लिखने को तो बहुत कुछ था, मगर
इस खिन्न मन की किन्ही गहराइयों से एक आवाज आ रही है कि लिखकर क्या करेगा ?
अपना खून जलाएगा , अपने आँखों की रोशनी कमजोर करेगा, अपनी उँगलियों को कष्ट देगा,
अपना बिजली का बिल बिठाएगा, अपने इन्टरनेट सर्विस प्रोवाईडर का घर भरेगा,
अपने कंप्यूटर के की बोर्ड को गुस्से में जोर-जोर से उँगलियों से पीटेगा, अपने घरवालों पर खीजेगा, इससे ज्यादा है भी क्या तेरे बस का ?
इसलिए रहने दे लल्लू , तेरे बस का कुछ नहीं ! लेकिन फिर
मेरी अंतरात्मा की गहराइयों से कुछ विरोध के स्वर फूटने लगते है, जो चीख-चीखकर मुझसे
ये कहते है कि गोदियाल, तू कबसे इतना स्वार्थी हो गया ?
तू कबसे सिर्फ अपने ही बारे में सोचने लगा ?
क्या यही तेरे उस तथाकथित स्वदेशप्रेम के नाटक का पटाक्षेप है, यदि हाँ, तो धिक्कार है तुझपर ! फिर तो डूब मर, कहीं चुल्लूभर पानी में !
इंतना कहने के बाद मेरी आत्मा मुझे यह कहकर धिक्कारने लगती है कि तू क्यों आया इस
संसार में ? तुझे तो पैदा ही नहीं होना चाहिए था! ये शब्द मुझे इसकदर भेदते है कि मै जोर से चीख उठता हूँ, लेकिन मेरी वह चीख कोई नहीं सुनता, सिर्फ कमरे की दीवारें कांपकर रह जाती है!
फिर पास रखे एक पानी के गिलास से कुछ घूँट गले में उड़ेल लेता हूँ! धीरे-धीरे जब नॉरमल होता हूँ तो मुझे याद आने लगता है कि स्वतंत्रता दिवस पर इस देश के कुछ किसान और जवान गोलिया खा रहे थे , कुछ असामाजिक तत्व देश की सम्पति को नुक्सान पहुंचा रहे थे! उसके बाद जैसा कि अक्सर होता आया है, कुछ मौक़ा परस्त राजनेता उन लाशों पर अपने और अपने परिवारों के लिए
संसद और विधान सभाओं में सीटे सुनिश्चित करने में लगे थे!
इनकी हरकते देख, मुझे वो आजादी का संग्राम याद आ रहा था! मैं सोच रहा था कि चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह , सुभाष चन्द्र बोष, इत्यादि जो
प्रत्यक्ष तौरपर सीने पर गोली खाने वाले असली बलिदानी थे, वे किस राजनैतिक पार्टी के थे ? किसी के नहीं, क्योंकि
वे इन राजनेताओं की तरह स्वार्थी नहीं थे, इसलिए प्राणों की आहुति दे दी , लेकिन कुछ
हरामखोर जो सिर्फ जनता को उकसाते थे, और खुद कही आड़ में छुप तमाशा देखते थे, आज तक नोट गिन रहे है!
वाह ! ऊपर वाले, क्या यही है तेरा इन्साफ ? इनको महामारी कब आयेगी ??????????????
अब आज की परिस्थितियाँ देखिये , जब गुजरात के अमित शाह को तो एक अपराधी की मौत के सिलसिले में गिरफदार करना था , तो इस देश और यहाँ के मीडिया को तो छोडिये , पडोशी मुल्क के कुत्ते, बिल्लियाँ , सुंवर, सियार और गीदड़ भी इकठ्टे होकर एक स्वर में बोले ! लेकिन जब २००८ के बैंगलोर बम धमाकों के आरोपी की बारी आई
तो कर्णाटक उच्च न्यायालय द्वारा माँगा गया मदनी केरल के नेताओ द्वारा बचाया जाने लगा,
सिर्फ वोट बैंक की दुहाई देकर ! तब इस देश के सारे कायदे क़ानून धरे के धरे रह गए ! एक भी गीदड़ नहीं रोया !
इन तथाकथित अल्पसंख्यकों की हिम्मत (जो दिनों-दिन बढ़ रही है )देखिये, इन्होने कल बरेली में जहा ये बहुतायात में है, कांवड़ ले जा रहे कुछ हिन्दुओं को इसलिए पत्थर मारकर भगा दिया क्योंकि वे इनके धार्मिक स्थल के सामने से लाउडस्पीकर लेकर जा रहे थे !
लेकिन इन अमन के दुश्मनों को कौन समझाए कि जब ये अपनी इबादत्गारों से
सुबह चार बजे ही लोगो की मीठी नींद हराम करते है, लाउडस्पीकर पर बाग़ देकर , तब इनका जमीर क्या घास चरने गया होता है ? आपको याद होगा कि कुछ महीनो पहले भी इस स्थान पर इन्होने किस सुनियोजित ढंग से दंगे-फसाद किये थे !
लेकिन पूछेगा कौन ? जिसे देखो उसे तो सिर्फ वोट की पडी है ! अमन चैन का पैगाम देना क्या हिन्दुओ का ही ठेका रह गया ? एक आदको छोड़ आज के किसी भी सेक्युलर खबरिया माध्यम ने इसे तबज्जो नहीं दी !
आज अगर आप गौर से देखो तो सिर्फ एक ही इंडस्ट्री फल-फूल रही है, और वह है,राजनीतक इंडस्ट्री ! बाकी सब मंदी के दौर से गुजर रहे है ! तो इसे पहचानिए, वरना मेरा तो यह मानना है कि जो हालात देश में बन रहे है आतंकवादीयो के हौंसले जिस कदर बुलंद हो रहे है, देश एक और विघटन की ओर अग्रसर है! इसे हलके में मत लीजिये , १९२० तक सिर्फ दिखावे के लिए जिन्ना भी इस देश के सेक्युलरिज्म और कायदे-कानूनों की बात-बात पर दुहाई देता था, मगर २५ वर्ष के अंतराल में ही देश के तीन टुकड़े कर गया !
एक और मजेदार बात पहले कहना भूल गया, आजकल अमेरिका में ग्राउंड जीरो ( वह जगह जहा पर पहले ट्रेड टावर था ) मुस्लिम कम्युनिटी सेंटर और मस्जिद बनाने के प्रस्ताव से सेक्युलर देश अमेरिका में उबाल आ रखा है ! पहले तो यह कहूंगा कि इन इस्लाम के धर्मावलम्बियों को सिर्फ विवाद पैदा करने में मजा आता है, क्या अमेरिका के न्युयोर्क शहर में कोई और जगह नहीं थी मस्जिद बनाने के लिए जो यह लोग ०९/११ के पीड़ितों के जख्मो पर नमक छिड़कने में लगे है? यह इस बात को दर्शाता है कि ये लोग दूसरों को ठेस पहुंचाने में कितने आनंदित होते है ! दूर क्यों जाते हो, बाबरी मज्सिद का ही रोना देख लीजिये !
दूसरा ये कि इनकी इस्टाइल मुझे पसंद आई, I like it ya'r ! धर्मांध हो तो ऐसे , एक भाई ओसामा ने वहाँ बिल्डिंगे गिराकर जगह खाली करवाई और दूसरा भाई ओ** ३००० से अधिक लोगो की कब्र के ऊपर मस्जिद बनाने लगा है ! क्या बात है, मिसाल नहीं कोई दूसरी इस शान्ति के धर्म के भाई-चारे की दुनिया में ! वाह... वाह ... अरे सेक्युलरों कुछ सीखो इनसे !
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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स्थितियां बड़ी विकट हैं ...बढ़िया भावपूर्ण रचना ...आभार
ReplyDeleteबेहद उम्दा
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सटीक और चिंतनीय.
ReplyDeleteरामराम.
दुष्यंत जी कहते हैं कि
ReplyDeleteदोस्तो अब मंच पर सुविधा नहीं है,
आजकल नेपथ्य में सम्भावना है.
गोदियाल जी अपना खीझ को आप भी छोड़कर बईठ जाइएगा, त हो चुका. ऊ लोग त चाहता ही एही है कि जनता दू चार दिन चिल्लाकर सांत हो जाएगी.
अरब देशो मै हमे क्या किसी भी गेर धर्म वाले को अपने धर्म की, पुजने वाली कोई भी चीज लेजानी मना है.... बाकी आप का लेख पढ कर मुझे तो इन लोगो की बुद्धि पर तरस ही आता है, इन की सोच कुयें के मेडक की तरह ही है
ReplyDeleteचिंतनीय।
ReplyDeleteगोदियाल जी,
ReplyDelete"सुखिया सब संसार है, खावत है और सोत,
दुखिया दास कबीर है, जागत है और रोत।"
खाओ पियो और chill करो, किसी नेता का दामन थामो और घर भरो अपना, जागोगे तो रोना ही है।
आपकी तकलीफ़ जायज है।
सार्थक चिंतन है ...
ReplyDeleteकुछ हिन्दुओं को इस लिए पत्थर मार कर भगा दिया क्योंकि वे इनके धार्मिक स्थल के सामने से
लाउडस्पीकर लेकर जा रहे थे ! लेकिन इन अमन के दुश्मनों को कौन समझाए कि जब ये अपनी इबादत्गारों से
सुबह चार बजे ही लोगो की मीठी नींद हराम करते है लाउडस्पीकर पर, तब इनका जमीर क्या घास चरने गया होता है ...
सब फसाद की जड़ तो धर्म ही को बना देते हैं ..
किसका दोस दू सब गलती तो हिन्दुओ क़ा ही है जो कमजोर होता है उसकी कोई नहीं सुनता हिन्दू तो काल क़े गल में समाहित होना चाहता है उसे कौन समझाए .
ReplyDeleteएक ही उपाय हिन्दू जागरण,सेकुलर क़ा अर्थ केवल हिन्दू बिरोध,भारत बिरोध
बहुत अच्छा बिस्लेषण
धन्यवाद
परिस्थितियाँ विकट बना दी जाती हैं। किसी न किसी का स्वार्थ छिपा होता है।
ReplyDeleteजागरूक बने रहिए, शायद हम नहीं भगवान कुछ कर दे?
ReplyDeleteएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
चिंतनीय।
ReplyDeleteआज के हालात का सटीक चित्रण्………………आज आम जनता इसी से त्रस्त है और आपने सही आकलन किया कि आज हालात एक बार फिर वैसे ही बनते जा रहे हैं मगर इस तरफ़ किसी का ध्यान नही है और यही इस देश का दुर्भाग्य है।
ReplyDeleteअरे गोदियाल साहब, आपकी जानकारी के लिए बता देता हूँ, कि वह मस्जिद नहीं बल्कि इस्लामिक सेंटर है और ग्राउंड जीरो पर नहीं बल्कि उसके करीब एक ईमारत को खरीद कर बन रहा है. आपकी इस मीडिया ने ही इसे बेकार का मुद्दा बनाया हुआ है. हज़रत लिखने से पहले थोडा जानकारी तो ले लिया करो
ReplyDeleteअरे गोदियाल साहब, आपकी जानकारी के लिए बता देता हूँ, कि वह मस्जिद नहीं बल्कि इस्लामिक सेंटर है और ग्राउंड जीरो पर नहीं बल्कि उसके करीब एक ईमारत को खरीद कर बन रहा है. आपकी इस मीडिया ने ही इसे बेकार का मुद्दा बनाया हुआ है. हज़रत लिखने से पहले थोडा जानकारी तो ले लिया करो
ReplyDeleteशहरयार जी इस जानकारी के लिए आपका शुक्रिया !
ReplyDeleteआग्रह है कि जब कभी मौका मिले इस लिंक को भी पढ़िएगा अपने ज्ञान वर्धन के लिए ;
http://www.washingtonpost.com/wp-dyn/content/article/2010/08/17/AR2010081704399.html
"लिखने को तो बहुत कुछ था, मगर.."
ReplyDeleteकहने को बहुत कुछ था अगर कहने पे आते
अपनी तो ये आदत है कि हम कुछ नहीं कहते :)
विचार करने योग्य लेख ... धर्म के नाम पर ये खेल बंद होना चाहिए ...
ReplyDeleteविचारणीय आलेख.
ReplyDeleteकल ही वो डाकूमेन्ट्री देख रहा था जिसमें ग्राउन्ड जीरो के बाजू में इस्लामिक सेंटर का प्रस्ताव है. हद है!
यह देखियेगा:
ReplyDeletehttp://www.jihadwatch.org/2010/06/pat-condell-on-ground-zero-mosque-is-it-possible-to-be-astonished-but-not-surprised.html
इस विषय पर छोटा सा विडिओ!
आज रचनाकार व्यथित है।
ReplyDeleteओह ! गोदियाल जी , आ गए मैदान में , धन्यवाद | भारत के नेता भारत की सभी समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं और तुर्रा ये कि सब के सब बेशर्म हो गए हैं | इनके मुहं पर थूको या ...... कहीं और इन्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता |
ReplyDeleteबेहद विचारणीय लेख
ReplyDeleteआपकी बातें और तकलीफ़ दोनों बिलकुल जायज हैं
महक
Sarthak evam vicharniya post ke liye Dhanywad.
ReplyDeletehttp://kavyamanjusha.blogspot.com/
यही मुसीबत है। कभी कांवड़ियों को तंग करते हैं कभी रास्ता रोककर नमाज अदा करते हैं....जिसकी कुरान में सख्त मनाही है....दिल्ली में कई इलाके तक जब नमाज के वक्त रुक जाते हैं तो देश के अंदर के हालात पर क्या कहूं। मदनी को गिरफ्तार करने में पुलिस का साथ नहीं दिया..पर अमित शाह को नोटिस भेजने के साथ ही जेल भेजने की तैयारी पहले से ही थी। जब तक दोहरा व्यवहार होता रहेगा तबतक यही होता रहेगा। दोनो ही राजनीतिक पार्टियां एक ही थैली की हो गई हैं चट्टी बट्टी।
ReplyDeleteअटल युग का समापन हो गया....पर अगला नेता कौन हो ये तय नहीं हो पा रहा जिसके पास देश के लिए कोई विजन हो....
ReplyDeleteaap jo ji me aaye likh de
ReplyDeletemagar likhte rahe
गोदियाल जी आपका चिंतन बिलकुल जायज और सार्थक है | देखिये राष्ट्र की चिंता करने वालों के मार्ग में हमेशा भी बाधा खड़ी रहती है | स्वतन्त्रता संग्राम में देशभक्त हजारों मुश्किलों का सामना कर अंग्रेजों को भगा रहे थे ... | पर स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों का साथ देकर मलाई खाने वाले भी कम नहीं थे | सत्य की राह कठिन ही हुआ करती है .... आप जैसे लोगों की राष्ट्र चिंता और समर्पण एक नयी आशा की किरण जगाता है |
ReplyDeleteआज के सेकुलर लगभग देश द्रोही हो चुके हैं | ये सेकुलर लोग लाखों, करोड़ों हिन्दुओं को मारकर-अपमानित कर मलाई खा रहे हैं | बस हिन्दू एक जुट हो तो देखिये ये सेकुलर कैसे दम दबा के भागेंगे ....