कर दुआ यही खुदा से,हो सबका भला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला।
घटता समक्ष जो, उससे न अंविज्ञ बन,
मूकता तज मूढ़ता,अज्ञ है तो सुज्ञ बन।
प्रज्ञता प्रकाश फैले,जिधर भी पग चला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला।
मृदु-शिष्ट बर्ताव से नेह,स्नेह अपार ले,
तृण-तृण समेटकर, जिन्दगी संवार ले।
कलसिरी को अनुराग, उत्सर्ग से गला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला।
दांपत्य-जीवन में छुपा न कोई राज हो,
युग्मन नेक हो,तारिणी न दगाबाज हो।
पाया क्या,निराश्रय होकर जो कर मला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला।
बुनियाद सम्बन्धों की न खिंड-मिंड हो,
अनुयोजन से कोई, तृन्ढ़ न हृत्पिंड हो।
नागकनी पुष्प से,सीख जीने की कला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला।
रख निरन्तर जोड़े,अपने को जमीन से,
विलग न कर कभी सत्य को यकीन से।
कंट-पथरीला है पथ, हर बला को टला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला।
हो मन न कुलषित एवं दृष्टि में न हेय हो,
निष्काम,निःसंग भाव,परमार्थी ध्येय हो।
इंसां तो क्या,धूप को भी अंधेरों ने छला,
तिमिर को तोहमत न दे, दीपक जला।
तिमिर=darkness तोहमत=cursing सुज्ञ=intelligent प्रज्ञता=knowledge कलसिरी=quarrelsome lady उत्सर्ग=devotion खिंड-मिंड=unplaced अनुयोजन=action, तृन्ढ़=hurt हृत्पिंड=heart नागकनी=cactus निष्काम,निःसंग=unbiased