मंजिल के करीब पहुंचने ही वाली थी
जब यह सफ़र-ए-जिन्दगी, ऐ दोस्त!
तुमने नींद मे खलल डालकर,
स्वप्न विच्छेदन कर दिया।
...............नमस्कार, जय हिंद !....... मेरी कहानियां, कविताएं,कार्टून गजल एवं समसामयिक लेख !
सलीके से न खुशहाली जी पाया, न फटेहाल में, बबाल-ए-दुनियांदारी फंसी रही,जी के जंजाल में, बहुत झेला है अब तक, खेल ये लुका-छिपी का, मस्ती में ...
सुन्दर भाव।
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