Friday, August 6, 2010

ये ईशू के भक्त, अल्लाह के वन्दों से कुछ कम अमानवीय नहीं !

आज बात मैं यहाँ गोरी चमड़ी के ईशू भक्तों की मानवता के प्रति भेद-भावपूर्ण और संवेदनहीन अमानवीय कृत्यों की करने जा रहा था, मगर चूँकि जब शीर्षक ही मैंने ऐंसा दे मारा तो मुझे यह भी बताना पड़ेगा कि जिन भक्तों से मैं इनकी तुलना कर रहा हूँ, उन अल्लाह के वन्दों का मानवता के प्रति हालिया अपराध क्या था? तो लीजिये एक नजर अफगानिस्तान की इस लडकी जिसका नाम बीबी अइशा है, के चित्र पर दौड़ाइए, जिसके अल्लाह भक्त तालीबानी पति ने १७ साल की इस लडकी के नाक-कान काट डाले और वह भी तब,जब वह उसके बच्चे की माँ बनने वाली थी ! इसलिए उम्मीद करता हूँ कि मेरे इस लेख का शीर्षक कुछ लोगो को चुभेगा नहीं !

आइये अब बात करते है इन गोरी चमड़ी के ईशू भक्तों की ! इनकी कारगुजारियों से तो इतिहास पटा पड़ा है ! मसलन कैसे इन्होने अमेरिका पहुँचने पर वहाँ के रेड इंडियंस का समूल नाश किया, कैसे इन्होने अपने अधीन गुलाम देशों में लोगो का उत्पीडन किया! और हालिया विक्किलीक्स का वीडियो तो आप सभी ने देखा होगा कि ईराक में कैसे सड़क किनारे खड़े लोगो को इन्होने हैलीकॉप्टर से निशाना बनाकर मौत की नींद सुलाया ! मगर इनका पिछली सदी का जो सबसे बड़ा घृणित कृत्य था, वह था हिरोशिमा और नागासाक़ी ! जिसमे एक पल में इन्होने लाखों को मौत की आगोश में बेरहमी से धकेल दिया !

६ अगस्त १९४५, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमन के निर्देश पर हिरोशिमा में स्थानीय समय के अनुसार सुबह ८ बजकर १५ मिनट पर हिरोशिमा के ऊपर शहर से १९०० फिट की ऊँचाई पर यह "लिटिल बॉय " फूट गया ! मगर जो उसका वास्तविक निशाना था, ऐओइ ब्रिज उसे वह करीब ८०० फिट के अंतर से चूक गया ! स्टाफ सार्जेट जोर्ज कैरोंन ने आँखों देखी इस तरह बयान की थी; " मसरूम की तरह बादल अपने आप में एक शानदार नजारा था, जलते हुए लाल गोले के साथ बैंगनी भूरा उबलता हुआ धुँआ स्पष्ट देखा जा सकता था...."
लगभग ७० हजार लोग तुरंत मारे गए और करीब इतने ही लोग अगले कुछ सालों में रेडियेशन की वजह से मरे, जो बचे भी तो उनका बचना भी अपने आप में एक पीडादायक जीवन बनकर रह गया !
जीवित बचे एक प्रत्यक्ष दर्शी के शब्दों में "The appearance of people was... well, they all had skin blackened by burns... They had no hair because their hair was burned, and at a glance you couldn't tell whether you were looking at them from in front or in back... They held their arms bent [forward] like this... and their skin - not only on their hands, but on their faces and bodies too - hung down... If there had been only one or two such people... perhaps I would not have had such a strong impression. But wherever I walked I met these people... Many of them died along the road - I can still picture them in my mind -- like walking ghosts..."

मैनहाटन में उस ज़माने में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमन और उनके उत्तराधिकारी रूजवेल्ट ने २ मिलियन डालर का परमाणु बम बनाने का महत्वाकांक्षी अभियान चलाया था, और सरकार कौंग्रेस की तरफ से यह दबाब झेल रही थी कि इतने खर्चीले प्रोजक्ट की उपयोगिता क्या थी ? अत ट्रूमन के सेकेट्री जेम्स ब्येर्नेस ने उसे यह आइडिया दिया कि जितनी जल्दी बम बने उसे परिक्षण के लिए गिराया जाए ! और इन फिरंगियों का भेदभाव देखिये कि आजमाने के लिए यूरोप में जर्मनी सबसे माकूल जगह थी मगर वो तो अपने भाईबंद थे अत जापानियों को चुना गया ! हिटलर को तो ये मुलजिम कहते है मगर अपने गुनाह सिर्फ जल्दी द्वितीय विश्व युद्ध ख़त्म करने की तार्किकता के अन्दर छुपा जाते है !

आज ६५वी वर्षगांठ पर हिरोशिमा के पीस पार्क में उन बेगुनाहों को श्रधान्जली दी गई ;

30 comments:

  1. वीभत्स ...केवल पुस्तकों में पढ़ कर कुछ नहीं जाना जा सकता ..कितनी त्रासदी झेली होगी लोगों ने ....जो मर गए वो तो मर ही गए जो बचे उनका जीवन भी नर्क सा बन गया होगा ...

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  2. इस दर्दनाक घटना को किसी को नहीं भूलना चाहिए ताकि दोबारा ऐसा हादसा ना हो ।
    वहशी दरिन्दे तो सभी जगह मिल जाते हैं । इसका धर्म या देश से कोई सम्बन्ध नहीं है ।

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  3. पी.सी.गोदियाल साहब मै तो इन के देश मै रह कर भी इन की बुरी बातो को बुरा ही कहता हुं, हमे इन से जो सीखना चाहिये वो बाते भी है, लेकिन कई इन के भगत बस इन की हर बात को उचित ओर सही कह कर अपनी वफ़ दारी दिखाते है, यह लोग अपनो के लिये ही अच्छॆ है, लेकिन इन्हे आज भी मोका मिले तो यह भी कम कमीने नही..... इतिहास आप ने दिखा ही दिया है.... इन गोरो ने कहां कहां अपने पांव पसारे है, जरा ध्यान दे... न्युजिलेंड अस्ट्रेलिया,अमेरिका, कानाडा, दक्षिण अमेरिका... ओर भी बहुत से छोटे छोटे देश... ओर वहां इन्होने क्या प्यार से राज किया होगा? य प्यार से बसे होंगे? अमेरिका की तो सभ्यता हि पुरी की पुरी खत्म कर दी, यही हाल कानाडा का है, आप ने बहुत सुंदर लिखा धन्यवाद

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  4. ओह तो आज उस काले दिवस की बरसी है ....मानवता को शर्मसार करती घटना
    हम शांति रखकर मौन अता करें !

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  5. गोदियाल साहब आपने अपने पुरखे के कुक्रतय भूल गए और अमेरिका की कहानी सुनाते-सुनाते तालिबानी आतंकवादियों की आड़ में इस्लाम धर्म को ही अमेरिका की श्रेणी में खड़ा कर दिया. अब ना तो तथाकथित नास्तिक मिश्रा जी कुछ कहेंगे और ना ही अन्य नास्तिक और आस्तिक भाई-बंधू. क्यों यह जो लिल्ख रहा है यह उनकी ही बिरादरी का है. इसी दोगलेपन की निति की वजह से आज ब्लॉगजगत में इतना हंगामा मचा हुआ है. लेकिन हमेशा की तरह आपकी नज़र में तो बुरे हम ही होंगे, मुसलमान जो ठहरे.

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. उन बेगुनाहों को हमारी भी श्रद्धाँजलि।
    उससे भी ज्यादा जो बच गये थे और जो बाद में आये, उनकी जीजिविषा को सलाम।

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  8. हिरोशिमा और नागासाकी हमारे इतिहास मे एक कलंक की तर्ह हमेशा उपस्थित रहेंगे ..कब यह इंसान समझ सकेगा कि युद्ध मानव जाति के लिये कभी भी उचित नही रहे ।

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  9. हिरोशिमा नागासाकी की मृतात्माओं को श्रद्धान्जलि।

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  10. हिरोशिमा और नागासाकी की मृतात्माओं को श्रद्धान्जलि।
    आपका बहुत बहुत आभार !

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  11. इनके कुकृत्य से मानवता शर्मिंदा है।
    क्या यही सभ्यता है जिसके रहनु्मा बने हैं।
    हिरोशिमा नागासाकी के मृतकों को श्रद्धांजलि

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  12. हिरोशिमा व नागासाकी के बेगुनाहों को श्रद्धांजलि। वैसे हम तो दोनों का जुल्म भुगत चुके हैं। भारत पर भी दोनों ने खूब जुल्म ढाए हैं, जिनकी गिनती भी नहीं की जा सकती क्योंकि जितनी बार गिनेंगे उतनी बार ही तकलीफ होगी। अभी भी इनकी मानसिकता भारतीयों से किस तरह भिन्न है इस संबंध में जल्द ही अपने ब्लॉग अपना पंचू पर लिखूगां।

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  13. हिरोशिमा और नागासाकी की मृतात्माओं को श्रद्धान्जलि
    वहशी दरिन्दे तो सभी जगह मिल जाते हैं...
    इसका धर्म या देश से कोई सम्बन्ध नहीं है ..
    आपका बहुत बहुत आभार !

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  14. हिरोशिमा नागासाकी की मृतात्माओं को श्रद्धान्जलि।

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  15. इस दर्दनाक घटना को किसी को नहीं भूलना चाहिए

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  16. आपने बहुत ही बढ़िया पोस्ट लिखी है!
    --
    इसकी चर्चा तो चर्चा मंच पर भी है-
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/238.html

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  17. गोदियाल साहब आपने अपने पुरखे के कुक्रतय भूल गए और अमेरिका की कहानी सुनाते-सुनाते तालिबानी आतंकवादियों की आड़ में इस्लाम धर्म को ही अमेरिका की श्रेणी में खड़ा कर दिया. अब ना तो तथाकथित नास्तिक मिश्रा जी कुछ कहेंगे और ना ही अन्य नास्तिक और आस्तिक भाई-बंधू. क्यों यह जो लिल्ख रहा है यह उनकी ही बिरादरी का है. इसी दोगलेपन की निति की वजह से आज ब्लॉगजगत में इतना हंगामा मचा हुआ है. लेकिन हमेशा की तरह आपकी नज़र में तो बुरे हम ही होंगे, मुसलमान जो ठहरे

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  18. गुरु जी क्या आप भी प्रवीण शाह जी से प्रभावित हैं? :)
    आपने तुलना तो की है लेकिन ऐसा लगा कि बेमन से की क्योंकि पोस्ट अधूरी सी लग रही है, इसका पार्ट-2 देखना चाहेंगे महोदय…

    @ MLA - "हमारे पुरखों के कुकृत्य…?" चलिये आप ही गिना दीजिये, कि हिन्दुओं ने कहाँ-कहाँ परमाणु बम गिराये… हिन्दुओं ने कहाँ-कितनी मस्जिदें ढहाईं… हिन्दुओं ने अपने मन्दिरों में कितनी टूटी हुई मस्जिदों के पत्थर सीढ़ियों पर लगवाये… आदि-आदि-आदि, मैं जानने को बहुत उत्सुक हूं…

    @ सलीम खान - कॉपी पेस्ट में मास्टरी है, तुम्हारी… :)

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  19. "गुरु जी क्या आप भी प्रवीण शाह जी से प्रभावित हैं? :)
    आपने तुलना तो की है लेकिन ऐसा लगा कि बेमन से की क्योंकि पोस्ट अधूरी सी लग रही है, इसका पार्ट-2 देखना चाहेंगे महोदय… "

    प्लीज़ सुरेश जी,
    मैंने जैसा कि पहले भी कहा मैं एक तो लम्बा लिखने में आलस्य करता हूँ, क्योंकि सोचता हूँ कि किसके लिए लिख रहा हूँ ? और दूसरा मैं उस शैली में लाख कोशिश कर लू तब भी नहीं लिख सकता, जिस सुन्दर ढंग से आप लिखते है !

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  20. सुरेश साहब,

    मुसलमानों ने भी परमाणु बम नहीं गिराए हैं, कभी. यहाँ तालिबानियों की आड़ में इस्लाम धर्म को निशाना बनाया जा रहा है और आप मुघलों की आड़ में. ना तो इस्लाम किसी राजा के अनुसार चलता है और ना तालिबान जैसे आतंकवादियों के हिसाब से. हाँ यह लोग ही इस्लाम का दुरूपयोग अपने फायदे के लिए करते हैं.

    रही बात आपके पूर्वजो की तो यह मुझे कहना शोभा नहीं देता. आप ही का भाई-बंधू सत्या गौतम बता रहा था की राम ने शम्बूक की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी थी क्योंकि वह शुद्र था और उसने वेद पढने का दुस्साहस किया था.

    लाखों नक्सली, भगवा और तमिल आतंकवादी भी आपके धर्म के ही मानने वाले हैं, लेकिन क्या इसका मतलब पूरा धर्म ही गलत हो गया? आपको साडी गलतियाँ हमारे धर्म में क्यों नज़र आती हैं? क्या आपका धर्म एकदम पाक साफ़ है? यह दोगला पन ही सारी लड़ाई की जड़ है.

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  21. सबसे पहले नाक-कान काटने की घटना का वर्णन एक पुरानी किताब में मिलता है। उस किताब और उस ब्राह्मण राजकुमारी का नाम सब जानते हैं। मैं उस घटना को सच नहीं मानता, लेकिन जो उसे सच मानते हैं उन्हें अल्लाह के बंदों से पहले खुद पर ऐतराज़ करना चाहिये।

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  22. जनाब अनवर ज़माल हम उसे एक दुष्ट राक्षस कि बहन के रूप में जानते हैं. देखो हमारे धर्म में तो दूसरों का बेवजह रक्त बहाने वाले को चाहे वो हमारे ही धर्म का ब्रह्मण ही क्यों ना हो राक्षस के रूप में याद किया जाता है. आप आपने धर्म कि बात करें आप लोग बेगुनाहों का खून बहाने वाले लोगों को पूजते हो और उनके नाम पर धर्मस्थल बनवाते हो.

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  23. वर्तमान कि ही बात करें आपका एक धर्म गुरु तो खुले आप कहता है कि ओसामा बिन लादेन निर्दोष है. हो सकता है कि कल उसके नाम भी कश्मीर में कोई मंदिर गिरवा कर नई ईमारत खड़ी कर दी जाय.

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  24. और जनाब MLA याद करें अमेरिका कि दो ऊँची इमारतों को गिराने वाले लोग कौन थे. जरा याद करें उनकी क़ुरबानी जो उनहोंने हजारों बेगुनाहों के हत्या करने के लिए दी.

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  25. जो लोग कहते हैं कि हिन्दू आस्थाओं पर प्रहार क़तई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। वे भी आराम से बर्दाश्त कर लेते हैं बल्कि नास्तिकों से भी बढ़कर खुद हिन्दू धर्मग्रंथों पर प्रहार करते हैं। देखिये-
    इसे यहाँ प्रस्तुत करके आप कहना क्या चाहते हैं ? पुराण तो गधों के लिए ही लिखे गए हैं -आप को क्या कहा जाय ?http://vedictoap.blogspot.com/2010/07/blog-post_27.html

    1-ब्लॉग जगत के वे सभी लोग जिन्हें मेरे ब्लॉग पर आते ही संजयदृष्टि प्राप्त हो जाती है, इन जैसे कमेंट्स पर, पोस्ट्स पर धृतराष्ट्र का पार्ट प्ले करने लगते हैं , क्यों ?
    2-मैं विनतीपूर्वक आपसे यह पूछना चाहता हूं, अगर पूछने पर पाबंदी न हो तो । आप लोग मुझ जैसे मनुवादी कहने वाले मुसलमान का भी हौसला पस्त करने के प्रयास करेंगे तो दूसरे ईमानदार मुसलमानों
    को कैसे जोड़ पाएंगे ?
    3-कौन और क्यूं है राम ? इस पोस्ट पर किसी ने श्री अरविन्द मिश्रा जी से यह न कहा कि आप हिंदू और मुसलमानों की तुलना न करें लेकिन जब मैं तुलना करके कहूंगा कि यह वक्तव्य कबीर साहब का नहीं है, उनके ग्रंथ में यह है ही नहीं तो यही लोग ऐतराज़ करने आ जाएंगे।
    http://vedquran.blogspot.com/2010/08/is-it-fair-anwer-jamal.html

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  27. इसे कहते हैं बात का बतगंड़....यहां पूर्वजों की बात नहीं की जा रही। उनकी बात हो रही है जो हमारे समय के हैं या हमारे जन्म से महज चंद साल पीछे की बातें हैं। ये नौटंकी वाले हैं। शम्भूक वध का वर्ण पूरी तरह से गलत है। दूसरा हिंदु धर्म ने किसी आतातायी का मंदिर कभी नहीं बनाया है न ही उनको पूजते हैं। एक अत्याचारी राजा बता दीजिए जिसे हमने आदर दिया हो जिसकी समाधी बनाई हो।
    @MLA
    नौटंकी करने वालों को शायद यह पता नही कि नक्सलवाद मैं सभी धर्म के लोग हैं..दरअसल धर्म को नहीं मानने वाले लोग हैं....ये जंग पेट की आग से निकली है। आदिवासियों की लड़ाई है अपने हक से वंचित किए जाने पर.....जिनको ईसाई बनाया जाता है रोटी का लालच देकर....तमिल टाईगर श्रीलंका के सिंहल लोगो के खिलाफ उपजा आंदोलन था। जो बाद में आतंकवाद में तब्दील हो गया..जिस वजह से तबाह हो चुका है ये आंदोलन।

    मानवता के खिलाफ कर्म करने वाला हर हाल में मानवता का दुश्मन होता है।

    जिन्हें हिदुंओं का पूर्वज कहकर ये लोग गालियां देने की कोशिश कर रहे हैं उन्हीं लोगो का 75 प्रतिशत मुस्लमानों में रक्त बह रहा है। तो जो हमारे पूर्वज थे वो भी इनके थे। सिर्फ एक इस्लाम मत को मानने से वो इस आरोप से बरी नहीं हो जाते। यहूदी धर्म को छोड़कर हर मत सनातन धर्म यो इसके विरोध मे ही उपजा है, ये सत्य इन लोगो की समझ में आता है पर मानने को कोई तैयार नहीं होगा।

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  28. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  29. नर सहार का अचूक अस्त्र -उन तथाकथित शांति के पैगम्बर बन्ने बाले गोरी चमड़ी बालो का दैत्य स्वरुप प्रकट करता हे .......मुह में राम बगल में छुरी का उदाहरण यहाँ चरितार्थ होता हे .........उनकी अमानवीयता के शिकार हुए उन महामानवों के प्रति विनयांजलि

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  30. नर सहार का अचूक अस्त्र -उन तथाकथित शांति के पैगम्बर बन्ने बाले गोरी चमड़ी बालो का दैत्य स्वरुप प्रकट करता हे .......मुह में राम बगल में छुरी का उदाहरण यहाँ चरितार्थ होता हे .........उनकी अमानवीयता के शिकार हुए उन महामानवों के प्रति विनयांजलि

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सहज-अनुभूति!

निमंत्रण पर अवश्य आओगे, दिल ने कहीं पाला ये ख्वाब था, वंशानुगत न आए तो क्या हुआ, चिर-परिचितों का सैलाब था। है निन्यानबे के फेर मे चेतना,  कि...