Tuesday, August 4, 2020

मैं क्या बोलूं ?

धर्म-ईमान,
मालूम है, 
यहां सबकुछ,
टके-सेर बिकता है,
और जो खरीददार,
वो वैंसा है नहीं, 
जैंसा दिखता है।

2 comments:

लघुकथा-पहाड़ी लूना !

पहाड़ी प्रदेश , प्राइमरी स्कूल था दिगोली, चौंरा। गांव से करीब  दो किलोमीटर दूर। अपने गांव से पहाड़ी पगडंडी पर पैदल चलते हुए जब तीसरी कक्षा क...