उन्नति के मुद्दे पर
हमारा मन चाहे कितना भी सच्चा है,
किन्तु , ये न भूलें कि कुदरत
एक आतंक परस्त, बिगडैल बच्चा है।
यूं तो हर कोई नजदीकिया
बढाना चाहता है सुन्दर सलोनो से,
मगर खुद ही देख लो, जब कोई
बिगडैल बच्चा जिद पर आता है तो
किस तरह खेलता है मासूम खिलोनो से।
सार्थक सन्देश देती रचना ....अब भी इंसान सबक सीख ले ..
ReplyDeleteसंकेतों से समझाती है प्रकृति।
ReplyDeleteसटीक रचना !
ReplyDeletevia- http://www.blogprahari.com
कुदरत से अच्छा कौन समझा सकता है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सही चेतावनी, गोदियाल साहब।
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने.
ReplyDeleteरामराम
गोंदियल साहब आपने प्रकृति को एक नए नजरिये से देखा है. तस्वीर देख कर तो ऐसा ही लगता है की किसी शैतान बच्चे ने खिलोनों को तहस नहस कर दिया हो.
ReplyDeleteक़ुदरत का कहर , हम सब वेबस , सबक तो लेना ही पड़ेगा
ReplyDeleteकुदरत के खेल में सभी मूक दर्शक है!
ReplyDeleteकुदरत से कोई नहीं बचा फिर भी कुछ लोग धर्म के नाम पर मारते रहते हैं...
ReplyDeleteहोनहार नहीं समय होत बलवान॥
ReplyDeleteकुदरत को चुनौती देना हर दम इंसान को भारी पड़ता है। लेकिन मद में चूर इंसान इसे तब तक नहीं समझ पाता जब तक कुदरत को छेडऩे की कीमत न चुका दे......... ईश्वर जापानी भाईयों को इस मुसीबत से उबरने की ताकत दे।
ReplyDeleteप्राकृति के प्रकोप के सारे कोई कुछ नही कर सकता ... प्राकृति कुछ न कुछ बताती ही रहती है इशारे इशारो में ....... इंसान बस ऊपर वाले से दुआ ही हो सकती है ...
ReplyDeleteअब भी समय है हमें सबक लेना चाहिए....
ReplyDeleteगोदियाल जी
ReplyDeleteसबक तो लेना ही पड़ेगा
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 15 -03 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/