Saturday, December 31, 2011

सांझ ढले





प्रस्तावना स्वरुप अपनी एक पुरानी पोस्ट की चंद लाईने यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ;

दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए,
मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
ज्यों कहीं फिसल गए।


उदास पलों में धड़कन भी,
दिल से बेजार लगी,
खुश लम्हों में जिन्दगी,
चंचल निर्झरिणी धार लगी।


संग आनंद, उमंग, उल्लास
कुछ आकुल,विकल गए।
दिन तीन सौ पैसठ साल के,
यों ऐसे निकल गए।।

मगर, यह भी सच्चाई है कि वक्त किसी का साथ नहीं देता, उसे निकलना ही है ! और यही गुजरते साल की भी एक कटु सच्चाई है ! समय के इन ३६५ लम्हों में दो ही बातें होती है, या तो अच्छी या फिर बुरी ! किसी के लिए यह साल एक खुशनुमा सौगात लेकर आया होगा तो किसी के लिए कभी न भुला सकने वाली असफलता और विषाद ! लेकिन समाज का एक बड़ा तबका ऐसा भी होता है जो इनके बीच का रास्ता चुनता है, और इसे नाम देता है 'मिश्रित' का! वैसे इस गुजरते साल के बारे में ज्यादातर की  राय यही है कि साल अच्छा नहीं रहा ! मगर हमें इस सच्चाई को भी स्वीकारना होगा कि सुख और दुःख एक सिक्के के ही दो पहलू हैं, और हर पहलू को हमें समान अंदाज में गले लगाना होता है !

कभी सुख, कभी  दुःख  यही जिन्दगी है,
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी है....
नए फूल कल फिर डगर में खिलेंगे,
उदासी भरे दिन कभी........!
आने वाला वक्त कैसा होगा, कोई नहीं जानता ! बस, इंसान अपनी फितरत के समकक्ष अपनी अपेक्षाओं के घोड़े दौड़ाकर एक सुखद भविष्य की कल्पना तो कर ही सकता है न ! और मैं भी सबके लिए अच्छी दुआवों के साथ-साथ यह भी कहूँगा कि कुछ नकारात्मक पहलु ऐसे भी होते है जिन्हें पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता, इसलिए नव-वर्ष की पूर्वसंध्या पर यही कहूंगा कि हर पल को खुलकर पूर्ण रूप से जियो, ये जीवन एक आइसक्रीम की तरह है जिसे एक न एक दिन पिघलना ही है, इसलिए इसे जितना खा सको खा लो ! सुना है कि लोग इस दिन पर बहुत से संकल्प भी करते है ! आज ही एक खबर देख रहा था कि एक सर्वेक्षण के मुताविक ६० प्रतिशत से अधिक भारतीय ३० दिन के भीतर ही अपने संकल्पों को तोड़ देते है! इसीलिये मैं कोई संकल्प नहीं करता ! चलते-चलते एक छोटी सी नसीहत अपने ही जैसे पियक्कड़ और हुडदंगी भाई-बंधों को कि बस इतना रहे ख़याल, जश्न मनाने के साथ-साथ कि एक खुशनुमा सुबह मिले गुजरती सांझ के साथ-साथ;

होशो-हवाश में रहकर  
हर उस बात से बचना यारों, 
जो सोबर न हो !
जाते साल के अंतिम दिन
पियो दबा के , (क्या पता माया कलैंडर...///??)
मगर इस तरह पियों  यारों
कि नए साल के
पहले ही दिन हैंगओवर न हो !!
   :):)

शुभकामनाये और मंगलमय  नववर्ष की दुआ !


As we move towards a brand NEW START in 2012.


Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!


11 comments:

  1. मैं तो इसलिए संकल्पवाजी से दूर ही रहता हूं

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  2. बहुत सुन्दर रचना , सादर .

    नूतन वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ मेरे ब्लॉग "meri kavitayen " पर आप सस्नेह/ सादर आमंत्रित हैं.

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  3. संकल्प न मानने के लिए ही लिए जाते हैं... :) आपकी कविताएँ बहुत बढिया हैं.

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  4. आगत विगत का फ़ेर छोडें
    नव वर्ष का स्वागत कर लें
    फिर पुराने ढर्रे पर ज़िन्दगी चल ले
    चलो कुछ देर भरम मे जी लें

    सबको कुछ दुआयें दे दें
    सबकी कुछ दुआयें ले लें
    2011 को विदाई दे दें
    2012 का स्वागत कर लें

    कुछ पल तो वर्तमान मे जी लें
    कुछ रस्म अदायगी हम भी कर लें
    एक शाम 2012 के नाम कर दें
    आओ नववर्ष का स्वागत कर लें

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  5. समय सतत ही बढ़ता जाता,
    हमने ही वर्षों में बाँटा।

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  6. सच्चाई है कि वक्त किसी का साथ नहीं देता, उसे निकलना ही है .... वक़्त तो हमेशा साथ होता है , कभी हम वक़्त से आगे , कभी वक़्त आगे - जब कुछ मनचाहा होता है तो वक़्त रुकने का भी आभास देता है . नए वर्ष की शुभकामनायें ...

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  7. नव वर्ष के आगमन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...

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  8. सार्थक प्रस्तुति ।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें गोदियाल जी ।

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  9. आने वाला वक्त क्या रंग लाएगा यह तो कोई नहीं जानता पर शुभकामनाएं को की ही जा सकती है। नववर्ष की शुभकामनाएं :)

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