Sunday, June 21, 2020

बाप का बरदहस्त !

क्योंकि मैं नादां था
तो, बचपन मे जब भी
मैं, खो लेता था आपा,
गोद उठा लेते थे पापा।

जवां हुआ तो भी नासमझी
और बरदहस्त के बल पर,
हरदम अपना आपा खोया,
हकीकत जमाने की जानी,
तब दस्तूर समझ मे आया,
जब, मैंने अपना पापा खोया।
#Happyfather'sday

6 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-6-2020 ) को "अन्तर्राष्टीय योग दिवस और पितृदिवस को समर्पित " (चर्चा अंक-3741) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  2. भावभीनी रचना

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  3. जब मैने पापा खोया 💐💐

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  4. वाह!गहन विचार आदरणीय सर .

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  5. बहुत सटीक चित्रण

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।