लेकर सेना और अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती हुई है, उन्हें गालियाँ देता है! यूं ही ख्यालो में खोया, सोच रहा था कि हम हिन्दुस्तानी भी बड़े अजीब किस्म के प्राणि है! शान्ति-शान्ति करते हुए भी हमने तीन-तीन प्रत्यक्ष गुलामिया झेली ! परोक्ष गुलामी तो रोज ही झेलते है, क्योंकि गुलामी झेलना हमारे खून में है,मगर फिर भी सुधरने का नाम नहीं लेते! आप लोगो में से बहुतो ने बाघा बॉर्डर पर प्रत्यक्ष तौर पर जाकर और टेलीवीजन पर देखा होगा कि किस तरह शाम के वक्त सीमा पर किवाड़ खोलते वक्त दोनों देशो के जवान नौटंकी करते है ! मेरा कहना यह है कि क्या वाकई इस नौटंकी की जरुरत है, खासकर भारत के लिए? हम भारतीयों में इतना अहम् कब आयेगा कि हम अपने को उस दो कौडी के पाकिस्तान से ऊपर समझने लगे? क्या ही अच्छा होता कि वह किवाड़ सदा के लिए ही बंद कर दिया जाता! और जब कभी-कभार खोलने की जरुरत पड़ती भी, तो गेट खोलते वक्त खोलने वाला जवान गले से जोर से खंगारने के बाद मुह में आये थूक को सीमा के उस तरफ थू करके थूक देता!

फर्जी मुठभेड़: जैसा कि मै पहले भी कई बार लिख चुका कि इसमें कोई बहुत बड़ा आर्श्चय नहीं होना चाहिए अगर हमारे देश में इतनी होने वाली फर्जी मुठभेडों के साथ ही अहमदाबाद वाली मुठभेड़ भी फर्जी निकल आये ! लेकिन इससे सम्बंधित रिपोर्ट को जिस तरह गुजरात उपचुनाव (१० सितम्बर) से ठीक पहले हाईकोर्ट की रोक के बावजूद खूब हो-हल्ला करके उछाला गया( हालांकि उसका इनको फायदे की वजाए नुकशान ही उठाना पडा) क्या यह सब देख मन में संदेह नहीं होता?

कॉमनवेल्थ खेल: हर हिन्दुस्तानी को ईश्वर से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि कामनवेल्थ खेलो से पहले हमारी सारी तैयारियां नियत समय पर हो जाए और खेल एक ठीक-ठाक ढंग से निपट जाए, क्योंकि इसमें पूरे देश की नाक का सवाल है ! और तब हमारे लिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है कि जब हम जानते हो कि विदेशो में स्थित भारत विरोधी लॉबी हमें नीचा दिखाने की पुरजोर कोशिश कर रही हो! लेकिन मेरा सवाल यह है कि सालो से यह जानते हुए भी कि २०१० के खेल भारत में होने है, हमारी सरकारे क्या कर रही थी? कही ऐसा तो नहीं कि दिल्ली और केंद्र में बैठी सरकारे अपने पिछले कार्यकाल में यह मानकर चल रही थी, कि अगली बार किसी भी कीमत पर ये सत्ता में नही आयेंगी, अतः सारा टेंशन आने वाली सरकार के लिए छोड़ दो! लेकिन सौभाग्य और दुर्भाग्यबश ये पुनः सत्ता में आ गए और पासा उलटा पड़ गया ?

और चलते-चलते एक कविता: रहम करो !

इस तरह ख़ाक में मिलाकर,
न अरमान जाइए !
कातिल दुनिया की,
तुम्हे लग जाएगी नजर,
गुस्से को थूकिये, जान-ए-जाँ,
और बात मेरी मान जाईये !!

जालिम जमाने में,
गुजरना पडेगा तुम्हे उस,
अंजुमन के पास से अकेले-अकेले,
कोई सिरफिरा-ए-इश्क का मारा,
कहीं तुम्हारी नाजुक कलाई न मरोड़ दे !

यों बेपरदा होकर,
क्यों जाती हो छत पर,
मेरी जान! ईद का मौसम है,
और आस-पडोश का कोई उन्मत्त,
तुम्हे चाँद समझकर रोजा न तोड़ दे !!

6 comments:

  1. स्फुट विचार, धारदार वार।
    { Treasurer-S, T }

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  2. गोदियाल जी बहुत गहन मुद्दा छेड़ दिया आपने। अगर देखा जाये तो आपकी बात कहीं न कही सच भी है, आखिर ये फालतु के दिखावे क्यों। आपकी कविता बड़ि लाजवाब रही। बहुत-बहुत बधाई शनादर रचना के लिए।

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  3. क्या ही अच्छा होता कि वह किवाड़ सदा के लिए ही बंद कर दिया जाता! और जब कभी-कभार खोलने की जरुरत पड़ती भी, तो गेट खोलते वक्त खोलने वाला जवान गले से जोर से खंगारने के बाद मुह में आये थूक को सीमा के उस तरफ थू करके थूक देता!
    वाह आप ने मेरे दिल की बात कही, बहुत सुंदर लगी

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  4. "यों बेपरदा होकर,
    क्यों जाती हो छत पर,
    मेरी जान! ईद का मौसम है,
    और आस-पडोश का कोई उन्मत्त,
    तुम्हे चाँद समझकर रोजा न तोड़ दे !!"

    वाह...वाह....।
    सीधी-सच्ची कविता में पर्दे पर बेहतरीन व्यंग्य
    रच दिया आपने।
    बधाई।

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  5. pata nahin kyun Pakistan apne girebaan mein kyun nahi jhaankta hai???????

    हम भारतीयों में इतना अहम् कब आयेगा कि हम अपने को उस दो कौडी के पाकिस्तान से ऊपर समझने लगे?
    sach mein hamein aham ki bahut zaroorat hai......... hum pakistan se upar hain....... hamein iska ehsaas hona hi chahiye........ darasal is materialistic era mein hum.......... TRUE NATIONALIST....... hona bhool gaye hain...... in multinationals companies ne aur hamare zinadgi mein se nationalisn ki bhaavnayen khatm kar di hain....

    bahut hi acchchcha lekh.... aur kavita ke to kya kahne.......... इस तरह ख़ाक में मिलाकर,
    न अरमान जाइए !
    कातिल दुनिया की,
    तुम्हे लग जाएगी नजर,
    गुस्से को थूकिये, जान-ए-जाँ,
    और बात मेरी मान जाईये !!


    bahut hi sahi lines.........




    Thnx for sharing...........

    A+++++++++

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।