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...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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वक्त की परछाइयां !
उस हवेली में भी कभी, वाशिंदों की दमक हुआ करती थी, हर शय मुसाफ़िर वहां,हर चीज की चमक हुआ करती थी, अतिथि,आगंतुक,अभ्यागत, हर जमवाडे का क्या कहन...

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पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
सीटी तो बज गयी जी।
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteसीटी बजाने वाला का सीटी भी छीन लिया न्यायपालिका अऊर जेल में डाल दिया कार्यपालिका..
ReplyDeleteअब सीटी बजाते रहिए...
शाम ढले खिडकी तले
ReplyDeleteतुम सीटी बजाना छोड दो :)
बहुत बजाई सीटी जी ... अब बच्चो के लिये छोड दी:)
ReplyDeleteलो कल्लो बात..ये भी खूब रही!! :)
ReplyDeleteबिल्कुल बज गई जी.
ReplyDeleteरामराम.
सही है.
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteसीटी बजने की ये एक नई शुरुआत है .... फिर पब्लिक की बजना ही है .... आभार
ReplyDeletebahut badhiya.
ReplyDeleteलो सबको अपना बना लिया
ReplyDeleteसीटी बजा के।
:) :) ..बढ़िया है
ReplyDeleteअरे वाह गोदियाल जी.
ReplyDeleteअच्छी खबर सुनाई आपने, आखिर सरकार ने हम जैसों की सुनी तो।