Wednesday, February 29, 2012

प्रणय गीत- तुम मिले !














कातिब-ऐ-तकदीर को मंजूर पाया,
तस्सवुर में तुम्हारा हसीं नूर पाया।
(कातिब-ऐ-तकदीर=विधाता) (तस्सवुर में = ख्यालों में )
बिन पिए ही मदमस्त हो गए हम,
तरन्नुम में तुम्हारे वो सुरूर पाया।
(तरन्नुम= गीत )
कुछ बात है हममे, जो हमें तुम मिले,
मन में पलता इक ऐंसा गुरुर पाया।
सेहर हसीं और शामे रंगीं हो गई,
तुमसा जब इक अपना हुजूर पाया।
(सेहर = सुबह )
जब निहारने नयन तुम्हारे हम गए,
उन्हें प्यार के खुमार में ही चूर पाया ।
बेकस यूँ लगा, खो गई महक फूल की,
तुमको जब कभी अपने से दूर पाया।
(बेकस = अकेला ) 

19 comments:

  1. waah!
    lajawab prastuti...

    shabdo ke arth sath-sath dene ke liye dhhanyawad...

    kunwar ji

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  2. वाह! बहुत खूब लिखा है...

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  3. बहुत सुन्दर हमेशा की तरह.

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  4. वाह वाह गोदियाल जी ।
    बहुत सुन्दर प्रेम राग है ।

    क्या उर्दू में कोई कोर्स कर लिया है ! :)

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  5. डा० साहब, तमन्ना तो बहुत थी सीखने की, मगर उर्दू पढनी आती नहीं, हाँ आजकल उर्दू की एक डिक्शनरी ( रोमन इंग्लिश में ) हाथ लगी है, "Intekhab-O-Lughat" उसे पढ़ रहा हूँ :) आप भी इस लिंक पर पढ़ सकते है ;
    http://www.learningurdu.com/urdudictionary.asp

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  6. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल हर शेर लाजबाब , मुबारक हो

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  7. तेरा आना..मन के सब फूलों का खिल जाना..

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  8. waah kya baat hei....sharab se jyada nasha hei sanam ki ankhon mei

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  9. बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ

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  10. आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-805:चर्चाकार-दिलबाग विर्क>

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  11. कातिबे तकदीर को मंजूर पाया, (कातिब-ऐ-तकदीर=विधाता)


    तस्सवुर में तेरा हसीं नूर पाया।
    shbdon ke arth samjhaaye ehsaan kiyaa .khoobsoorati aur badhi prem geet kee .

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  12. shbdon ke arth samjhaaye ehsaan kiyaa .khoobsoorati aur badhi prem geet kee .

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।