...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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स्कूटर और उनकी पत्नी स्कूटी शहर के उत्तरी हिस्से में सरकारी आवास संस्था द्वारा निम्न आय वर्ग के लोगो के लिए ख़ासतौर पर निर्म...
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पहाड़ों की खुशनुमा, घुमावदार सडक किनारे, ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का मसाला मिलाकर, 'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' मजदूरों...
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शहर में किराए का घर खोजता दर-ब-दर इंसान हैं और उधर, बीच 'अंचल' की खुबसूरतियों में कतार से, हवेलियां वीरान हैं। 'बेचारे' क...
nice cartoon.
ReplyDeleteयहाँ पर बहुत कम नेता बचेंगे तब तो..
ReplyDeleteउनकी और हमारी नैतिकता का अंतर यही है... हमारी तरह ढोंग तो नहीं करते वे कम से कम..
ReplyDeleteकाश यहाँ भी कुछ ऐसा होता ....
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति।
ReplyDeleteहमारे देश के नेता विचारक और दार्शनिक जो हैं । वे सोचते हैं - "एक घोटाले के बाद इस्तीफ़ा देकर स्वयं को सुखों से वंचित क्यों करना। जहाँ एक किया वहां दो चार और घोटाले कर लूं। अपनी सात पुश्तों के लिए काला धन जमा कर लूं"। इन्हें पता है यहाँ भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई होती है , कार्यवाई नहीं होती। अतः वे सुरक्षित हैं। भारत में घोटालेबाजों को अभयदान जो प्राप्त है।
ReplyDeletekaash !
ReplyDeleteहमारे यहाँ तो रंगे पुते को भी उजला ही बताते.. बेशर्मी से दोषी पद पर बने रहते...
ReplyDeleteबेवकूफ़ है... भारतीय नेताओं से सबक लेते :)
ReplyDeleteभाई गोदियाल जी आपको एक डिजिटल पेन ख़रीद ही लेना चाहिये.☺
ReplyDeleteफ़िर देश लूटने/चलाने के लिये नेता कहाँ से आयेंगे?
ReplyDeleteयही फर्क है ..
ReplyDeleteपूरा भारत राष्ट्र नेता विहीन हो जायगा फिर तो ...
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