जाने जाना,गुल-ए-गुलजार !
तुम जानती हो, मैं खुले में नहीं करता
कभी अपने इश्क का इजहार।
समय की मर्यादा रुकावट न बने
इसलिए मैंने तुम्हारे लिए
अपने एहसास ट्विटर पर,
अनुभूति फेसबुक पर
और भावनाएं ब्लॉग पर
अभिव्यक्त कर दी हैं !
अब इतनी है तुमसे दरकार ,
जब जी करे, गूगल सर्च पर
जब जी करे, गूगल सर्च पर
दिलवर और अपना नाम
टंकित कर ढूंढ लेना,
सबकुछ उपलब्द्ध हैं शजर-ए-डार!!
:-)
ReplyDeleteज़माना बदल रहा है...
sab kuchh online hai...:D
ReplyDeleteक्या बात है... बहुत खूब.
ReplyDeleteप्यार का नाम,
ReplyDeleteवह भी खुले आम..
एक ही अड़चन है --डर है कहीं सैकड़ों पेज न खुल जाएँ । :)
ReplyDeleteSafest mode of love is 'Online love'...no one can deny who loved whom...million witnesses...lol..
ReplyDeleteही ही ही....
ReplyDeleteHaha..
ReplyDeletegajab sirji gajab..
Modern proposal :p
palchhin-aditya.blogspot.in
अति उत्तम
ReplyDeleteवाह! सब ऑनलाइन, सब पब्लिक, जो चाहे हंसे, जो चाहे रोये!
ReplyDeleteक्या बात है :)
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