...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
Friday, November 30, 2012
Thursday, November 29, 2012
Wednesday, November 28, 2012
नयनों का क्या भरोसा, कब नूर छोड़ देंगे।
तनिक तुम अगर अपना गुरुर छोड़ देंगे,
हम ये गंवारू समझ और शऊर छोड़ देंगे।
न सिर्फ तुम्हारी नापसंद,बल्कि जहां सारा,
इक इशारे पे तुम्हारे, हम हुजूर छोड़ देंगे।
तृष्णा न बची बाकी,क्या सखी,क्या साकी,
संग-कुसंगती का हम, हर सुरूर छोड़ देंगे।
सर पे रखके हाथ, न खिलाया करो कसमे,
मद्यपान न सही धुम्रपान जुरूर छोड़ देंगे।
बसाना ही है 'परचेत', तो दिल में बसाओ,
नयनों का क्या भरोसा, कब नूर छोड़ देंगे।
छवि गुगुल से साभार !
Tuesday, November 27, 2012
गली से इठला के निकलती है,चांदनी भी अब तो
देखके लट-घटा माथे पे उनके,मनमोर हो गए है,
अफ़साने मुहब्बत के इत्तफ़ाक़,घनघोर हो गए है।
कलतक खाली मकां सा लगता था ये दिल मुआ,
हुश्नो-आशिकी के इसपे ,अब कई फ्लोर हो गए है।
गली से इठला के गुजरती है, चांदनी भी अब तो,
वो क्या कि चंदा के दीवाने, कई चकोर हो गए है।
वो क्या जाने देखने की कला, टकटकी लगाकर,
खुद की जिन्दगी से दिलजले जो, बोर हो गए है।
राह चलते तनिक उनसे, कभी नजर क्या चुराई,
नजरों में ही उनकी 'परचेत',अपुन चोर हो गए है।
Saturday, November 24, 2012
Wednesday, November 21, 2012
ओ रे कसाब !
गर किया होता तूने
एक ठों काम नायाब,
फिर चुकाना क्यों पड़ता
इसतरह तुझे
अपने कर्मों का हिसाब !
ओ रे कसाब !!
नरसंहार का
एक अकेला
तू ही नहीं गुनहगार,
क्योंकि इन बीहडो में
हर रोज होता है,
हजारों निर्दोषों का शिकार!
अद्भुत और फरेब भरी
यहाँ की रीति से,
कुछ बन्दूक से
तो कुछ कूटनीति से,
फिर भी कोई माँगता नहीं
उनकी इस
कुटिलता का हिसाब,
मगर तुम
फंस गए जनाब !
मगर तुम
फंस गए जनाब !
ओ रे कसाब !!
तू छला गया,
इसलिए दुनिया छोड़
चला गया,
मगर ये कुटिल,
अपनी कुटिलता के
तीर और कमान से,
गुलछर्रे उड़ा रहे यहाँ
आम खर्च पर शान से,
पहनकर चेहरे पर ,
शराफत का नकाब,
मगर तुमने वो
क्यों नहीं पहना जनाब ?
मगर तुमने वो
क्यों नहीं पहना जनाब ?
ओ रे कसाब !!
Monday, November 19, 2012
नसीहत उल्टी पडी या फिर ...........OMG !!
मैंने आज से तीन साल पहले उत्तम प्रदेश में खुलेआम हो रहे एक अन्याय पर एक छोटी सी पोस्ट लिखी थी; "डूब मरो बेव्डो कहीं चुल्लू भर दारू मे ! " और इसके केंद्र बिंदु में बताया जाता है कि चड्ढा जी ही थे। और अब उनका यह सारा साम्राज्य यही छूट गया। उनको श्र्द्धान्जली स्वरुप अपनी उस पोस्ट का लिंक यहाँ लगा रहा हूँ, पढियेगा जरूर ; "डूब मरो बेव्डो कहीं चुल्लू भर दारू मे ! "
इन बेवडो के लिए एक अंगरेजी लेख का लिंक भी दे रहा हूँ। एक अच्छा लेख है, अगर मदहोशी की अवस्था से बाहर निकल आने की फुर्सत मिले तो इसे भी पढ़ना ;
इन बेवडो के लिए एक अंगरेजी लेख का लिंक भी दे रहा हूँ। एक अच्छा लेख है, अगर मदहोशी की अवस्था से बाहर निकल आने की फुर्सत मिले तो इसे भी पढ़ना ;
Thursday, November 15, 2012
हतभाग्य सुश्री 2जी !
कई सालों के बाद अब 2जी स्पेक्ट्रम की हालिया दोबारा आयोजित नीलामी निम्नलिखित कहानी के अनुरूप है:
एक सुंदर लड़की थी जिसने अपने माता पिता को खो दिया था। उसके बाद वह अपने एक अभिभावक के साथ रहने लगी थी। जल्दी ही वह लड़की शादी के योग्य हुई तो उसके भ्रष्ट संरक्षक ने उसके लिए एक उपयुक्त वर ढूढने के बजाय उसे एक बूढ़े अमीर आदमी के हाथों बेच दिया,यानि कि पैसे लेकर उसकी शादी उस बूढ़े अमीर के साथ कर दी। हर किसी ने उसके इस कदम की यह कहते हुए कटु आलोचना की कि उसे उस लड़की के लिए एक उपयुक्त वर की तलाश करनी चाहिए थी क्योंकि वह लड़की ख़ूबसूरत थी, उससे शादी के लिए एक से बढ़कर एक अच्छे मैच, कई सुन्दर युवा स्नातक वर प्रस्ताव लेकर आगे आ रहे थे। वह भ्रष्ट अभिभावक कई वर्षों तक जब यह आलोचना सहन करने में असमर्थ रहा और जब लड़की प्रौढ हो गई तो उसने लड़की से उसके वर्तमान बूढ़े पति को तलाक देने को कहा और उसके लिए नया लड़का ढूढने का वादा किया। लड़की के लिए फिर से नए वर की खोज शुरू हुई, लेकिन इस बार कोई भी युवा उससे शादी के लिए प्रस्ताव लेकर आगे नहीं आया, केवल अधेड़-बूढ़े पुरुष एक दूसरी पत्नी के रूप में ही उससे शादी करने का प्रस्ताव लेकर आये थे। अब वह अभिभावक महाशय खुश होकर अपने छत पर चढ़कर चिल्लाया कि देखो, मैं अपने पहले के निर्णय में सही था, और केवल एक बूढा आदमी ही इस लड़की के लिए उपयुक्त था। "
(नोट: उपरोक्त कथा एक अंगरेजी साईट पर एक सज्जन द्वारा दिए गए निम्नाकित कमेन्ट का हिन्दी रूपांतरण मात्र है )
"Conducting auction to 2G now after many years is analogous to the following story: A beautiful girl who lost her parents was living with a guardian. When the girl became ready for marriage, the corrupt guardian, instead of finding a suitable match, made her to marry an old rich man, after getting money from the rich man. Everyone criticised the move and opined that the guardian should have found a better match for the girl as many eligible young bachelors would have come forward to propose to marry her as she was beautiful. The guardian, unable to bear the criticism, after many years, when the girl became old, asked the girl to divorce the current husband, and searched for new alliance for the girl. This time, the young bachelors who came forward to propose to marry her did not come again. Only old men proposed to marry her as a second wife. Now the guardian shouted from the rooftop that his earlier decision was correct and only an old man was suitable to the girl."
"Conducting auction to 2G now after many years is analogous to the following story: A beautiful girl who lost her parents was living with a guardian. When the girl became ready for marriage, the corrupt guardian, instead of finding a suitable match, made her to marry an old rich man, after getting money from the rich man. Everyone criticised the move and opined that the guardian should have found a better match for the girl as many eligible young bachelors would have come forward to propose to marry her as she was beautiful. The guardian, unable to bear the criticism, after many years, when the girl became old, asked the girl to divorce the current husband, and searched for new alliance for the girl. This time, the young bachelors who came forward to propose to marry her did not come again. Only old men proposed to marry her as a second wife. Now the guardian shouted from the rooftop that his earlier decision was correct and only an old man was suitable to the girl."
Monday, November 12, 2012
एक ख्याल और सभी ब्लोगर मित्रों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये !
सर्वप्रथम दीपावली की पूर्व संध्या पर सभी ब्लोगर मित्रों और पाठक मित्रो को हार्दिक शुभकामनाये और आपके समस्त पारिवारिक जनो को भी मंगलमय कामनाएं इस पावन पर्व की !
आज सुबह जब यह समाचार कहीं पर पढ़ रहा था कि सीएजी को भी चुनाव आयोग की तर्ज पर तोड़ने की कोशिश हो रही है तो अचानक यह ख्याल मेरे मन में आया कि क्यों न इस देश में प्रधानमंत्री के चार पद होने चाहिए ; पीएम-नार्थ , पीएम-साउथ , पीएम ईस्ट एवं पीएम वेस्ट ! क्या पता इनमे से कोई एक सही निकल जाए जो थोड़ा बहुत आत्मसम्मान की परिभाषा समझता हो, देश को अपने हितों से ऊपर देखता हो ! आपका क्या ख्याल है मित्रों इस बारे में?
Sunday, November 11, 2012
धन-ते -रस !
कहीं सफ़ेद तो
कहीं काली कमाई की हबस !
धनाड्यों के धन-ते-रस !!
सडक,गली-मुहल्लों में
ख़ासा जाम,
जो जहां खडा
घंटों हो न पाया,
वहाँ से टस-से-मस !
धनाड्यों के इस धन-ते-रस !!
देश में कहने को
यूं तो मंदी है,
शहर में तमाम
आबो-हवा भी गंदी है,
चार चाँद लगे मगर
बुलियन बाजार को,
खरीददार मिला जब
ढाई करोड़ के
हीरों के हार को,
मिंयाँ, बीबी को
कर न पाया बस !
धनाड्यों के इस धन-ते-रस !!
छवि गूगल से साभार !
Friday, November 9, 2012
Thursday, November 8, 2012
Wednesday, November 7, 2012
Friday, November 2, 2012
Thursday, November 1, 2012
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प्रश्न -चिन्ह ?
पता नहीं , कब-कहां गुम हो गया जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए और ना ही बेवफ़ा।
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