Saturday, March 26, 2011

हताशा !

क्षमा चाहता हूँ कि शारीरिक व्यस्तता और मानसिक व्यथितता ने आजकल कलम द्वारा कागज़ के लेखन भंडारण क्षेत्रों में प्रवेश पर पाबंदी लगा रखी है ! मस्तिष्क और हाथ की उंगलिया हालांकि कभी-कभार निषेद्धाज्ञा का उल्लंघन करने की सोचते भी है, किन्तु वक्त अपने द्वारा अधिग्रहित और नियंत्रित क्षमताओं के क्षेत्र के विस्तार की अनुमति नहीं देता ! बस , यों समझ लीजिये कि जहाँ एक ओर अजीब सी कशमकश की स्थिति बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर अफवाहों का बाजार भी गरम है ! तेज तूफानी हवाओं के चलने और गरज के साथ छींटे पड़ने की भी आशंका जताई जा रही है! समूचे देह क्षेत्र के विभिन्न सम्प्रदायों और जातियों के बीच कोई सांप्रदायिक दंगा न भड़के, इसके लिए चक्षुगण लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है! शरीर के अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में स्थिति तनावपूर्ण मगर नियंत्रण में बताई जाती है !

खैर, आज कर्फ्यू का उल्लंघन करने के पीछे दो कारण हैं, एक तो आज शनिवार है, यानि अन्य दिनों के मुकाबले थोड़ा हल्का बोझ और दूसरे अपने आस-पास घटित हो रही घटनाएं! आज ही एक साईट पर अमेरिका में चल रहे भारतीय मूल के रजत गुप्ता और श्रीलंकाई मूल के राजारत्नम के मुक़दमे के बारे में पढ़ रहा था ! थोड़ी देर के लिए सोचता रह गया की भारत में तो खैर चलो छोड़ो, हमारे कारनामों की बड़ी लम्बी फेहरिस्त है, लेकिन हमने दुनिया के दूसरे देशों में जाकर भी अपने कारनामे दिखाना बंद नहीं किया! आखिर दुनिया के समक्ष हम अपनी क्या छवि पेश करना चाहते है ? टूजी, राष्ट्रमंडल खेल, हसन अली इत्यादि-इत्यादि-इत्यादि और विकिलीक्स के खुलासों के बाद भी अगर हम यह उम्मीद करें कि दुनिया हमें अच्छी नजरों से देखे, तो शायद यह हमारी भूल है!कितनी हास्यास्पद बात है कि विकिलीक्स ने जिस देश की गुप्त सामग्री पर हाथ डालकर उसे सार्वजनिक किया, वह देश तो उसके द्वारा जारी उन तथ्यों को झुठला नहीं रहा और हम सिरे से झुठला रहे है ! और तो और मुखिया ही अगर अपनी जनता से ईमानदारी बरतने की सलाह देने का नैतिक अधिकार खो दे, तो किसी अन्य से क्या अपेक्षा की जा सकती है ? और हमारे महान मीडिया की तारीफ़ के कसीदे कसने के लिए तो शब्द ही नहीं मिलते कि किस तरह वह अपनी सच्ची-झूठी कहानियों को ठीक उसी वक्त पेश करता है, जिस वक्त कोई अहम् सवाल देश के इन कर्ता-धर्ताओं से पूछा जा रहा हो ! नाम के लिए देश आजाद हुआ, मगर क्या देश के उस आमजन को सचमुच आजादी मिली, जिसने सच्ची आजादी की चाह की थी ?



विक्किलीक्स के खुलासे नहीं होते तो हम कहाँ से जान पाते कि हमारे देश और इसके इन महान कर्णधारों के दिलों में क्या-क्या पकता है ? एक मंत्री जी तो यहाँ तक कह गए कि यह देश शायद तब ज्यादा प्रगति करता, अगर इस देश में उत्तर और पुर्व भारत नहीं होता ! हा-हा... इन महाशय के कहने का आशय क्या रहा होगा, वह तो वही बेहतर जानते होंगे, मगर इससे इतना तो मालूम हो ही गया कि हमारे दक्षिण भारतीयों के दिलों में क्या-क्या पकता है! और गुलाम मानसिकता और चाटुकारिता की हमारी हदें देखिये कि यह सब बोलने के लिए भी हम अमेरिकियों के मुहं पर जाते है ! अब जब यह बात निकली है तो मैं भी यहाँ अपने कुछ अनुभव जरूर शेयर करूंगा! मैं जब कभी दक्षिण भारत के टूर पर जाता हूँ, तो चेन्नई और हैदराबाद के अपने कुछ मित्रों के मुख से एक-दो बार यह सुनने को मिला कि पॉलिसी का प्रीमियम हम भरते है और बीमा कंपनियों से क्लेम उत्तर भारतीय खाते है! कहने का उनका आशय यह समझिये कि हम ज्यादा ईमानदार है,जबकि उत्तर भारतीय कम!मैं यह कदापि नहीं कहूंगा कि वे एकदम गलत कह रहे है, मगर साथ ही यह भी कहूँगा कि उनका यह खुद को ईमानदार दिखाना एक ढोंग मात्र है, और अराजकता और भ्रष्टाचार भी उनके अन्दर उतना ही कूट-कूट कर भरा है! और इसका ताजा उदाहरण है टूजी और कॉमन वेल्थ गेम के नाम पर इस देश के ऊपर ढाई-लाख करोड़ का चूना ! और यह चूना लगाने वाले दक्षिण और पश्चिम के ही ज्यादा खिलाड़ी है ! :)

एक और उदाहरण दूंगा, चूँकि मैं खुद भी निजी निर्माण क्षेत्र से जुडा हुआ हूँ, इसलिए थोड़ा बहुत इस बात का अनुभव मुझे भी है कि इस क्षेत्र में क्या-क्या चल रहा है ! निजी क्षेत्र में भ्रष्टाचार मैंने पहली बार १९९७ में देखा था, जब दक्षिण की एक फर्म yell and tea के एक कर्मचारी का ऐसा मुद्दा मेरे समक्ष आया था ! उसके बाद अब देख रहा हूँ कि प्राइवेट क्षेत्र में जो भ्रष्टाचार आज दक्षिण में पैर पसार रहा है, वह अभी उत्तर में हरगिज नहीं है ! खरीद का ठेका देने वाली फर्म के मालिक अथवा कर्मचारी द्वारा रेट में पहले से अपना मार्जिन तय कर लेना , बाद में उसे नकदी में वापस लेना, आजकल वहाँ एक आम बात हो गई है ! अगर और कुछ न मिले और मान लीजिये कि विक्रेता कंपनी नॉर्थ की है, और खरीददार साउथ का, तो रेट में हेराफेरी कर विक्रेता के खर्चे पर फैक्ट्री विजिट करने का बहाना करके दो दिन अपनी फेमली को आगरा, उत्तरभारत घुमाकर हवाई यात्रा कराकर, पंचतारा होटल का लुफ्त उठाकर चला जाता है ! कहने का तात्पर्य यह है कि निजी क्षेत्र को भी धीरे-धीरे जो भ्रष्ठाचार का ग्रहण इस देश में लग रहा है, उसमे काफी कुछ योगदान दक्षिण और वेस्ट का है! तो जो यह कहते है कि सिर्फ उत्तर भारत ही भ्रष्ट है, बाकी सब ईमानदार है, तो वे इस मुगालते में कतई न रहें !

यह भी खुलासा है कि किस तरह राजनैतिक पार्टियों ने पिछले चुनाव में वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए तमिलनाडु में सुबह के अखबार के अन्दर नोटों के पैकेट रखकर वोटरों के घरों में फिंकवाये , लेकिन ताज्जुब है कि इस घटना के बारे में किसी एक ईमानदार वोटर ने भी कम्प्लेंन नहीं की ! एक मजेदार बात मुझे पिछले सितम्बर में विसाखापत्तनम से विजयवाड़ा सड़क मार्ग से जाते हुए उस टैक्सी ड्राइवर ने बताई थी जिसे मैंने एयरपोर्ट से किराए पर लिया था कि तमिलनाडु में वहाँ की सरकार गरीब वोटरों को रिझाने के के लिए उन्हें दो रूपये कीलो चावल देती है और फ्री टीवी-बिजली उपलब्ध कराती है, परिणामत एक झुग्गी में रहने वाला श्रमिक सिर्फ दिनभर टीवी देखता है और यही धंधा करता है कि इधर २ रूपये कीलो चावल खरीदकर वहीं बगल में ८ रूपये कीलो में बेचता है और उसी में उसका गुजारा चलता है, वह काम-धाम नहीं करता! अब सोचिये कि एक वह उत्तर का किसान है, जो कमरतोड़ मेहनत कर अन्न उपजाता है, और उसे उसकी उपज का उचित मूल्य भी नहीं मिलता, उसके अनाज के लिए सरकार के पास गोदाम नहीं है, और दूसरी तरफ ये फ्री का खाने वाले है!अब अपने देश की पत्थर फेंकू युवाशक्ति की महिमा का गुणगान सुनिए ! अगर आप हैदराबाद के आस-पास रहते हो अथवा हाल ही में हैदराबाद गए हो, तो एयरपोर्ट जाते वक्त आपने नोट किया होगा कि बंजारा हिल्स की अधिकतर बिल्डिंगों ने आजकल जालीनुमा बुर्का पहन रखा है ! कौतुहलबश टैक्सी ड्राइवर से पूछा कि भाई क्या यहाँ आजकल बहुत कंसट्रकशन चल रहा है ? तो वो बोला नहीं बाबूजी, यहाँ हमारी यूनिवर्सिटी की युवाशक्ति आजकल तेलंगाना के लिए पत्थर फेंकने का खेल खेलती है, इसलिए लोगों ने मजबूरन अपने घरों को बचाने के लिए उन्हें ऊपर से नीचे तक जाली पहना रखी है! अब आप सोचिये कि कितनी संवेदनशील है हमारी यह युवाशक्ति, जो यह नहीं सोचती कि किसी के घरों पर पत्थर बरसाकर वो क्या हासिल कर लेंगे ?

आगे चलते है, तीन मार्च,२०११ की टाइम्स आफ इंडिया की एक खबर थी "..... marriage of youngest son of politician Kanwar Singh Tanwar, with Sohna ex-MLA Sukhbir Singh Jaunapuria`s daughter, Yogita. A Rs 33-crore, seven-seater chopper, gifted by Jaunapuria .... .The barber from the groom`s side was reportedly gifted Rs 2.5 lakh.But Tanwar is not the only one to spend big on a marriage. Several Gujjar leaders from
Delhi and its suburbs have hosted lavish weddings. Mercedes and BMWs have become common gifts. "An MLA`s son got a farmhouse, an Endeavour and two Santros recently besides huge cash. In several cases bride`s parents, who are into politics and are either sitting MLAs or ex-MLAs are gifting two Mercedes cars or a Hummer and huge quality of gold and silver," said a resident of Ghitorni." और दूसरी तरफ इन गुज्जरों को भी देखिये जो आरक्षण की अपनी मांगों को लेकर पिछले एक पखवाड़े से रेल पटरियों पर बैठ लोगो का जीना मुहाल किये हुए है ;



हमारे इस भ्रष्ट देश-समाज का एक और चेहरा देखिये; एक तरफ ये मिंया है जिनके पेट में आंत नहीं, मुंह में दांत नहीं ! इनका खुद का देश भले ही भ्रष्टाचार, और अराजकता के दल-दल में सिर के ऊपर तक डूब चुका हो, मगर इन्हें तो उससे कुछ ख़ास नहीं लेना देना ! इन्हें तो बस फिक्र है अपने धर्म की और लीबिया की !


और दूसरी तरफ यह आज की एक अहम् खबर है ;" Bahujan Samaj Party MLA Haji Yaqoob Quraishi once again made waves for displaying unusual extravagance at the wedding of his daughter in Meerut on Thursday. Besides a high end Audi car, Quraishi gave away 51 motor-bikes and 51 refrigerators together with jewelry worth Rs 1 crore as dowry to the bridegroom's family." पब मुद्दे पर प्रमोद मुथालिक को चड्डीयाँ भेंट करने वाले हमारे महिला संघठन ऐसे गंभीर विषयों पर ख़ास कुछ नहीं बोलेंगे, जिनकी वजह से आगे चलकर उन गरीब युवतियों और महिलाओं को अपनी आहुति देनी पड़ सकती है, जिनके माँ-बाप समाज की देखादेखी इतना दहेज़ दे पाने में सक्षम नहीं है !


सच में, बहुत अफ़सोस होता है यह देखकर कि यहाँ हर चीज बिकाऊ है, जिसे देखो वह बिका हुआ है ! जो नहीं बिका, इसका अर्थ यह कदापि नहीं कि वह ईमानदार है , बल्कि बिकने की ताक में तो वह भी बैठा था, मगर उसे खरीदने वाला ही नहीं मिला ! जिसदेश में वोटर ५०-५० रुपये में बिक जाता है, एम् पी,विधायक, जज,मीडिया, और नौकरशाह पांच-पांच हजार रुपये में बिक जाते है, वह देश तो सचमुच भगवान भरोसे ही चल रहा है ! बस, तब कहीं जाकर कभी-कभार ऐसी चीजे देख दिल के किसी कोने को यह सांत्वना मिलती है कि शायद इस देश में इमानदारी ने अभी पूरी तरह दम नहीं तोड़ा है!





उज्जवल भविष्य
अमोघ है,
पूत के पाँव
पालने में ही दिख गए,
धंधा भी चोखा चला
भ्रष्टाचार का,
मुनीम जी
बही में लिख गए,
इससे बढ़कर और क्या
उन्नति के ख्वाब देखोगे,
ऐ भरत-सुत !
कि जो कुछ कमीने,
सेल्समैन रखे थे दूकान पर,
वो खुद भी बिक गए !!
चित्र इधर-उधर से साभार, बड़ा देखने के लिए चित्र पर क्लिक करें !

19 comments:

  1. देश के हर कोनों में यह पैर पसार चुका है।

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  2. बस अब तो यही है ..ऐसी ख़बरें पढ़िए और हताश होते रहिये ...

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  3. मैथलीशरण गुप्त जी को याद कीजिये-

    'नर हो न निराश करो ,मन को -चलो उठो पुरुषार्थ करो.

    जग में रह कर कुछ तो काम करो ,कुछ तो नाम करो..
    ''

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  4. समस्या लाईलाज है ।

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  5. बहुत सही लिखा आपने सर!प्राइवेट सेक्टर में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है और इसमें भी रिटेल सेक्टर शायद सब से ज्यादा भ्रष्ट है.

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  6. वोटर जब तक, पार्टी के बजाय सही आदमी को वोट देना शुरू नहीं करेगा यही चलेगा

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  7. सबसे पहले आपको इतनी मेहनत से तैयार की गयी पोस्ट के लिए धन्यवाद फिर भ्रस्टाचार की समस्या का हल नहीं सकता है आपको हताश होने की जरुरत नहीं है

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  8. बहुत शानदार लेख है, आंखे खोलने वाला. सत्य परक और यथार्थ को दिखाने वाला...

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  9. प्रश्न यह है कि यह हाजी याकूब इतना पैसा लाया कहां से...

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  10. हताश ... हां जी सच मे आज तो हताश ही होना पड रहा हे, जिसे देखो वो पहले से बडा चोर... ओर इन चोरो के बारे कोई सुनाने वाला नही.. बहुत सही बाते लिखी आप ने अपने लेख मे, सब बातो से सहमत हे जी

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  11. कुछ कहना ही बेकार है....

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  12. शानदार लेख। शर्मनाक स्थिति। कठोर जनसंख्या नियंत्रण, राजनैतिक सुधार व स्वस्थ शिक्षा व्यवस्था से ही सुधार लाया जा सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब सभी असुविधा के लिए मानसिक रूप से तैयार हों।

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  13. शारीरिक व्यस्तता--गोदियाल जी , क्या ज़िम ज्वाइन कर लिया है !
    पोपुलेशन एक्सप्लोजन -->महंगाई --->भ्रष्टाचार ।

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  14. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (28-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  15. @ डॉ टी एस दराल डा० साहब , बुढापे में जिम जाकर बौडी बनेगी नहीं, चटक जायेगी :)

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  16. बहुत सही लिखा आपने........भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है

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  17. सजग ... बेबाक और बहुत की आक्रोश से भरा आपका लेख ... पर सच कहूँ तो एक एक शब्द सच लिखा है ... आज पूरा भारत भ्रष्टाचार में डूबा हुवा है ... दिशाहीन .... कोई राष्ट्रीय चरित्र नही ... बस सैश करना चाह रहे हैं सब ... आम आदमी से नेता तक ... अफ़सोस है देश की युवा पीडी पर ...

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  18. शुरू से आखिर तक गज़ब ही गज़ब!

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।