मुर्गे की मौत का न जबतलक,साकी को मलाल होगा,
तबतलक मयखाने पे हर मुर्गा, बेक़सूर हलाल होगा।
तृप्ति भला क्यों मिलेगी , अतृप्त किसी पियक्कड़ को,
हलक उसके घुटन होगी और दिल बद्दतर हाल होगा।
सोचा न होगा मुर्गे ने भी कभी कि पैमानों की भीड़ में,
छलकते जाम पे किसी रोज उसका, यूं इस्तेमाल होगा।
चौराहा तबेले में तब्दील होगा, टुन्न आवारा पशुओं से,
अंग -अंग उनके लिए उसका, इज्जत का सवाल होगा।
बोटी -बोटीकर चबाई जायेगी, मय के प्याले भर-भरके,
खर्चेगा कोई अपनी जेब से तो कोई बाप का माल होगा।
शामे-गम कट जाए अगर 'परचेत', बिना कॉकटेल के ,
तेरे मयकदे की कसम साकी ,वो नजारा बेमिसाल होगा।
गोदियाल की मधुशाला अच्छी रही.
ReplyDeleteमय मिलाकर इश्क में,
ReplyDeleteदोनों पियेंगे संग मिलकर,
तेरे मयकदे की कसम,
नजारा बेमिसाल होगा !
अद्भुत नज़ारा पेश कर दिया…………सुन्दर प्रस्तुति।
वाह वाह वाह गोदियाल साहब
ReplyDeleteयह गीत तो मेरी फ़िल्म के लिए थीम सांग हो गया
आभार आभार आभार
मुझे तो इसमें यथार्थ नज़र आ रहा है.
ReplyDeleteललित जी आभार, मेरा मेहनताना देना न भूलना :) :)
ReplyDeleteमधुशाला, बिल्कुल नये अन्दाज में।
ReplyDeleteतबेला बना हो चौराहा,
ReplyDeleteटुन्न आवारा पशुओं से,
मय के प्याले भर-भरके,
बांटता हर पंडाल होगा ...
वाह वाह ... बिन पिए ही नशा छा रहा है गौदियल साहब ...
आज तो कमाल कर दिया है आपने ..
वाकई पढ़कर नशा छा गया!
ReplyDeleteक्या बात है गोदियाल साहब..कमाल का लिखा है...
ReplyDeleteबहुत उम्दा...
अच्छा हुआ, आज ही पढ़ लिया । कल तो ड्राई डे है ।
ReplyDeleteअद्भुत नज़ारा पेश कर दिया| बहुत अच्छी मधुशाला|
ReplyDeleteआप सभी का आभार !
ReplyDeleteThanks a lot Dr. Sahaab, thanks for bringing this to my notice. :):)
अपने भी बेमिसाल नज़ारा प्रस्तुत कर दिया। सुन्दर रचना के लिये बधाई।
ReplyDeleteअत्यंत लाजवाब शमा बांध दिया आपने तो. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
वाह वाह वाह वाह..
ReplyDelete..बहुत खूब।
ReplyDeleteशामे-गम को जब कभी,
ReplyDeleteसन्नाटे से दहशत लगे ,
खर्राटों के सिरहाने कहीं,
खिन्न कुमकुम लाल होगा !
लाज़वाब! बहुत सुन्दर
मधुशाला मस्त मस्त।
ReplyDeleteसाकी को न जब तलक,
ReplyDeleteइस बात का मलाल होगा,
मयखाने पर हर मुर्गा,
प्यासा ही हलाल होगा !
अजी मुर्गे ने तो मयखाने जाना ओर पीना ही चोड दिया...
आप की गजल पढ कर बोतल जीतना नशा हो गया, बहुत खुब, धन्यवाद
मयखाने का हर मुर्गा प्यासा ही हलाल होगा -----खूब सूरत कबिता जितनी तारीफ की जय कम है बहुत-बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteवाह वाह महाराज की जय हो..आनन्द आ गया...
ReplyDeleteतो फिर, आज भांग से ही काम चला लो बम बम भोले के नाम से :)
ReplyDeleteगोदियाल जी के मयखाने में आके अपुन को तो चढ़ गई.... मस्त मजा आ गया शिवरात्रि पर... जय हो भोले की...
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