Wednesday, February 6, 2013

मोबाइल फोन पड़ गए जबसे, गधों के हाथ में !




















ढेंचू-ढेंचू के ही सुर सुनाई पड़ते है 
अब तो सकल दिन-रात में,
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब 
तमाम गधों के हाथ में।  

इनकी ढेंचुआने की हदों ने 
लांघने को  कुछ भी बाकी न छोड़ा,
बतियाने को ही जुबां  होती है मगर, 
इन्होने हर हद को तोड़ा।  
मुहँ थकते नहीं,राम जाने 
ऐसा क्या है इनकी रसभरी बात में,
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब 
तमाम गधों के हाथ में। 

'असीमित ढेंचुआने' का पैकेज 
लिया हुआ है पूरी विरादरी ने ,  
पथ,लाइन पार करते कई जिंदगियां 
लील ली इस रसभरी ने। 
मग्न अकेले ही ढेंचुआते है 
पागलों की तरह, कोई न साथ में, 
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब 
तमाम गधों के हाथ में। 
   
कुछ कहो तो कहते हैं,तुम क्या जानो 
इसके लिए आर्ट चाहिए,
टुच्चा सा हैंडसेट रखते हो,
ढेंचुआने को फोन भी स्मार्ट चाहिए। 
विश्व-संपर्क के पक्षधर है,
विश्वास न रहा अापसी मुलाक़ात में, 
क्योंकि मोबाइल फोन पड़ गए हैं अब 
तमाम गधों के हाथ में।     

छवि गूगल से साभार !

15 comments:

  1. बढ़िया खबर ली है आपने-
    आभार ||

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  2. टुच्चा सा हैंडसेट रखते हो,ढेंचुआने को फोन भी स्मार्ट चाहिए।

    बहुत सही कहा, जिंदगी से खिलवाड ही तो है.

    रामराम.

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  3. हर जगह गधे ही गधे हैं।
    परन्तु गधो का अपमान है ये।
    गधों की जमात में कुछ बनावटी, गद्दार, मक्कार भी शामिल हो गये हैं!

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  4. गोदियाल जी अच्छी नहीं लगी आज आपकी रचना क्योंकि जिनको आपने रचना में गधा गधी कहकर संबोधित किया है दरअसल वो हमारे अपनें हैं !

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  5. तेरी तरफ कितनी घास है भाई...

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  6. जानिए मच्छर मारने का सबसे आसान तरीका - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  7. रचना के भाव तो अच्छे लगे किन्तु संबोधन अच्छा नही लगा,,,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

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  8. हा हा हा हा हा हा बहुत उम्दा रचना | मज़ा आ गया पढ़कर | आभार

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  9. पूरण जी , आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूँ। लेकिन आप को यह भी बता दू कि यह रचना एक ख़ास किस्म की endangered species :) को टारगेट करके लिखी। आप मानेंगे कि इस ख़ास किस्म ने इस सुविधा का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया। आप आये दिन अक्सर पेपरों में पढ़ते होंगे की सड़क अथवा रेलवे लाइन पार करते हुए अमुक,,,,,,, चुकी फोन पर बात कर रहा था इसलिए ,,,,,,,,,,,,,, खैर, अब ज़रा इस रचना की जड़ में छुपा किस्सा भी आपको सूना ही देता हूँ; मोहले की गली के कोने पर टू साइड ओपन एक बुगुर्ग गुप्ता जी का मकान है। सुबह जब PET को घुमाने ले जा रहा था तो पता चला कि एमबीए कर रहे एक गधे ने जो कि बगल में ही किराये पर रहता है उन्हें थप्पड़ मारी। वजह वह गधा उनके मकान की दीवार से सट कर खड़े होकर रातरात भर बात करता रहता था कई दिनों से। . दीवार पर वहीं थोड़ी ऊपर एक खिड़की है जहां से अंदर के लोग सब साफ़ सुनते की वह गधा क्या धिञ्चुआ रहा है तो बस उन्होंने तंग आकर उससे एतराज भर जता दिया था। अब आप खुद ही सोच लीजिये अपने को गुप्ता जी की जगह रखकर। :)

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  10. यह बात तो सच ही है की आज के नवोदित युवा वर्ग मोबाइल का दुरूपयोग तो कर रहे हैं जब देखो तब मोबाइल पर ही चिपके हैं।

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  11. सहमत हूं. बहुत से गधों के हाथों में मोबाइल हैं.

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  12. अच्छी ख़बर ली है आपने सच में हद ही हो गई लोग जैसे पागल से हो गए मोबाइल को लेकर हर जगह किसी भी मोड़ पर किसी भी हालत में कान से फोन चिपका रहता है ,बहुत मजेदार लिखा आपने मेरे मन कि ही बात समझो

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  13. वाह वाह वाह क्या बात हैँ आखिरकार गधोँ की सुध भी आपने ले ही ली ,,

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।