Saturday, March 5, 2011

अजनबियों पर यूं न इस तरह तुम !




अजनबियों पर यूं न इसतरह, सब कुछ वारा-न्यारा करों,
दुनिया रंग-रंगीली है पगली, कनखियों से न निहारा करो।  

प्यार करना जिन्हें आता नहीं, प्रेम भी उनको भाता नहीं,
छज्जे में आकर, पल्लू हिलाकर, हर वक्त न इशारा करो।    

जो हम तुम्हें देखें न देखे, तुम रहो सदा बेपरवाह होकर,  
शीशे को ही आशिक समझकर, गेसुयें तुम सवारा करों।  

तन्हाई में ख़्वाबों में खोकर,यादों में न दिल पिघलाओ,
ख्याल बुनते हुए ऐसे उनींदी न ही रतियन गुजारा करो. 

दुनिया रंग-रंगीली है पगली....         !

19 comments:

  1. आज तो बहुत प्यारा गीत लगाया है!
    पढ़कर आनन्द आ गया!

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  2. प्यार क्या है, किसी को आता नहीं,
    बेवफ़ा जहां को तो प्रेम भाता नहीं,
    बहरा नहीं कोई तेरे इस शहर में,
    नाम लेकर तुम यूं न पुकारा करो..
    अजनबियों पर यूं न इस तरह तुम....!

    वाह बहुत ही शानदार, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. न जाने किस अजनबी के द्वार पर,
    प्यार का उद्दाम सा सागर छिपा है।

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  4. अजनबियों पर यूं न इस तरह तुम,
    अपना सब कुछ वारा-न्यारा करों,
    दुनिया बड़ी रंग-रंगीली है पगली,
    इसे कनखियों से न निहारा करो.
    अजनबियों पर यूं न इस तरह तुम....
    हमें तो यह पसंद आया बहुत खूब वाह वाह ..

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  5. सुन्दर प्यार भरा गीत ।

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  6. प्यार क्या है, किसी को आता नहीं,
    बेवफ़ा जहां को तो प्रेम भाता नहीं,
    बहरा नहीं कोई तेरे इस शहर में,
    नाम लेकर तुम यूं न पुकारा करो..
    अजनबियों पर यूं न इस तरह तुम....!

    सच है जी दुनिया को प्रेम की भाषा आती कहॉ है।

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  7. समझाईश से परिपूर्ण आनन्ददायक प्रस्तुति...

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  8. बहुत सुंदर रचना, ओर सत्य एक पंजाबी का गीत याद आ गया... जी करदा ऎ ऎस दुनिया नूं मे हट के ठोकर मार देया...धन्यवाद

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  9. गोदियाल साहब, अगर ऐसा हो गया तो हम जैसों का क्या होगा जो पूरा दिन उन्हीं के पीछे पीछे गुजार देते हैं। मेरा भी तो फिक्र किया होता।

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  10. बहुत सुन्दर गीत, महाराज!!

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  11. अजनबियों पर यूँ न वारा न्यारा करो ...
    मगर पहली बार तो सभी अजनबी ही होते हैं ...
    अच्छा गीत !

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  12. अक्सर ही घर के छज्जे में आकर,
    दुपट्टे का पल्लू हौले-हौले हिलाकर,
    शीशे को तसदीका आशिक बनाकर,
    यूँ न गेसुओं को अपनी सवारा करों....

    बहुत खूब ... क्या कहने हैं ... मजा अ गया ...

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  13. एक दिन में दो पोस्ट -एक आग और एक बर्फ ?

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  14. अजीब शर्त है बुनियाद-ए-दोस्ति के लिए
    कि एक अजनबी की ज़रूरत है अजनबी के लिए :)

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  15. बहुत प्यारा गीत...अंतस को छू गया..

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  16. achchhi kavita
    http://kavyana.blogspot.com/2011/03/blog-post_31.html

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प्रश्न -चिन्ह ?

  पता नहीं , कब-कहां गुम हो  गया  जिंदगी का फ़लसफ़ा, न तो हम बावफ़ा ही बन पाए  और ना ही बेवफ़ा।