क्योंकि मैं नादां था
तो, बचपन मे जब भी
मैं, खो लेता था आपा,
गोद उठा लेते थे पापा।
जवां हुआ तो भी नासमझी
और बरदहस्त के बल पर,
हरदम अपना आपा खोया,
हकीकत जमाने की जानी,
तब दस्तूर समझ मे आया,
जब, मैंने अपना पापा खोया।
#Happyfather'sday
तो, बचपन मे जब भी
मैं, खो लेता था आपा,
गोद उठा लेते थे पापा।
जवां हुआ तो भी नासमझी
और बरदहस्त के बल पर,
हरदम अपना आपा खोया,
हकीकत जमाने की जानी,
तब दस्तूर समझ मे आया,
जब, मैंने अपना पापा खोया।
#Happyfather'sday
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (23-6-2020 ) को "अन्तर्राष्टीय योग दिवस और पितृदिवस को समर्पित " (चर्चा अंक-3741) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
मार्मिक रचना।
ReplyDeleteभावभीनी रचना
ReplyDeleteजब मैने पापा खोया 💐💐
ReplyDeleteवाह!गहन विचार आदरणीय सर .
ReplyDeleteबहुत सटीक चित्रण
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