Saturday, November 24, 2012

कार्टून कुछ बोलता है- मर्ज की दवा !


9 comments:

  1. मच्छर खच्चर हैं बड़े, अक्षर दिखते भैस ।

    बैठ गुरू करता रहा, कक्षा अन्दर ऐश ।

    कक्षा अन्दर ऐश, पढाया कितने पट्ठे ।

    हथियारों से लैश, धमकते जाय इकट्ठे ।

    फिर भी उनको चैन, परेशाँ जनता रविकर ।

    करे हिफाजत शिष्य, मारते हिट से मच्छर ।।

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  2. कुछ हो ना हो, जन साधारण जितना जूजा है अब और जुजता रहेगा मलेरिया, फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, चिकनगुनिया, फाल्सीपेरम, कंजकटीवाईटीस, शिरशुल, अवर्णित विषम जवर इत्यादि कई अजैविक - घातक - वेदनाकारी - पीड़ामय अवस्थाओ से, लेकिन अब कारागृह सतर्क हो जायेंगे, लगे हाथो, आये दिनों में कम से कम डेंगू या अन्य कोई प्रचलित मछर अथवा उनकी कोई जाती - प्रजाति को प्रवेश निषेध जरुर लगेगा - कारागृह में मच्छरों का अब आना जाना कुछ दिन की ही बात रह गयी अब | और यह भगाए - प्रताड़ित - निष्कासित मच्छर जाये तो जाये कहाँ! ............. जाए तो जाए कहाँ, समजेगा कौन यहाँ, दर्द भरे मच्छरों की जुबान.... इन मच्छरों की जुबान जन साधारण को रात को सोते वक्त कानो में गूंजेगी |

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  4. चाहे डेंगू से ही हो हम निजात तो पायें इन आतंकियों से । मच्छर को ही दया आ गई भारतवासियोंपर ।

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  5. सही बात है, इतने साल बाद तो अब मच्‍छरों से ही उम्‍मीद बची है

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।