इस तथाकथित आचार, लाचार, सदाचार, ग़ंवार दुनियांं को देख आज एक ही प्रश्न मन मे कौंध रहा, जब तुम्हारे द्वारा इम्पोर्ट किया गया चीनी माल इतना घटिया था तो तुमने 5 महिने बाद भी ,उस माल को उसे लौटाया क्यों नहीं ? , विश्व आज झूठे , मक्कार और स्वार्थी प्राणियों के एक देश के आगे
इतना बेवस क्यों?
हे कोरोना, जल्दी जा रे,.........
चले जा.....अरे हो, कोरोना,
जहाँ तेरा देस रे, कोरोना जहाँ तेरा देस,
अरे हो, तोहे देखूँ तो लागे ठेस रे,
कोरोना जहाँ तेरा देस।
लाल लाल लाल ध्वजा ओढ़े,
जग में फिरे बहार,
हाय गाल गाल सुलगे रे तेरी,
जिया जले हमार,
छैयां पड़े जहाँ तोरी रे
संक्रमण फैले वहां तोरी रे
अरे हो, बदला कैसे तूने भेस रे,
कोरोना जहाँ तेरा देस।
घूम घूम के बीजिंग की गली-गली,
जाना शी-पिंग के द्वार,
मोड़-मोड़ पे फंसी मिले,
उस हरामी की कार,
जब राह में घायल तेरी बाजेगी
सारी धरती गगन तले नाचेगी
अरे हो, मुख पे काला तेरे शेष रे,
कोरोना जहाँ तेरा देस।
चले जा..जहाँ तेरा देश रे..।
इतना बेवस क्यों?
हे कोरोना, जल्दी जा रे,.........
चले जा.....अरे हो, कोरोना,
जहाँ तेरा देस रे, कोरोना जहाँ तेरा देस,
अरे हो, तोहे देखूँ तो लागे ठेस रे,
कोरोना जहाँ तेरा देस।
लाल लाल लाल ध्वजा ओढ़े,
जग में फिरे बहार,
हाय गाल गाल सुलगे रे तेरी,
जिया जले हमार,
छैयां पड़े जहाँ तोरी रे
संक्रमण फैले वहां तोरी रे
अरे हो, बदला कैसे तूने भेस रे,
कोरोना जहाँ तेरा देस।
घूम घूम के बीजिंग की गली-गली,
जाना शी-पिंग के द्वार,
मोड़-मोड़ पे फंसी मिले,
उस हरामी की कार,
जब राह में घायल तेरी बाजेगी
सारी धरती गगन तले नाचेगी
अरे हो, मुख पे काला तेरे शेष रे,
कोरोना जहाँ तेरा देस।
चले जा..जहाँ तेरा देश रे..।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3736
ReplyDeleteमें दिया गया है। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
चीन घटिया देश हे
ReplyDeleteबढ़िया रचना