Friday, February 3, 2012

क्षणिकाएँ !

देह माटी की,
दिल कांच का,
दिमाग आक्षीर
रबड़ का गुब्बारा,


बनाने वाले ,
कोई एक चीज तो
फौलाद की बनाई होती !


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नयनों में मस्ती,
नजरों में हया,
पलकों में प्यार,
ये तीन ही विलक्षणताएँ
प्रदर्शित की थी महबूबा ने
मुह दिखाई के वक्त !


वो हमसे रखी छुपाये,
तेवर जो बाद में दिखाये,
नादाँ ये नहीं जानती थी कि
सरकारी मुलाजिम से
महत्वपूर्ण जानकारी छुपाना,
भारतीय दंड संहिता के तहत
दंडनीय अपराध है !!


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दहशतें बढ़ती गई,
जख्म फिर ताजा हुआ,
हँस के जो बजा था कभी
वो बैंड अब बाजा हुआ,
तेरी बेरुखी, तेरे नखरे,
कर देंगे इक दिन मेरा
जीना मुहाल,
छोड़कर बच्चे जिम्मे मेरे
जब तुम मायके चली गई
तब जाके ये अंदाजा हुआ !


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ये मैंने कब कहा था
कि तुम मेरी हो जाओ,
सरनेम (उपनाम ) बदलने को
तुम्ही बेताव थी !!


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जानता  हूँ ,
हमारे घर बसाने के बाद 
तुम्हारी माँ, यानि 
मेरी सास ने
३ फुट गुणा ६ फुट का
पर्दा क्यों भेजा ,
क्योंकि वो जानती है कि
महंगाई और
मंदी के दौर में
शहरी लोगो के पास
शारीरिक परिधानों की
अत्यंत कमी चल रही है !!



17 comments:

  1. नि:शब्‍द करती सभी क्षणिकाएं ....बहुत सुन्दर

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  2. क्षणिकाएँ एक से बढ़कर एक हैं
    ये मैंने कब कहा था
    कि तुम मेरी हो जाओ,
    सरनेम (उपनाम ) बदलने को
    तुम्ही बेताव थी !!

    .......पर ये अत्यधिक सुन्दर लगी।

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  3. क्षणिकाओं में दम है - बहुत बढ़िया

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  4. नयनों में मस्ती,
    नजरों में हया,
    पलकों में प्यार,
    ये तीन ही तो विलक्षणताएँ
    प्रदर्शित की थी महबूबा ने
    मुह दिखाई के वक्त !
    वो हमसे रखी छुपाये,
    तेवर जो बाद में दिखाये,
    नादाँ ये नहीं जानती कि
    सरकारी मुलाजिम से
    महत्वपूर्ण जानकारी छुपाना,
    भारतीय दंड संहिता के तहत
    दंडनीय अपराध है !!


    वाह बहुत खूब.

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  5. सभी रचनाये व्यंग्य के साथ है..इसीलिए दिल को छूती है

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  6. कितनी प्यारी अनुभूतियाँ कैसे निराले ढंग से व्यंजित कर दीं !

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  7. भारतीय दण्ड संहिता... वो क्या चीज़ होती है, और होती तो इतने घोटाले क्यों हो रहे हैं :)

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  8. सभी क्षणिकाएं पढ़ीं ,अच्छी लगीं
    kalamdaan.blogspot.in

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  9. सारी क्षणिकायें अत्यन्त प्रभावशाली

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  10. एक से बढ़कर एक क्षणिकाएं। बहुत ही अद्भुत।

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  11. सभी क्षणिकाएं बेहतरीन है..... बहुत उम्दा एवं सटीक

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  12. //कोई एक तो चीज
    फौलाद की बनाई होती !

    //नादाँ ये नहीं जानती कि
    सरकारी मुलाजिम से
    महत्वपूर्ण जानकारी छुपाना,
    भारतीय दंड संहिता के तहत
    दंडनीय अपराध है !!

    //हँस-हँस के बजा जो कभी
    वो अब बाजा हुआ,

    :D
    mazaa aa gaya sir.. ek se badhkar ek sabhi :)

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  13. लाज़वाब! हरेक क्षणिका एक से बढ़ कर एक...बधाई !

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  14. हा हा हा ! बहुत बढ़िया गोदियाल जी । तीसरी तो बहुत मज़ेदार लगी ।

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  15. सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक है.... सुंदर प्रस्तुति

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।