गर किया होता तूने
एक ठों काम नायाब,
फिर चुकाना क्यों पड़ता
इसतरह तुझे
अपने कर्मों का हिसाब !
ओ रे कसाब !!
नरसंहार का
एक अकेला
तू ही नहीं गुनहगार,
क्योंकि इन बीहडो में
हर रोज होता है,
हजारों निर्दोषों का शिकार!
अद्भुत और फरेब भरी
यहाँ की रीति से,
कुछ बन्दूक से
तो कुछ कूटनीति से,
फिर भी कोई माँगता नहीं
उनकी इस
कुटिलता का हिसाब,
मगर तुम
फंस गए जनाब !
मगर तुम
फंस गए जनाब !
ओ रे कसाब !!
तू छला गया,
इसलिए दुनिया छोड़
चला गया,
मगर ये कुटिल,
अपनी कुटिलता के
तीर और कमान से,
गुलछर्रे उड़ा रहे यहाँ
आम खर्च पर शान से,
पहनकर चेहरे पर ,
शराफत का नकाब,
मगर तुमने वो
क्यों नहीं पहना जनाब ?
मगर तुमने वो
क्यों नहीं पहना जनाब ?
ओ रे कसाब !!
शठे शाठ्यम्..
ReplyDeleteबुरे काम का यही नतीजा!
ReplyDeleteअभी तो एक हुआ हिसाब ,
ReplyDeleteअभी बचे है कई कसाब.....
मुबारक हो!
बुरे काम का बुरा नतीजा |
ReplyDeleteचच्चा बाकी, चला भतीजा ||
गुरु-घंटालों मौज हो चुकी-
जल्दी ही तेरा भी तीजा ||
गाल बजाया चार साल तक -
आज खून से तख्ता भीजा ||
लगा एक का भोग अकेला-
महाकाल हाथों को मींजा |
चौसठ लोगों का शठ खूनी -
रविकर ठंडा आज कलेजा ||
yha ti hona hi tha ...
ReplyDeleteSome good and rare words - advise to Ajmal and a tribute as well! Truly a humane expression for a person like him, for many.
ReplyDeleteसुंदर है लेकिन "हे कसाब" की जगह
ReplyDelete"ओ रे कसाब" होता तो ज्यादा ठीक था:)
@nilesh mathur
ReplyDeleteआपका सुझाव सर आँखों पर माथुर साहब !
Finally he is doomed.
ReplyDeleteअभी तो बहुतों का हिसाब बाकी है । पर कसाब गया शुरुवात तो हुई ।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया... दुष्ट को उसके कर्मों का फल मिल गया
ReplyDeleteनकाब पहन न जाने कितने कसाब जिंदा है ... बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteभारतीय जनता तथा भारत के सत्ता पक्ष के नेता काफी खुश नज़र आ रहे हैं. शायद नेताओं की खुशी की ही बात है इतना बड़ा तीर जो मार लिए हैं. भले ही यह एक छोटी सी उपलब्धि हो पर काफी बड़े to read full story click this link-http://politysatire.jagranjunction.com/2012/11/29/secret-of-kasab-hanging/
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