...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
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उत्तराखंड सरकार जी ! थोड़ा स्थानीय लोगों की भी सुन लो ।
चारधाम कपाट खुलते ही उत्तराखण्ड मे एक तरफ जहां श्रद्धालुओं का अपार हुजूम उमड पडा है,वहीं दूसरी तरफ उस का नतीजा यह है कि चारों धामों और आसपास...

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' दीपोत्सव" मुल्क़ मे हाकिमों के हुक्मों की गहमा़गहमी़ है। 'दीया' खामोश है और रोशनी सहमी़-सहमी़ है। डर है, दम घुटकर न मर जाए...
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जहां, छप्पन इंच के सीने वाला भी यू-टर्न ले लेता है, वहां, 'मार्क माय वर्ड्स' कहने वाला पप्पू, भविष्यवेता है।
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खौ़फजदा है दुनिया कोरोना के नाम से, गुजर रही है जिंदगी कुछ ऐसे मुकाम से । प्यार मे गले मिलना गुजरी सदी की बात है, दूर हो जाते हैं अजीज भी, ज...
मेरे मन कुछ और है, साँई के कुछ और ...
ReplyDeleteसुन्दर ..
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
दरख्त ख़्वाहिश और उम्मीद की टहनी ...बहुत सुंदर बिम्ब से सजी अच्छी रचना ॥
ReplyDeleteपतझड़ पुन: दस्तक दे गया था
ReplyDeleteया फिर वसंत के
पुलकित एहसास ही
क्षण-भंगूर थे, नहीं मालूम !!... जाने परिस्थितियाँ हावी हैं या मन की स्थिति
Lovin' it...quite romantic !...
ReplyDeleteग्रीष्म का भय बसंत को विचलित कर रहा है..
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर उलझन !
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteBehtareen rachna. Janab aap shayad bhool rahe hain ki is internet mein ek jagah log apka kaafi dino se intezaar kar rahe hain, wahan bhi tashreef laaiye!
ReplyDeleteकौन सी सोच कहाँ क्या देखती है ये तो रहस्य ही है ...
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