ढेंचू-ढेंचू के ही सुर सुनाई पड़ते है
अब तो सकल दिन-रात में,
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब
तमाम गधों के हाथ में।
इनकी ढेंचुआने की हदों ने
लांघने को कुछ भी बाकी न छोड़ा,
बतियाने को ही जुबां होती है मगर,
इन्होने हर हद को तोड़ा।
मुहँ थकते नहीं,राम जाने
ऐसा क्या है इनकी रसभरी बात में,
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब
तमाम गधों के हाथ में।
'असीमित ढेंचुआने' का पैकेज
लिया हुआ है पूरी विरादरी ने ,
पथ,लाइन पार करते कई जिंदगियां
लील ली इस रसभरी ने।
मग्न अकेले ही ढेंचुआते है
पागलों की तरह, कोई न साथ में,
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब
तमाम गधों के हाथ में।
कुछ कहो तो कहते हैं,तुम क्या जानो
इसके लिए आर्ट चाहिए,
टुच्चा सा हैंडसेट रखते हो,
ढेंचुआने को फोन भी स्मार्ट चाहिए।
विश्व-संपर्क के पक्षधर है,
विश्वास न रहा अापसी मुलाक़ात में,
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब
तमाम गधों के हाथ में।
छवि गूगल से साभार !
बढ़िया खबर ली है आपने-
ReplyDeleteआभार ||
टुच्चा सा हैंडसेट रखते हो,ढेंचुआने को फोन भी स्मार्ट चाहिए।
ReplyDeleteबहुत सही कहा, जिंदगी से खिलवाड ही तो है.
रामराम.
हर जगह गधे ही गधे हैं।
ReplyDeleteपरन्तु गधो का अपमान है ये।
गधों की जमात में कुछ बनावटी, गद्दार, मक्कार भी शामिल हो गये हैं!
गोदियाल जी अच्छी नहीं लगी आज आपकी रचना क्योंकि जिनको आपने रचना में गधा गधी कहकर संबोधित किया है दरअसल वो हमारे अपनें हैं !
ReplyDeleteतेरी तरफ कितनी घास है भाई...
ReplyDeleteजानिए मच्छर मारने का सबसे आसान तरीका - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteरचना के भाव तो अच्छे लगे किन्तु संबोधन अच्छा नही लगा,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST बदनसीबी,
हा हा हा हा हा हा बहुत उम्दा रचना | मज़ा आ गया पढ़कर | आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
पूरण जी , आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। लेकिन आप को यह भी बता दू कि यह रचना एक ख़ास किस्म की endangered species :) को टारगेट करके लिखी। आप मानेंगे कि इस ख़ास किस्म ने इस सुविधा का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया। आप आये दिन अक्सर पेपरों में पढ़ते होंगे की सड़क अथवा रेलवे लाइन पार करते हुए अमुक,,,,,,, चुकी फोन पर बात कर रहा था इसलिए ,,,,,,,,,,,,,, खैर, अब ज़रा इस रचना की जड़ में छुपा किस्सा भी आपको सूना ही देता हूँ; मोहले की गली के कोने पर टू साइड ओपन एक बुगुर्ग गुप्ता जी का मकान है। सुबह जब PET को घुमाने ले जा रहा था तो पता चला कि एमबीए कर रहे एक गधे ने जो कि बगल में ही किराये पर रहता है उन्हें थप्पड़ मारी। वजह वह गधा उनके मकान की दीवार से सट कर खड़े होकर रातरात भर बात करता रहता था कई दिनों से। . दीवार पर वहीं थोड़ी ऊपर एक खिड़की है जहां से अंदर के लोग सब साफ़ सुनते की वह गधा क्या धिञ्चुआ रहा है तो बस उन्होंने तंग आकर उससे एतराज भर जता दिया था। अब आप खुद ही सोच लीजिये अपने को गुप्ता जी की जगह रखकर। :)
ReplyDeletebadiya kataksh..
ReplyDeleteयह बात तो सच ही है की आज के नवोदित युवा वर्ग मोबाइल का दुरूपयोग तो कर रहे हैं जब देखो तब मोबाइल पर ही चिपके हैं।
ReplyDeleteसहमत हूं. बहुत से गधों के हाथों में मोबाइल हैं.
ReplyDeleteअच्छी ख़बर ली है आपने सच में हद ही हो गई लोग जैसे पागल से हो गए मोबाइल को लेकर हर जगह किसी भी मोड़ पर किसी भी हालत में कान से फोन चिपका रहता है ,बहुत मजेदार लिखा आपने मेरे मन कि ही बात समझो
ReplyDeleteवाह वाह वाह क्या बात हैँ आखिरकार गधोँ की सुध भी आपने ले ही ली ,,
ReplyDeletebahut khub sir
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''