Wednesday, November 21, 2012

कार्टून कुछ बोलता है- कैपिटल पनिशमेंट और फांसी का अंतर


7 comments:

  1. ध्यान हटाना ध्यान बटाना | क्या पता मृतक डेन्ग्यु से पहले ही ध्वस्त हो चूका हो? अन्यथा चिड़िया ने खेत तो चुग ही लिया था! आधिकारिक - अचानक - ताबडतोब मृत्युदंड वो भी एक 'मृतक' को, उसके ऊपर फिर अब पैकेजिंग और क्रेडिट क्लेइम, बयानबाजी, लगे हाथो दो चार विवादास्पद निवेदन चल पड़ेंगे, और भाई अब क्या पता अब कौनसी बड़ी भुत, वर्तमान या भावि क्रीडा पृष्ठभूमि में चल गयी है, चल रही है या चलने वाली है जिसके ऊपर का आवरण इससे अच्छा तो कौन सा होगा? वैसे आवरण यह एक नहीं है, यह आवरण-श्रृंखला है, धारावाहिक है जो चल पड़ा है, कभी वहां कभी तहां और ना जाने कहाँ कहाँ!

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  2. सच है, कैपिटल तो चला गया..

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  3. जो चले गए , वे बाख गए . सबसे ज्यादा सजा तो कसाब को ही मिली.
    हर पल मरा होगा वो.

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  4. उत्कृष्ट प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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  5. हा हा हा .... :)) :P

    अब खान्ग्रेस अब किस मुद्दे पर राजनीति किया करेगी... ;D

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  6. बढ़िया तंज है भाई साहब 60 करोड़ का चूना लगा गया कसाब बिरयानी खाई सो अलग .

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।