Saturday, December 31, 2022

नूतन वर्ष मे....

उठे जो भी कदम, वो दमदार नजर आए,

आपका हर फैसला समझदार नजर आए,

गुजरी है दुनिया, विगत मे अंधेरी राहों से,

नये साल मे हर राह, चमकदार नजर आए।

🍾🌷🥂🌻

                   शुभ-प्रभात🙏

इन्ही आंकाक्षाओं, उम्मीदो और अभिलाषाओं

के साथ आपको, आपके सभी पारिवारिक जनों

और ईष्ट-मित्रों को मेरी और मेरे परिवार की तरफ

से नूतनवर्ष 2023 की मंगल कामनाएं।🙏


Sunday, December 4, 2022

लघुकथा- क्षीण संप्रत्यय !

अकेली महिला और उसके साथ उसके दो नाबालिग बेटे, अरुण और वरुण। मेरे मुहल्ले मे मेरे घर से कुछ ही दूरी पर एक तीन मंजिला बडे से मकान के एक छोटे से खण्ड, जिसे आज की किरायाखोरों की तथाकथित सभ्य दुनिया मे "आरके RK" (रूम अटैज्ड किचन) के नाम से जाना जाता है, मे अभी कुछ दिन पहले ही किराए पर रहने आई  थी।

कल रविवार था। शाम के पांच बजे के आसपास एक काली चमचमाती हुई एसयूवी, गली के नुक्कड़ पर ठीक उसी घर के नीचे जाकर रुकी थी जहां उसमें से उतरकर एक सलीकेदार वस्त्रधारण किये हुए, एक भद्र अधेड पुरुष उस मकान की मालकिन से अभी हाल मे उस जगह किराए के कमरे पर शिफ्ट हुई उस महिला का पता पूछते हूए उसके उस "आरके" के दरवाजे पर पंहुचा था और उसने दरवाजा खटखटाया था। बारह बर्षीय वरुण ने दरवाजा खोला तो बाहर खडे उस अधेड़ ने उससे पूछा, बेटा मम्मी हैं घर पर ? उस बालक ने सकारात्मकता मे अपनी मुंडी हिलाई और अंदर की तरफ मुडते हुए जबतक वह अपनी मम्मी से कुछ कह पाता, उसकी मां उन अधेड़ की आवाज को पहचान गई थी, अतः वह तुरंत बोली, बेटा डाक्टर साब को अंदर ले आओ।

 भद्र अधेड़ के उस 'आरके' के अंदर घुसने के बाद मकानमालकिन और अगल-बगल के किराएदारों के कान खडे हो गये थे। उस तथाकथित "आरके" की सुराखों के  रास्ते दरवाजे और दीवारों पर कान लगाए हुए वे शक्की किस्म के तथाकथित अति जागरूक लोग अंदर से बाहर गैलरी मे आ रही आवाजों को सुन रहे थे।  मां, अपने दोनों नाबालिग बेटों  से सिसकयां भरते हुए कह रही थी, "बेटों, तुम दोनों के पैदा होते ही तुम्हारे पापा हमें मझधार मे छोड़कर कहीं और चले गये और उसके उपरांत मैने तुम दोनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए क्या-क्या कोशिशें नहीं की? मगर सब बेकार।

इतना सुनते ही बाहर गैलरी मे उस महिला के 'आरके' से कान सटाये हुए पडोसियों मे आपस मे खुसर-पुसर शुरू हो गई। कोई कहता,  कैंसी मां है, अपने ही बेटों को एक-दूसरे से अगल करने पर आमादा है । कोई कहता बडी ही जालिम औरत है, तो कोई आंहें भरकर मिमियाता, "वाह रे कलयुग!"

कुछ पल उपरांत अंदर से फिर उस महिला की एक सिसकी भरी करुणामय आवाज आई, बेटों, ये डाक्टर सहाब हमारे भगवान हैं क्योंकि इन्होंने ही सिर से जुड़े पैदा हुए तुम दोनों भाइयों की नि:शुल्क सर्जरी कर तुम दोनों को स्वतंत्र जिंदगी जीने का हक दिया। ये हमारे वास्तविक भगवान हैं, इनके चरण छुओ जो ये आज अपने कीमत वक्त को नजरअंदाज कर फरिश्ते की तरह तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हें आशिर्वाद देने, यहां हमारे घर पहुंच गये।

जैसे ही उस वास्तविकता से पर्दा हटा, वहां बाहर खडी मकानमालकिन और उसके सभी किराएदार गैलरी से गायब हो चुके थे।


Tuesday, October 25, 2022

मेरी अभिलाषा दिवाली पर लक्ष्मी जी के समक्ष प्रस्तुत..

 हे माते 🙏,

इस दिवाली थोडा सा

अपुन को भी "Gift" कर दे,

आप तारणहार हो,

अपने इस भक्त का 'Stock' भी,

थोडा सा "Uplift" कर दे।

क्योंकि ये "Beggar" वर्षो से

शेयर के "Multibagger"

बनने की आश मे,

भावनाओं मे बह गया है,

तमाम बोझ तले दबकर

"Stagger" बनकर रह गया है।


Wednesday, October 12, 2022

गूढ



नेपथ्य आपका कुठौर,अलहडपन हमारा ठौर था,

आज जो येह जमाना है, कल समय कुछ और था,

इतराओ बुलंदियों पे अपनी, मगर ये भी मत भूलो !

अभी वक्त है आपका तो कभी हमारा भी दौर था।




Sunday, October 2, 2022

भौंचक!

 कभी सोचा नहीं था ऐसा कि जो,

अति सक्रिय थे समाज मे कलतक,

जरूरत आने पर, आज छुपे हुए होंगे,

कबुतर का चेहरा ओढे घर खलिहानों मे,

अहिंसा के दुश्मन, बाज छुपे हुए होंगे।

Sunday, September 25, 2022

पता, क्या पता..?

इस मानसून की विदाई पर, 

जो कुछ मौसमी प्रेम बीज तू ,

मेरे दिल के दरीचे मे बोएगी,

यूं तो खास मालूम नहीं , मगर

यदि वो अंकुरित न हुए तो 

इतना पता है कि तू बिजली बुझाकर, 

अ़ंधेरे मे  फूट-फूट के रोएगी।

#बरसातीप्यार  😀😀



Friday, September 23, 2022

विडम्बना कहूँ ?



कुछ प्यार के इजहार मे हैं 

कुछ पाने के इंतजार मे हैं,

फर्क बस इतना है,ऐ दोस्त!

कि तुम इस दयार मे हो, 

और हम उस दयार मे हैं।


मुहब्बत मे डूबे हुए को,

बीमार कहती है ये दुनिया, 

कुछ स्वस्थ होकर जहां से गये, 

कुछ अभी उपचार मैं हैं।


इस जद्दोजहद मे शिरकत

सिर्फ़, तुम्हारी ही नहीं है, 

मंजिल पाने को सिद्दत से,

हम भी कतार मे हैं।


हमें नसीब हुआ ही कब था,

वक्त गैरों से विरक्त होने का?

एहसानों के सारे बोझ,

बस, यूं कहें कि उलार मे हैं।


बेरहमी से ठुकराई गई,जबकि 

सच्ची थी उलफ़त हमारी ,

और नफरतों के सौदागर,

अब उनके दुलार मे हैं।


ऐसे अनगिनत महानुभावों से, 

हम खुद भी रुबरु हुए जिन्होंने,

पहले  सिर्फ़ अपना भला किया,

और अब शामिल परोपकार मे हैं।



Saturday, September 3, 2022

उम्मीद..

'उसूल' तो कुछ थे ही नहीं,

जिनके दूर हो जाने का डर सताता,

सिर्फ़, मेरे ख्वाबों का अनुसरण ही, 

बता सकता है, मुझे रास्ता।

Wednesday, August 31, 2022

टसन

 वो गर्दिशों के साये जो

सफर-ए-जिंदगी ने पाये,

सिकवा करें भी तो अब

बेफिजूल करें काहे,

सिर्फ़ इतनी सी अपनी 

नाकामयाबी थी हाये, 

जवानी मे ही अपना 

जनाजा न उठा पाये....

Thursday, August 25, 2022

टीस....







अक्सर , गम़ सदा ही मुखर रहे, 

खुशियों के राज मे,

फिर सिमट गये ख्वाब सारे,

उम्र की दराज़ मे।

Saturday, August 20, 2022

बादल फटे पहाड पर...

 

पहाड़ों की खुशनुमा, 

घुमावदार सडक किनारे,

ख्वाब,ख्वाहिश व लग्न का 

मसाला मिलाकर,

'तमन्ना' राजमिस्त्री व 'मुस्कान' 

मजदूरों के सहयोग से, 

उसने वो जो घर बनाया था कभी,

सुना है कि आज, उस घर पर इंद्रदेव 

इतने मुग्ध हुए कि उन्होंने 

बादलों से जाकर कहा कि फटो 

और उस मकां को बहाकर

 मेरे पास ले आओ।

Thursday, March 31, 2022

मिथ्या

सनक किस बात की, 

जुनून किस बात का?

पछतावे की गुंजाइश न हो, 

शुकून किस बात का?







Monday, March 28, 2022

वहम

न हम 'हम' मे रहे

न 'अहम' मे,

जिंदगी कट गई

इसी 'वहम' मे ।

प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।