कहीं सफ़ेद तो
कहीं काली कमाई की हबस !
धनाड्यों के धन-ते-रस !!
सडक,गली-मुहल्लों में
ख़ासा जाम,
जो जहां खडा
घंटों हो न पाया,
वहाँ से टस-से-मस !
धनाड्यों के इस धन-ते-रस !!
देश में कहने को
यूं तो मंदी है,
शहर में तमाम
आबो-हवा भी गंदी है,
चार चाँद लगे मगर
बुलियन बाजार को,
खरीददार मिला जब
ढाई करोड़ के
हीरों के हार को,
मिंयाँ, बीबी को
कर न पाया बस !
धनाड्यों के इस धन-ते-रस !!
छवि गूगल से साभार !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteत्यौहारों की शृंखला में धनतेरस, दीपावली, गोवर्धनपूजा और भाईदूज का हार्दिक शुभकामनाएँ!
धनतेरस को आपको बधाई --------
ReplyDeleteवैसे तो आपकी प्रस्तुति तो हमेसा है समाज का प्रतिबम्ब दिखाती है, जेकिन आज तो देश का प्रतिबिम्ब ही सामने हो गया . बहुत सुन्दर कबिता के माध्यम से अच्छी प्रस्तुति.
धनाढ्यों के धनतेरस के चलते आम आदमी की क्या औकात ।
ReplyDeleteदीपावली की शुभ कामनाएं ।
bahut sateek vivran ! asli dhanteras to kali kamayi walo ka hi hai !
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ReplyDelete|| श्री ||
बहुत बढिया । आपको दीपावली की शुभकामनायें
ReplyDeleteसच कहा, उनको धन से रस मिलता है..
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